पत्रकारिता में महिलाओं की दशा और दिशा

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पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है लेकिन अभी भी वो हाशिए पर है। लेकिन कई ऐसी जुझारु पत्रकार हैं जो अपनी कार्य-कुशलता के बल पर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करती हैं और उन क्षेत्रों में जाकर साहसिक रिर्पोटिंग करती हैं जहां पुरुषों का क्षेत्र  माना जाता था।  

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

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डॉ. मदन गोपाल वार्ष्णेय जी द्वारा लिखित और हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन समारोह पुणे में संपन्न हुआ. रा. स्व. संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर पूर्व वाइस चांसलर जीबी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक प्राध्यापक नाना साहेब जाधव, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमोल पेडणेकर और डॉ. प्रवीण दबडघाव आदि उपस्थित थे।

कम हो रही आय की असमानता

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प्रधान मंत्री की अंत्योदय योजनाओं से सही अर्थों में गरीबों और मध्यम वर्गों का भला हो रहा हैं। वे न केवल गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं बल्कि आर्थिक रूप से स्वावलम्बी भी हो रहे हैं। उनका जीवन स्तर पहले से बेहतर होता जा रहा हैं।

भाषा के नाम पर अलगाववाद क्यों?

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भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के लिए आवश्यक है कि भाषा, प्रांत, धर्म के नाम पर अलगाववाद की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय दलों के नेताओं को नकार दिया जाए और इसके लिए दक्षिण भारत के जागरूक नागरिकों को समाज सुधार हेतु पहल करनी होगी।

इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष

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द्विराष्ट्र समाधान के मार्ग में अब रोड़े उत्पन्न हो गए है। सहअस्तित्व एवं सहिष्णुता की धारणा विफल हो गई है। इस्लामिक जगत के अधिकतर देश इजराइल और यहूदी जाति के अस्तित्व को समाप्त कर देना चाहते है। इजराइल के पास भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने और आत्मरक्षा हेतु लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।

समुद्री सुरक्षा की चुनौती

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लाल सागर में हाउती विद्रोहियों द्वारा किए जा रहे हमले को भारत ने गंभीरता से लिया है और समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से विध्वंसक जलपोतों, विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन तथा तटरक्षक जलयान आदि को तैनात कर दिया है ताकि समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र संघ का लड़खड़ाता ढांचा

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तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य, संघर्ष और चुनौती के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी विश्वसनीयता, प्रासंगिकता एवं प्रतिष्ठा खोता जा रहा है। यदि अब भी इसमें वर्तमान समय के अनुकूल सुधार व परिवर्तन नहीं किए गए तो यह केवल सर्कस का शेर बन कर रह जाएगा।

आध्यात्मिक राजधानी बनेगी अयोध्यापुरी

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रामलला का दर्शन करने मात्र से लोगों में स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास की लहरें हिलोरे मारने लगेगी। राम मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से देश में सकारात्मक वातावरण की निर्मिति होगी, जिससे उत्साहित होकर सभी क्षेत्रों में देशवासी पूरे मनोयोग से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।

लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न पुरस्कार से होंगे सम्मानित

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जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के मजबूत आधार स्तम्भ रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित करने की घोषणा मोदी सरकार ने की है. भारत रत्न की घोषण पर देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि ‘अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ मैं भारत रत्न स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान की बात है जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है।’

रामभक्तों से हार गए वामपंथी

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इतनी बाधाओं के बाद भी कोई भी विरोधी शक्ति रामभक्तों का न तो उत्साह कम कर पाई न भयभीत कर उन्हें उनके राम-काज करने से रोक पाई। श्रीराम भक्तों को कृपा मिलती है तो दानवों को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। 9 नवम्बर 1989 को विश्व में दो बड़ी घटनाएं हुई जिसने वामपंथी षड़यंत्र और अहंकार को चकनाचूर कर दिया। 9 नवम्बर 1989, देवोत्थान एकादशी तिथि को अयोध्याजी में हजारों रामभक्तों और पूज्य साधु-संतों की उपस्थिति में कामेश्वर चौपाल जी ने श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया और इसी दिन पश्चिम में बर्लिन की दिवार भी वहां की जनता ने तोड़ दी। ये दिन वामपंथी षड्यंत्रों के विरुद्ध सत्य और सज्जन शक्ति के विजय का दिन था। उस देवोत्थान एकादशी के शिलान्यास से लेकर अबतक इस संघर्ष का इतिहास साक्षी है कि रामपंथियों के पुरुषार्थ ने षड्यंत्रकारी वामपंथियों को प्रत्येक मोर्चे पर पराजित किया है।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

राष्ट्र सम्मान की पुन:प्रतिष्ठा

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राम मंदिर का निर्माण सिर्फ कानूनी लड़ाई से नहीं हुआ बल्कि जनसहयोग से भी हुआ है। भले ही लोगों के मत अलग-अलग हों पर मंदिर निर्माण को लेकर देशवासियों के मत एक थे। एक लम्बे संघर्ष, कठिन प्रयास के बाद ही आखिरकार राम मंदिर का निर्माण हुआ और बस अब इतंजार है तो कपाट खुलने का।

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