नए भारत की नई पहचान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना का नया भारत वास्तविकता में जरूर आना चाहिए। रामराज्य भारत में पुन: आए और अखण्ड भारत फिर से बने।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना का नया भारत वास्तविकता में जरूर आना चाहिए। रामराज्य भारत में पुन: आए और अखण्ड भारत फिर से बने।
नया भारत पहले के भारत से बिलकुल अलग होगा। पहले लोग 10 से 5 नौकरी और निवृत्ति के बाद पेंशन की अपेक्षा में जीते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार खुद उद्यमशीलता दिखा रही है। सूचनाओं को प्रदान करने, लोगों को प्रेरित करने और उद्यमशीलता का माहौल बनाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।
नए भारत में ‘सेव टाइगर’ की तरह ‘सेव वाटर’ अभियान भी चलाना चाहिए। प्राकृतिक स्रोतों की रक्षा के साथ सीवेज वाटर पर पुनर्प्रक्रिया में तेजी आनी चाहिए। मोदी सरकार ने इस दिशा में जलशक्ति मंत्रालय बनाकर पहल की है। प्रस्तुत है एसएफसी एन्वायरमेन्टल टेक्नोलॉजीस प्रा. लि. के डायरेक्टर संदीप आसोलकर के साथ नया भारत और जल संरक्षण पर हुई विशेष बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-
परम्परागत युद्ध का जमाना अब लद चुका है। अब युद्ध अधिक तकनीकी व आधुनिक हथियारों से लड़े जाएंगे। इसी तरह अनियंत्रित सीमाहीन छापामार युद्ध भी हैं, जो अशांति, साम्प्रदायिकता फैलाकर व मीडिया को हाईजैक कर महज आतंक व भय फैलाने के लिए लड़े जाते हैं। इन दोनों से मुकाबले के लिए नए भारत को तैयारी करनी होगीे।
भविष्य के युद्ध नेटवर्क सेंट्रिक होंगे। यानी सैनिक पूरी तरह सायबर स्पेस से जुड़े होंगे। विशेष किस्म के सूट और ‘कॉम्बैट गॉगल’ सैनिक पहनेंगे। सैनिक के सामने जो कुछ भी आएगा उसे ये चश्मे रिकॉर्ड करते जाएंगे। इनकी मदद के मार्फत दिशाज्ञान होगा, शत्रु पक्ष की खुफिया जानकारी होगी और लोकल भाषा का तुरंत अनुवाद भी होता जाएगा।
पाकिस्तान की भारत विरोधी मानसिकता से इन आंतरिक राष्ट्रद्रोहियों तथा भारतीय शत्रुओं की मानसिकता तथा विचारधारा ज्यादा खतरनाक है। इन पर हम मिसाइल या बम नहीं दाग सकते हैं, इनका सफाया हमें इनकी भारत विद्रोही मानसिकता को बदल कर ही करना होगा।
मकान तो कोई भी बना सकता है, पर घर संस्कारों से ही बनता है। परिवार इसका आधार है। ...क्या यह घर परिवार फेसबुक, या अन्य इलेक्ट्रनिक साधनों, आर्थिक संपन्नता या धन से हासिल हो सकेगा? नए भारत की नई पीढ़ी का यही सवाल है, उत्तर हमें देना है।
नए भारत का निर्माण करते समय हम यह न भूलें कि आधुनिक विज्ञान को स्वीकार करते हम अपने जीवन मूल्यों को खो दें। हम उस प्रवाह में बह न जाए, जिसमें अपनी गरिमा, अपनी धरोहर से चूक जाए। इसके लिए अध्यात्म के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता। प्रस्तुत है नए भारत, हमारी संस्कृति और विरासत पर भागवताचार्य भूपेंद्र पंड्या से हुई विशेष बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-
केवल जल का संरक्षण ही नहीं बल्कि उपयोग किए गए जल का शुद्धिकरण कर उसे पुनः प्रयोग में लाकर जल संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जल संकट पर मात करने के लिए ’सी टेक’ तकनीक ब्रह्मास्त्र साबित होगी।
भारत में कचरे की समस्या खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है और इसे काबू में करना बहुत जरूरी है। वर्तमान समय में भारत के हर नगर में कचरे के अंबार देखे जा सकते हैं।
आबोहेवा का मिजाज बदल गया है और मौसम रूठ गए हैं। मनुष्य इसका दोषी है। जिस तेजी से हम जंगलों को काट कर हरियाली मिटा रहे हैं, जल, थल और आसमान में जहर भर रहे हैं, अपनी सदानीरा नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं, उस सबका परिणाम है यह। नए भारत में इसे सुधारने के लिए हमें कदम उठाने होंगे।
’ऋषि’और ’आध्यात्मिक’ नामों से किसी को भी परहेज हो तो इसे ’शून्य बजट की खेती’ भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें किसान को खेती के लिए बाजार से बहुत ही कम चीजें लानी हैं। यानी लगभग न के बराबर बाजार पर किसान की निर्भरता रहती है। हां, गोबर, गोमूत्र और कृषि के शेष अंश के साथ सूर्यप्रकाश के हिसाब से अपने प्रबंध से पर्याप्त अन्न उत्पादन हो सकता है।