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छोटी-छोटी बातों से हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है

छोटी-छोटी बातों से हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है

by अमोल पेडणेकर
in अक्टूबर २०२०, विशेष, व्यक्तित्व
1

गांधी जी के विचारों और यशस्वी जीवन को हम समझें तो पता चलेगा कि जीवन से जुड़ी छोटी छोटी बातें हमें परिपूर्ण बनाती हैं और परिपूर्णता कोई छोटी बात नहीं है। इन्हीं से हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है। ऐसा करने से बहुत बड़े सकारात्मक परिवर्तन की ओर हम जा सकते हैं।

महात्मा गांधी जी के जीवन को हम नजदीक से जानने का प्रयास करते हैं तो, हमें महसूस होता है कि उनका जीवन विविध पहलुओं से भरा हुआ है। देश और समाज से जुड़े हुए विभिन्न विषयों पर उन्होंने अपने विचार प्रत्यक्ष कृति से प्रस्तुत किए हैं। पोरबंदर जैसी छोटी सी जगह पर जन्म लेने वाले गांधी नामक व्यक्तित्व में कौन सी ऐसी बात थी जो केवल भारत ही नहीं तो पूरा विश्व में वे परिचित हो गए? संपूर्ण विश्व अपने आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए गांधी विचारों को एक रोशनी मानता है। गांधीजी ने स्वयं कहा है, मेरी जिंदगी ही मेरा संदेश है। किसी भी व्यक्ति को सफल बनने के लिए अपने भीतर कुछ गुणों का विकास करना होता है। इसके बिना कोई भी व्यक्ति सफलता की सीढ़ियां नहीं चढ़ सकता। महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े हुए विभिन्न विषयों को हम जब नजदीक से समझने का प्रयास करते हैं, तो ऐसा महसूस होता है कि उनकी हर कृति से हमें कुछ सीखने का अवसर मिलता है। महात्मा गांधी जी अपनी आंतरिक ऊर्जा के बल पर विभिन्न क्षेत्रों में पहाड़ों जैसा भव्य कार्य निर्माण कर सके। महात्मा गांधी जी सत्य के लिए जीये। समय के अत्यंत पाबंद थे। गांधीजी का आग्रह जिस प्रकार सत्य के लिए था उसी प्रकार समय का पालन करने के लिए भी था। उनका कहना था कि समय का पालन न करना एक तरह की हिंसा ही है। गांधी जी अपने जीवन में यशस्वी रहे इसका रहस्य क्या है? इसका उत्तर यह है कि उन्होंने अपने जीवन और मूल्यों का प्रबंध अत्यंत सूक्ष्म पद्धति से किया था। वे सोचते थे कि अपने जीवन का प्रत्येक क्षण अमूल्य है, इसलिए प्रत्येक क्षण का अच्छे कार्य के लिए हम किस प्रकार से उपयोग कर सकते हैं, यह देखें। महात्मा गांधी जी के कमर में एक घड़ी लटकी होती थी। दिनभर में कौन सा काम किस समय करना है यह बात उनकी डायरी में लिखी होती थी।

9 जनवरी 1915 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत में वापस आ गए। तब सार्वजनिक जीवन में भारतीय जनमानस की अस्त-व्यस्त जीवन शैली का निरीक्षण उन्होंने किया। ’समय की सजगता’ पर ‘यंग इंडिया’ में लिखे एक लेख में उन्होंने कहा था, ’हम शिक्षित जन हर बात में बहुत विलंब करते हैं। यहां कोई भी सभा निर्धारित समय पर प्रारंभ नहीं होती। यह हमारी आदत सी बन गई है। कोई बेवजह बहाने बताकर एक व्यक्ति के लिए सैकड़ों लोगों को बिठाकर रखा जाता है। सैकड़ों लोगों का समय बरबाद करते हैं। इस प्रकार इंतजार करना हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं? समय का पालन न करना यह बात देश की प्रगति में सबसे बड़ा गतिरोध है।

किसी भी व्यक्ति को सफल बनने के लिए समय के प्रति दक्षता, अपने कर्तव्य के प्रति जागरूकता , सकारात्मक दृष्टिकोण, अपने कार्यों का सुव्यवस्थित तरीके से नियोजन, विषम परिस्थितियों में संतुलन और स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति सजग होना आवश्यक होता है। महात्मा गांधी जी के विचारों का अध्ययन करने पर महसूस होता है कि अपने जीवन में इन सबके बीच संतुलन स्थापित करके उन्होंने सफलता के नए-नए मापदंड स्थापित किए थे। गांधी जी ने अपने जीवन में अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया। चंपारण आंदोलन, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन, दांडी यात्रा, हरिजनों के लिए मंदिर खोलने का आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि उनके प्रत्येक आंदोलन में विशेष नियोजन का दर्शन होता है। उन्होंने प्रत्येक आंदोलन की शुरुआत करने से पहले अपनी रणनीति बनाई। उसमें शामिल होने वाले लोगों की मानसिकता और क्षमताओं के अनुसार आंदोलन की दिशा और दशा तय की। अपने विचारों को लागू करने से पहले भारतीय समाज की विचारधारा, रीति-रिवाज और संस्कृति को समझकर वह अपने ज्यादातर आंदोलनों की नीतियां निर्धारित किया करते थे। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुडे विचारों से लोगों को प्रेरित करने का अत्यंत महत्वपूर्ण काम महात्मा गांधी जी के आंदोलन को सही दिशा देता था। वे ऐसा कोई विचार भारतीय जनमानस पर लादना नहीं चाहते थे, जो समाज को बोझ की भांति लगे। वे केवल अपनी जीवन में प्राप्त अनुभवों और सूत्रों के आधार पर देश की जनता की समस्याओं का समाधान करना चाहते थे। वे एक व्यावहारिक, आदर्शवादी और कर्म में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे। उनकी विचारों में मौलिकता थी। इसी कारण अन्य नेताओं की अपेक्षा भारतीयों को गांधी जी अपने नजदीक लगे। जीवन में यशस्वी होने के लिए अपने विचारों को दूसरों तक सहजता से पहुंचाना आना चाहिए। महात्मा गांधी जी को अपने आचरण और अनुभव के कारण इस कला में महारत मिलीं थी।

विश्व में अब तक बहुत सारे विचारक हो गए हैं। उन्होंने राजनीति में धर्म को दोयम स्थान देने का प्रयास किया है। धर्म को राजनीति के जरिए सीमित करने का प्रयास भी बहुत लोगों ने किया है। मार्क्स ने तो यहां तक कह दिया है कि धर्म अफीम की गोली है। धर्म के कारण मनुष्यता सस्ती बनी है। धर्म मनुष्य के विकास के मार्ग को रोकता है। ऐसे समय में महात्मा गांधी जी के विचारों को जानने की हमें प्रेरणा मिलती है। गांधी जी का धर्म मात्र रूढ़िवादी मान्यताओं और पौराणिक गाथाओं वाला धर्म नहीं था। वे धर्म से मानव जाति के हितों की सदैव अपेक्षा रखते थे। वे धर्म से बिना राजनीति की कल्पना नहीं करते थे। उनकी दृष्टि थी कि धर्म ही हमारे हर एक कार्य में व्याप्त रहना चाहिए। महात्मा गांधी जी के दृष्टि से धर्म का अर्थ था- विश्व की एक नैतिक सुव्यवस्था। गांधी जी मूलतः एक धर्म पुरुष थे। उनकी अंतरात्मा की मानव सेवा की इच्छा उन्हें राजनीति में ले आई।

महात्मा गांधी जी ने अपने विचारों द्वारा जिन आदर्शों की स्थापना की, वे आज भी केवल हमारे सामाजिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक पारिवारिक जीवन के लिए मौलिक हैं। साथ में व्यावसायिक, उद्योग जगत के लिए भी एक आदर्श स्थापित करते हैं। अपने व्यवसाय एवं व्यक्तित्व को सफल करने के लिए आज महात्मा गांधी जी के विचारों और उनकी योजनाओं को स्वीकार करना आवश्यक है। अपने समाज को आगे ले जाने के लिए हमें उनके विचार अपनाने ही होंगे। यदि हम अपने सकल घरेलू उत्पाद याने जीडीपी में वृद्धि करना चाहते हैं तो गांधी दर्शन पर ही चलना पड़ेगा। उनकी एक आवाज पर करोड़ों भारतीय एकसाथ उसके स्वर में स्वर मिलाने के लिए तैयार थे। यह ताकत निश्चित रूप से उनके विचारों, उनकी जीवन शैली और उनके व्यक्तित्व से ही आई थी। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। इसी के कारण उनमें जो आंतरिक शक्ति निर्माण हुई थी। उस आंतरिक शक्ति के कारण ही यह संभव हो पा रहा था। उनके आश्रम में सूर्योदय के पहले ही दिन प्रारंभ होता था। सुबह सही समय पर ना जागने से संपूर्ण दिन बिगड़ने की संभावना होती है। इस कारण आश्रम में रहने वाले सभी को रोज सुबह उचित समय पर जगना पड़ता था। सुबह नींद से जगने के लिए चार बजे घंटी बजाई जाती थी। थाली और कटोरी बजाकर घंटी का काम लिया जाता था। यह आवाज बहुत बदसुरी होती थी। कितनी भी गहरे नींद में हो तो भी सुबह तय समय पर जगने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता था। महात्मा गांधी जी प्रत्येक काम के लिए नियत समय तय करते थे और प्रत्येक समय के लिए निश्चित काम रखते थे। यह उनके कार्य की खासियत थी।

वर्तमान स्थितियों में यह देखकर निश्चित रूप से प्रसन्नता होती है कि देश और विदेश में सभी जगह लोगों ने कुछ हद तक गांधी विचारों पर चलना शुरू कर दिया है। महात्मा गांधी केे आध्यात्मिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक कार्यों में कोई अंतर नहीं था। क्योंकि उनके सभी कार्यों का मूल रूप उनकी नैतिकता से जुड़ा है। आज वर्तमान संदर्भ में गांधी जी के जीवन से सीख लेने की जरूरत काफी बढ़ गई है। इस महान व्यक्तित्व ने विश्व को अनेक उच्च विचार दिए। विश्व मानवता को संकट से मुक्त करने का मार्ग बताया। लेकिन यह खेद की बात है कि उनके ही महान भारत में सामाजिक विकास के लिए आवश्यक नैतिक गुणों का अधःपतन होते हम देख रहे हैं। इसी कारण समस्याओं के बादल हमारे इर्दगिर्द मंडराने लगे हैं।

1941 में महात्मा गांधी जी ने रचनात्मक कार्यक्रम नाम से एक लेख लिखा था। जब स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर समाज में एक नया उत्साह था तब उस लेख में बापू ने विविध विषयों पर चर्चा भी उपस्थिति की थी; जिसमें ग्रामीण विकास, कृषि का सशक्तिकरण, स्वच्छता को बढ़ावा, महिलाओं का सशक्तिकरण और आर्थिक समानता सहित अनेक विषय शामिल थे। हम महात्मा गांधी जी के सपनों का भारत किस प्रकार बना सकते हैं? इन सवालों का जवाब हमें उनके इस रचनात्मक कार्यक्रम से मिलता है। उनके रचनात्मक कार्यक्रम आज भी प्रासंगिक हैं। जिसकी चर्चा महात्मा गांधी जी ने सात दशक पहले की थी लेकिन जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं। उनके व्यक्तित्व में बसे विभिन्न खूबसूरत आयामों में से एक बात यह थी कि उन्होंने प्रत्येक भारतीय को एहसास दिलाया था कि वे भारत की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहे हैं। सभी स्तर के भारतीयों में आत्मविश्वास की भावना जगाई। सभी स्तर के भारतीय जो कुछ भी कर रहे हैं उसी से ही भारत के स्वाधीनता संग्राम में योगदान दे इस प्रकार का आवाहन उन्होंने समस्त भारतीयों को किया। अपने इन विचारों से उन्होंने भारत के उद्योग, किसान, कर्मचारी, महिला, अमीर- गरीब सभी को स्वतंत्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान देने के लिए प्रवृत्त किया था। उनका यह नियोजन राष्ट्र में जो मौजूद ऊर्जा है उस ऊर्जा के प्रति उनका निरीक्षण प्रस्तुत करता है। साथ में राष्ट्र के अंतरंग में पनप रही सकारात्मक ऊर्जा का नियोजन करने का उनका दृष्टिकोण भी स्पष्ट होता है।

यशस्वी व्यक्ति द्वारा अपने जीवन में प्राप्त सूत्रों को हम जानने का प्रयास करेंगे, तो हमें मालूम होगा कि व्यक्ति में ज्ञान का भंडार, अनुशासन और विषम परिस्थिति में स्वयं का सही विश्लेषण करने की क्षमता होनी आवश्यक होती है। महात्मा गांधी जी के भीतर ये विशेषताएं नैसर्गिक रूप से थीं। महात्मा गांधी जी की जीवन शैली को हम देखते हैं तो उसमें विभिन्न क्षमताएं एकसाथ दिखाई देती हैं। क्षमताओं को देखकर प्रोफेसर आईंस्टीन को कहना पड़ा, ‘आने वाली पीढ़ी कभी यह विश्वास नहीं कर पाएगी कि इस धरती पर गांधी जैसा हाड मांस का व्यक्ति भी पैदा हुआ था।’ स्वयं गांधी जी ने एक स्थान पर कहा है, ‘छोटी-छोटी बातों से हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है। इसी सूत्र को आगे बढ़ाते हुए गांधी जी ने कहा है कि, ‘छोटी-छोटी बातें हमें परिपूर्ण बनाती हैं और परिपूर्णता कोई छोटी बात नहीं है।’ यह बात सौ प्रतिशत सही है कि छोटी-छोटी बातें हमें परिपूर्ण बनाती हैं। हम महात्मा गांधी जी के व्यक्तित्व के विभिन्न गुणों से समय का पालन करना और समय को ध्यान में लेकर अपने जीवन से जुड़े कार्यों का नियोजन करना, यह नियोजन करते वक्त राष्ट्र और समाज के हितों के संदर्भ में विचार रखना यें बातें भी हमें हासिल करने की आवश्यकता हैं। शायद गांधी जी के विचारों में और व्यक्तित्व में विवाद के अनेक मुद्दे हो सकते हैं। लेकिन उनके विचारों और यशस्वी जीवन को समझने का प्रयास हमें जरूर करना चाहिए। क्योंकि अपने जीवन से जुड़ी हुई छोटी छोटी बातें हमें परिपूर्ण बनाती हैं और परिपूर्णता कोई छोटी बात नहीं है। इन छोटी-छोटी बातों में ही हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है। ऐसा करने से बहुत बड़े सकारात्मक परिवर्तन की ओर हम जा सकते हैं।
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Tags: #FatherofNation #GandhiJayanti #MahatmaGandhi

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Comments 1

  1. mukund kulkarni says:
    4 years ago

    great article mukund kuklarni INDORE [email protected]

    Reply

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