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हरियाणा का औद्योगिक विकास

हरियाणा का औद्योगिक विकास

by डॉ मुनीश नागपाल
in अप्रैल -२०१६, सामाजिक
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जिस प्रकार हरियाणा सभी क्षेत्रों में अपनी विरासत सर्वोच्च बनाए हुए है उसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में भी राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर अवर्णनीय प्रगति पर है। औद्योगिक क्षेत्र में हरियाणा का योगदान राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय है, जिस पर हरियाणा वासियों और देशवासियों को गर्व है।

उद्योगधंधों में राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा अच्छी स्थिति वाले प्रांतों में से एक है। कई उद्योगधंधों में तो हरियाणा की औद्योगिक स्थिति विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाए हुए है। हरियाणा का जन्म 1 नवम्बर 1966 को हुआ। संयुक्त पंजाब में भी औद्योगिक इकाइयों में यहां के स्थानों को विशेष महत्व दिया गया। हरियाणा की जनता कृषि प्रधान प्रांत होने के कारण परिश्रमी और लगनशील है। यह तत्व भी हरियाणा के औद्योगिक विकास में महवपूर्ण रहा। अन्य प्रांतों की तरह हरियाणा में गरीब जनता भी पर्याप्त संख्या में है। अकुशल परिश्रम के लिए यहां पारिश्रमिक उचित मात्रा में दिया जाता रहा है। इसलिए मजदूरी की समस्या भी आड़े नहीं आई है। उद्योग स्थापित करने के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता रही वे यहां आसानी से उपलब्ध होते रहे। यहां की जलवायु भी उद्योगों की स्थापना के अनुकूल है। इसलिए भी औद्योगिक क्षेत्र में हरियाणा देश में अग्रणी रहा। हरियाणा के औद्योगिक विकास में प्रमुख तत्व इस प्रकार रहे :

1. हरियाणा में प्रफुल्लित उद्योग धंधे स्थानीय संसाधनों का उपयोग अधिक करते हैं।ं संसाधनों के लिए अन्य प्रदेशों पर निर्भरता नहीं है।

2. राज्य में छोटे उद्योग बड़े उद्योगों की तुलना में अधिक हैं। इन छोटी इकाइयों में वैज्ञानिक व चिकित्सकीय उपकरण निर्मित किए जाते हैं।

3. हरियाणा में विकसित होने वाले प्रमुख उद्योगों में कागज, सीमेंट, सूती वस्त्र, कृषि उपकरण, चीनी, स्टील रोलिंग, साइकिल, मोटर साइकिल, मशीनी उपकरण, विज्ञान का सामान व कारें बनाने के उद्योग शामिल हैं।

4. राज्य के उद्योगों का स्थानीयीकरण लगभग नगरीय क्षेत्रों में हुआ है।

5. हरियाणा में निर्यातोन्मुाी उद्योगों के विकास में भारी रूचि ली जा रही है। बाहरी निवेशकों को हरियाणा मेें उद्योग लगाने के लिए आकर्षित किया जा रहा है।

6. हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र NCPR में स्थित नगरों- गुड़गांव, बहादुरगढ़, फरीदाबाद, पानीपत, सोनीपत में उद्योगों का विकास अधिक हुआ है। दिल्ली में कच्चे माल का आसानी से उपलब्ध होना इसका प्रमुख कारण है। विस्तृत बाज़ार भी यहीं उपलब्ध हो जाता है।

7. राज्य सरकार ने सन 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी नीति की घोाणा की थी जिसके बाद से प्रौद्योगिकी क्रांति शुरू हो गई।

8. राज्य मेें विशिष्टीकरण की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है जैसे मेडी सिटी, साइबर सिटी, गुड़गांव पेपर सिटी, यमुनानगर सांईटिफिक अप्रेटस सिटी, अम्बाला व शूगर सिटी पलवल व रोहतक आदि।

9. हरियाणा में औद्योगिक विकास की क्षेत्रीय विषमताओं को दूर किया जा रहा है। उद्योगों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही है। धारूहेड़ा, बावल, मेवात, कुंडली, घरौंडा व समाला ग्रामीण क्षेत्र के औद्योगिक उभरते क्षेत्र हैं।

राज्य में उद्योगों का विकास

राज्य में उद्योगों की स्थापना विस्तृत क्षेत्रों में की जा रही है। प्रमुख विकास केन्द्र इस प्रकार हैं:
मानेसर: आदर्श औद्योगिक उपनगरी मानेसर का विस्तार जोरों पर है। गुड़गांव मेें अंतरराष्ट्रीय स्तर के उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त डबवाली, नरवाना, राई और साहा में उच्च कोटि की सुविधाओं से युक्त चार आधुनिक फूड पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इन पार्कों में खाद्य प्रसंस्करण की औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। राज्य सरकार की ओर से अनेक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

साहा, अम्बाला: अम्बाला में एक अन्य विकास केन्द्र के लिए प्रक्रिया जारी है। इसके अतिरिक्त सिरसा, मानकपुर, यमुनानगर, बाहरी सोनीपत में औद्योगिक सम्पदाएं विकसित कर ली गई हैं। बहादुरगढ़, राई तथा बादली में नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए चार फूड पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। मारूति उद्योग, हीरो होंडा मोटर्स और कई अन्य प्रतिष्ठित कम्पनियों ने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम शुरू किए हैं। तीसरे चरण के विस्तार कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकार ने मारूति उद्योग को मानेसर में 500 एकड़ भ्ाूमि प्रदान की है।
इण्डियन आयल कार्पोरेशन पानीपत में तेल शोधक कारखाना स्थित है। पेट्रो रसायन केन्द्र की स्थापना 53 हजार करोड़ रुपयों की लागत से पानीपत में की गई है तथा बहादुरगढ़ और रोहतक में नए औद्योगिक विकास तथा सोनीपत, कुंडली, राई और बाड़ी में उद्योगों का विकास करके आर्थिक विकास को बढ़ाया जा रहा है। हरियाणा सरकार अम्बाला, साहा, यमुनानगर, बरवाला, करनाल, रोहतक और कैथल आदि शहरों के औद्योगिकीकरण की ओर का प्रयासरत है। हरियाणा के औद्योगिक विकास में हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं सरंचनात्मक विकास निगम ने औद्योगिक ढांचों को विकसित करने मेें महवपूर्ण योगदान दिया है।

आर्थिक उदारीकरण के पश्चात सैंकड़ों इकाइयों की शतप्रतिशत निर्यातोन्मुखी इकाइयों के रूप में भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया है। राज्य में प्रमुख निर्यात उत्पाद हैं वैज्ञानिक उपकरण, हैण्डलूम उत्पाद, वस्त्र, साफ्टवेयर, ऑटोमोबाइल कलपुर्जे, अचार, चावल इत्यादि।

राज्य की नई उद्योग नीति का मुख्य उद्देश्य रोजगार में वृद्धि करना, निवेश को बढ़ावा देना तथा राज्य के पिछड़े क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों को विस्तार देना है।

हरियाणा सरंचनात्मक श्रमनीति घोिात करने वाला देश का पहला राज्य है। भारत सरकार द्वारा कुंडली में एक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यम है। राई में 60 करोड़ रुपये की लागत से फल एवं सब्जी मंडल स्थापित किया जा रहा है। मानेसर और पंचकुला में दो पार्क विकसित किए जा रहे हैं। हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास एवं सरंचनात्मक विकास निगम द्वारा मानेसर में लगभग 3000 एकड़ में एक औद्योगिक माडल टाउनशिप विकसित किया गया है। मानेसर में केन्द्र सरकार द्वारा ऑटोमोबाइल उद्योगों के लिए एक अनुसंधान एवम विकास संस्थान की स्थापना की जा रही है।

राज्य के प्रमुख औद्योगिक केन्द्

1. फरीदाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उपनगरों में फरीदाबाद को सब से अधिक विकसित माना जाता है। इसकी औद्योगिक पट्टी दिल्ली की सीमा से लगभग 20 किलोमीटर लम्बाई में है। इस नगर का विकास देश विभाजन के उपरान्त पाकिस्तान से आए विस्थापितों के पुनर्वास के लिए किया गया था। यह जिला जनसंख्या में हरियाणा के जिलों में सबसे ऊपर है। आरम्भ में यहां जमीन सस्ती थी और देश के प्रमुख रेल एवं सड़क मागो्रं से जुड़ा होने के कारण उद्योगों का विकास सर्वाधिक हुआ है।
इन इलाकों में ट्रेक्टर, मोटर साइकिल, रेफ्रीजरेटर, रबड़ के टायर, काली मेंहदी, रेडियो, टी.वी., एयर कंडीशनर, कूलर, मोटर गाड़ियों के पुर्जें, बिजली का सामान, वस्त्र, मशीनें, जूते चप्पल व मिट्टी के बर्तन आदि अनेक उद्योग विकसित हैं। पड़ोसी नगर बल्लभगढ़ में टायर-टयूब्स, छपाई की मशीनें व विद्युत का सामान बनता है।

2. गुड़गांव: दिल्ली के समीप होने के कारण इसका महव बढ़ा है। यहां की औद्योगिक इकाइयों में सेनीटरी का सामान, सिरेमिक टाइल्स व स्टील के पाइप बनते हैं। यहां बिजली का सामान, क्राकरी, शीशे का सामान, स्टील के उपकरण, अस्पतालों में उपयोग किए जाने वाले उपकरण, बिस्कुट व चीनी मिट्टी के बर्तन बनते हैं।

3. पानीपत: दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हरियाणा का पुराना औद्योगिक नगर है। यहां बीसवीं शताब्दी के आरंभ से ही कम्बल बनाने का उद्योग विकसित हो गया था। 1918 में भी यहां 200 से 250 कम्बल प्रतिदिन बनाए जाते थे। वर्तमान में पानीपत भारतीय सेना के कम्बलों की 75 प्रतिशत मांग को पूरा करता है। यहां के कम्बल, गलीचे व बेड कवर विदेशों तक बेचे जाते हैं। पानीपत हथकरघा और कालीन के लिए विश्वविख्यात है। यहां ऊनी और रेशमी वस्त्र उद्योग की इकाइयां स्थापित की गई हैं। पानीपत के उपनगर समाला मेें कृषि यंत्रों का उत्पादन किया जाता है। यहां की बनी टोका मशीनें व गन्ना पेराई की मशीनें प्रसिद्ध हैं। पानीपत का पचरंगा अचार, बासमती चावल, डिब्बाबंद सूखी सब्जियां दुनिया के अनेक देशों में निर्यात किए जाते हैं। यहां रासायनिक खाद, पटसन बैग और कैप्टिव विद्युत बनाने के संयंत्र लगे हुए हैं। पानीपत की चीनी मिल बड़ी मिलों में से एक है। भारतीय तेल शोधक संस्थान ने यहां 5000 करोड़ रुपयों के निवेश से पैरेक्सीलिन इकाई की स्थापना की है।

4. सोनीपत: सड़क व संचार संसाधनों, बिजली की आपूर्ति, कच्चे माल की प्राप्ति व निर्मित खपत के लिए निकट का बाज़ार दिल्ली आदि कारक इसकी प्रगति के कारण हैं। एटलस साइकिल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में बिकती है। यहां कृषि उपकरण, स्टील फर्नीचर, पुर्जे, मशीन टूल्स, रासायनिक पदार्थ और रबड़ का सामान बनाने के उद्योग हैं। सोनीपत के निकट मुरथल में शराब व धातु उद्योग बहालगढ़ मेव कुंडली में खाद्य सामग्री, कागज उद्योग, लकड़ी और चमड़े का सामान बनाने के उद्योग लगाए गए हैं।

5. अम्बाला: इस नगर में शीशे का उद्योग तो प्रथम विश्व युद्ध से भी पहले का है। 1930 के आसपास यहां वैज्ञानिक उपकरण बनाने का उद्योग स्थापित हुआ। वर्तमान में भारत से निर्यात होने वाले उपकरणों का 20 प्रतिशत अकेले इस जिले की इकाइयों द्वारा उत्पादित किया जाता है। मिक्सी, गैस स्टोव तथा इंजीनियरिंग के सामान के निर्माण में इन इकाइयों का सर्वोच्च स्थान है। अम्बाला जिले के साहा स्थान पर 415 एकड़ भ्ाूमि विकास केन्द्र हेतु निर्धारित की गई है।

6. पंचकुला: पंचकुला में एच.एम.टी पिंजौर सीमेंट व भारत इलेक्ट्रिकल्स आदि उद्योग हैं।

7. जगाधरी यमुनानगर: इन जुड़वा नगरों में औद्योगिक विकास आज़ादी के बाद हुआ है। जगाधरी में पीतल के बर्तन बनाने का एक प्रमुख केन्द्र है। इस केन्द्र की लगभग 750 लघ्ाु इकाइयां 26 फैक्ट्रियां तथा 26 रोलिंग मिलें हैं। चीनी बनाने की मशीनें, कलपुर्जे, शराब, हाईड्रोलिक जैक, पीतल, तांबे, स्टील व एल्यूमीनियम के बर्तन आदि यहां बनते हैं। यहां का तैयार माल जर्मनी, दुबई, नेपाल, पाकिस्तान, कीनिया, गुयाना, संयुक्त अरब अमीरात जाता है। यहां की पेपर मिल की क्षमता 15 हजार टन के लगभग है। लकड़ी चीरने का उद्योग भी यहां विकसित हुआ है। लकड़ी चीरने के भी 30 से अधिक कारााने हैं। चीनी बनाने की बड़ी मिल सरस्वती शूगर मिल यहीं है। मुंबई रेलवे कैरिज एवं वैगन वर्कशाप तथा भारत स्टार्च केमिकल्स लिमिटेड यहां के प्रमुख कारखाने हैं।

8. धाहेड़ा: राज्य के उद्योगों के विकेन्द्रीकरण की नीति के अन्तर्गत विकसित यह नया औद्योगिक केन्द्र है। यहां इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण, मोटर साइकिल, पोलिएस्टर विस्कोस धागा सल्फयूरिक एसिड तथा रासायनिक उर्वरक के कारखाने हैं।

9. भिवानी: भिवानी वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यहां सूती वस्त्र व सूती धागा बनाने के कारखाने हैं। कपास की खेती और कच्चे माल का सस्ता होना इन उद्योगों मेें सहायक है। यहां की पहली मिल 1915 मेें लगाई गई थी। 1917 में ही लगभग 287 कच्चे और 17000 तकुए थे। —-(अंग्रेजी मिसफाँट)—-। इसकी स्थापना 1937 में हुई थी। इसकी क्षमता 5 लाख मीटर धागा प्रति माह तैयार करने की है। टेैक्नालिजिकल इंस्टीटयूट आफ टेैक्सर्टाल कताई और प्रोसेसिंग में 20 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का उत्पादन करती है। 1939 में चरखी दादरी में सेठ रामकृष्ण डालमिया ने जर्मनी के सहयोग से एक सीमेंट फैक्ट्री लगाई थी, जो अब सीमेंट कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया के अधीन है। भिवानी में मुख्यत: सूत कातने, कपड़ा बुनने व उसे रंगने तथा छपाई का कार्य विकसित है।

10. रोहतक: दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित यह नगर सड़क व रेल सुविधाओं से सम्पन्न है। यहां कृषि आधारित उद्योगों का विकास हुआ है। यहां चीनी के अतिरिक्त बिजली का सामान, शल्य चिकित्सा उपकरण, सूती वस्त्र व धागे आदि बनाए जाते हैं।

11. हिसार: कपास की विस्तृत खेती के जलवायु वाला क्षेत्र हरियाणा सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। 1955 में यहां हिसार टेक्सटाइल मिल की स्थापना हुई। यहां की जिन्दल पाइप फैक्थ्र्ी विश्वविख्यात है। उद्योगों में पाइप, सूती वस्त्र, पी.वी.सी. पाईप, लोहे के गर्डर व काटन जिनिंग आदि बनाए जाते हैं। लघ्ाु उद्योगों में जूतें, दरी, लकड़ी का सामान, लेखन सामग्री व कृषि औजार बनाए जाते हैं। हिसार के निकट टोहाना में लकड़ी के विकल्प न्यू वुड बनाने के उद्योग स्थित हैं।
अन्य औद्योगिक केन्द्रों में पलवल में चीनी, रेवाड़ी में पीतल के बर्तन, कैथल में फाउंडरी कारखाने में लगने वाली मशीनें, कुरुक्षेत्र में चीनी और चावल की मिलें, करनाल में टेलिफोन केबल्स और लिबर्टी जूते के कारखाने, पिंजौर में हिन्दुस्तान मशीन टूल्स व सीमेंट बनाने का कारखाना है। हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में कपास की गांठ बनाने, जीन्द के पास पांडूपिंडारा में सूती तथा कृत्रिम धागा बनाने का संयत्र स्थापित किया गया है।

हरियाणा के उद्योगों की वस्तुस्थिति

हरियाणा औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। सरकार उचित वातावरण तैयार करने में प्रयासरत है। औद्योगिक निवेश की ओर आर्किात करने के लिए विशेष सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जा रहा है। हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं सरंचनात्मक विकास निगम  ने हरियाणा में नई औद्योगिक नीति विकसित की है। औद्योगिक नीति 2015 के अन्तर्गत निवेश के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत निवेशकों को आमंत्रित किया गया है। हरियाणा सरकार द्वारा आनलाइन रजिस्ट्रेशन एकल खिड़की योजना, ईरजिस्ट्रेशन फिलिंग तथा ईपेमेन्ट आदि योजनाएं घोषित की गई हैं। हरियाणा में कौशल विकास के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हरियाणा में प्रक्रियाओं के सरलीकरण एवं पारदर्शिता पर ज़ोर दिया जा रहा है।

हरियाणा में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं संरचनात्मक विकास निगम  किया गया है। उपर्युक्त एजेंसी आवश्यकता आधारित विकास के लिए भी उतरदायी होगी। राज्य सरकार नियमित सुविधाएं प्रदान करने पर केन्द्रित रहेगी। इलेक्ट्रानिक सेवाएं ईसुविधा निश्चित समय के भीतर प्रदान की जाएगी। एकल बिन्दु सम्पर्क संसाधन के रूप में सूचनाएं एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तथा निवेश प्रोत्साहन केन्द्र के रूप में दिल्ली और चण्डीगढ़ दो स्थानों पर केन्द्र स्थापित किए गए हैं। ये केन्द्र आवेदन की संस्कृति एवं पंजीकरण में संगठनों की सहायता करेंगे।

1. उद्योग एवं सेवा केन्द्र: लघ्ाु एवं मध्यम दर्जे के उद्योगों को औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास में सहायता देने के लिए हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं संरचनात्मक विकास निगम घउभ्ैप्प्क्ब्फझ सेवा केन्द्र खोलने के लिए निर्देशित किया गया है।

2. राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति : प्रधान सचिव उद्योग की अध्यक्षता में प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है।

3. निवेशक सुविधा प्रोत्साहन : राज्य ने नियम और प्रक्रिया को सरल बनाते हुए निवेशकों को सुविधाएं प्रदान की हैं। सरकार द्वारा निवेशकों की सुविधा के लिए समयबद्ध निपटान  के निर्देश दिए गए हैं। सभी शहरों और कस्बों को टेलिकाम सुविधाओं से युक्त किया गया है। सभी गांव पक्की सड़कों तथा मोटर वाहनों द्वारा शहरों से जुड़े हैं।

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को सुविधाएं प्रदान की गई हैं। कुछ शर्तों के आधार पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को ब्याज रहित ॠण की सुविधा प्रदान की गई है। मार्केट फीस से छूट, बिजली डयूटी से छूट, स्टाम्प डयूटी से कम अदायगी, आबकारी कर में छूट प्रदान की गई है।

हरियाणा की औद्योगिक नीति

राज्य की अर्थव्यवस्था सकल उद्योगों का सकल घरेलू उत्पाद का 27 प्रतिशत योगदान है।

1. नई उद्योग नीति  :
अगस्त 2015 में लागू की गई नीति के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद 8 प्रतिशत से अधिक तथा 1 लाख करोड़ का निवेश 4 लाख लोगों को रोजगार तथा हरियाणा को निवेश के लिए प्रमुख निवेशक स्थल के रूप में लक्ष्य निर्धारित किया गया। इस नीति के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं:

* व्यापार का सरलीकरण
* प्रतिस्पर्धात्मक व्यापार को प्रोत्साहन
* उद्योगों के संतुलित भौगोलिक वितरण से संतुलित क्षेत्रीय विकास
को प्रोत्साहन
* सूक्ष्म, लघ्ाु एवं मध्यम दर्जे के उद्यमों को प्रोत्साहन

* उपर्युक्त नीति को प्रोत्साहन लागू करना
* शिकायत निवारण तथा लगातार उद्योगों के सम्पर्क में रहना

2. निर्बाध: हरियाणा में ‘निर्बाध’ स्कीम लागू की गई है। इसमें समयबद्ध निपटान, स्वत: प्रमाणन तथा ज्ीपतक च्ंतजल टमतपपिबंजपवद की व्यवस्था है। इस स्कीम के तहत सभी निपटान सम्बन्ध अनुमोदन एक प्रक्रिया के तहत एक ही छत के नीचे समयबद्ध ढंग से प्रदान किए जाते हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में भ्ंतलंदं म्दजमतचतपेमे च्तवउवजपवद ठवंतक स्थापित किया गया है। इसके अन्तर्गत हरियाणा में 31 छव् ब्स्क् ठस्व्ब्ज्ञ तथा 75 न्ज्व् ब्स्क् ठस्व्ब्ज्ञै निर्धारित किए गए हैं।

3. फाईन: यह स्कीम व्यापार करने के खर्चों के कम करने के लिए बनाई गई है जिसमें प्रोत्साहन राशि घउप्दबमदजपअमेफझ को देने तथा हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं सरंचनात्मक विकास निगम द्वारा अलाट किए गए प्लाटों की भविष्य में कीमत न बढ़े, उद्योगोें को स्थानीय युवाओं को रोजगार देने हेतु प्रोत्साहन करने के लिए 36000 प्रतिवर्ष की सब्सिडी दी जाती है।

4. विस्तार :इस स्कीम के तहत सूक्ष्म, लघ्ाु व मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने हेतु वैटए ब्याज, स्टाम्प डयूटी, टैक्स, आडिट असिस्टंस व रेटिंग में 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।

5. प्रणेता 
इस योजना के तहत तकनीकी रूप से सक्षम व शिक्षित तथा पेशेवर म्दजमतचतमदमनत की 3 वर्ष तक राज्य सरकार को 3 करोड़ रुपये तक राज्य कर की अदायगी नहीं करनी पड़ेगी तथा हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं सरंचनात्मक विकास निगम भ्ैप्प्क्ब् द्वारा 25 प्रतिशत प्लाट निर्धारित सेवाओं हेतु निर्धारित किए जाएंगे।

6.महा निवेश योजना 
इस योजना के तहत बड़े निवेश को प्रोत्साहन देने हेतु विशेष सुविधाएं दी गई हैं जिनमें न्यूनतम 500 एकड़ भ्ाूमि तथा न्ैक् 1 बिलियन घउ6000 करोड़ रूपये का निवेश अपेषित है।

7. (EMP)2015
नई औद्योगिक नीति 2015 के अन्तर्गत  वर्तमान अर्थव्यवस्था औद्योगिक निवेश को ध्यान में रखते हुए कुछ परिवर्तन के साथ नई अलाटमेंट प्राथमिकता के आधार पर औद्योगिक प्लाटों का आबंटन तथा इससे सम्बंधित कार्यों के शीघ्र निपटान की व्यवस्था की गई है।

हरियाणा अपनी संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है। राज्य अपनी प्रसिद्ध लोक कथाओं और वैदिक प्रसंगों के लिए पहचाना जाता है। हरियाणा की सीमाएं पूर्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में पंजाब, उत्तर में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में राजस्थान से मिलती हैं। राज्य तीन दिशाओं से दिल्ली को घेरे हुए हैं। हरियाणा की अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय प्रगति की है जिसमें सर्वाधिक योगदान उद्योगों का है। सन 2014-15 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में उद्योगों का 27 प्रतिशत योगदान रहा है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्यों को मानक मानकर 2013-14 में 3889166 मिलियन रूपये था जबकि 2014-15 में 4353100 मिलियन रुपये रहा। राज्य में वार्षिक वृद्धि दर 2013-14 में 7.0 प्रतिशत थी जबकि 2014-15 में बढ़ कर 7.8 प्रतिशत हो गई। यदि हम हरियाणा का राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन करें तो औसत वार्षिक वृद्धि दर  2001 से 2010 के दशक के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 7.37 प्रतिशत थी जबकि हरियाणा की वृद्धि दर 8.95 प्रतिशत थी 2010-11 से 2013-14 तक राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धि दर 6.20 प्रतिशत थी जबकि हरियाणा की वृद्धि दर 6.99 प्रतिशत थी। राज्य में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्यों को मानक मानते हुए 2013-14 में 133427 से बढ़ कर 147076 रुपये हो गई है। हरियाणा का राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान लगभग 3.5 प्रतिशत है। भ्ाूभाग व जल के कुशलतापूर्ण उपयोग से तकनीकी उन्नतिकरण व सुधार हेतु प्रेरित करते हुए श्रम सुधारों को प्रभावपूर्ण लागू करके तथा मजबूत वित्तीय आधारभ्ाूत सुविधाओं को प्रोत्साहित करके हरियाणा आगे बढ़ रहा है तथा भविष्य में भी प्रगति अपेक्षित है। निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि जिस प्रकार हरियाणा सभी क्षेत्रों में अपनी विरासत सर्वोच्च बनाए हुए है उसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में भी राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर अवर्णनीय प्रगति पर है। औद्योगिक क्षेत्र में हरियाणा का योगदान राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय है, जिस पर हरियाणा वासियों और देशवासियों को गर्व है।

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