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मंगल ग्रह की ओर उड़ान भरने वाला उद्यमी- मिहिर घोटीकर

मंगल ग्रह की ओर उड़ान भरने वाला उद्यमी- मिहिर घोटीकर

by अमोल पेडणेकर
in अप्रैल -२०१६, साक्षात्कार
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“इसरो ने जो यान मंगल ग्रह पर भेजा है; उसमें हमारे उत्पादनों का उपयोग हुआ है। रॉकेट लांचिंग स्टेशन पर दो प्रकार के सिस्टम होते हैं। पीएसएलवी और जीएसएलवी। इन दोनों में एकॉस्टिक सेपरेशन सिस्टम लगता है। …जब यान अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरता है तब बहुत तेज आवाज होती है। इस आवाज के कारण उपग्रह के इक्वीपमेंट्स को नुकसान हो सकता है। वह नुकसान न हो इसके लिए हमारी तकनीक मदद करती है।”

क्या आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि उद्योग की थी?

मेरे दादाजी प्रिंटिंग का व्यवसाय करते थे। मेरा बचपन मुंबई के उपनगर विलेपार्ले में बीता। मैं तिलक पॉलीटेक्निक स्कूल का विद्यार्थी था। मेरी मां एवं पिताजी दोनों नौकरी करते थे। दादाजी को छोड़ कर इन दो पीढ़ियों में कोई भी व्यवसाय से सम्बंधित नहीं था। मैं इंजीनियर बनने के बाद आगे की पढ़ाई हेतु अमेरिका गया। वहां शिक्षा पूरी कर मैं टेक्नलॉजी असिस्टेंट के पद पर नौकरी करने लगा। मेरी पत्नी भी अमेरिका में पढ़ रही थी। उसके पिताजी की एच.डी.फायर प्रोटेक्शन नामक कंपनी थी। उन्हें अपने उद्योग का विस्तार करना था। निर्यात बढ़ाना था। हमारे पास वह तकनीकी ज्ञान था। उनकी इच्छा थी कि हम दोनों इस व्यवसाय में अपना योगदान दें। हमारे ज्ञान के माध्यम से यह व्यवसाय प्रगति करें।

हमें भी अपने ज्ञान का उपयोग अपने देश के विकास हेतु करना था। हम दोनों अमेरिका से भारत आ गए और एच.डी.फायर प्रोटेक्शन को सम्भालना प्रारंभ किया। छह साल पूर्व जब मैंने इस उद्योग की कमान सम्भाली तब कंपनी का टर्नओवर लगभग 20 करोड़के आसपास था। आज वह 130 करोड़ तक पहुंच गया है। उस समय निर्यात कुछ भी नहीं था; जबकि आज हम 56 देशों में हमारे उत्पाद और टेक्नालॉजी पहुंचा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की आवश्यकता को ध्यान में रखकर हमने उत्पादन प्रारंभ किया और उसका परिणाम हमें सकारात्मक मिला।

एच.डी.फायर प्रोटेक्शन कम्पनी क्या कार्य करती है?

हम वाटर एवं फोम बेस्ड फायर फायटिंग प्रोडक्स बनाते हैं। जिस जगह अत्यंत ज्वलनशील पदार्थों का उत्पादन होता है अर्थात जहां-जहां तेल उत्पादन प्रक्रिया होती है या उत्पादनों का आग से संपर्क आता है वहां वहां हम हमारे उत्पादन पहुंचाते हैं। भारत में सभी रिफायनरीज में हमारे उत्पादों का उपयोग होता है। रिलायंस इन्डस्ट्रीज, अधिकतर हवाई अड्डों, देश के प्रमुख होटलों में हमारी तकनीक और उत्पादनों का प्रयोग होता है। हमारी तकनीक इंजीनियरिंग क्षेत्र से सम्बंधित है। जहां आग एवं तेल का सम्बंध है वहां यह तकनीक अत्यंत आवश्यक है। यदि किसी रिफायनरी में आग लगती है तो हमारी तकनीक से उसका तुरंत पता लगता है और उस स्थान पर पानी की बौछार शुरू हो जाती है। यह प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है। हमारे इस तकनीक को अमेरिकन स्टेंडर्ड सर्टिफिकेट की मान्यता है। इस मान्यता के कारण हमने अपने उत्पादको 56 देशों तक पहुंचाया हैं। और आगे अन्य देशों में पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। सउदी अरब, कुवैत, ओमान, कतार, सिंगापुर, मलेशिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, मेक्सिको तथा अन्य कई देशों में हम पहुंच चुके हैं।

इन छह वर्षों में आपकी कंपनी ने ऐसे कौन से काम किए हैं, जिस पर आप गर्व कर सकें?

हाल ही में हमने ऐसा काम किया है। हम इसरो से जुड़े हैं। इसरो ने जो यान मंगल ग्रह पर भेजा है; उसमें हमारे उत्पादनों का उपयोग हुआ है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। रॉकेट लांचिंग स्टेशन पर दो प्रकार के सिस्टम होते हैं। पीएसएलवी और जीएसएलवी। इन दोनों में एकॉस्टिक सेपरेशन सिस्टम लगता है। यह सिस्टम नासा के पास है। भारत में यह तकनीक नहीं थी। इसरो को यह तकनीक लांच करनी थी। जब यान अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरता है तब बहुत तेज आवाज होती है। इस आवाज के कारण उपग्रह के इक्वीपमेंट्स को नुकसान हो सकता है। वह नुकसान न हो इसके लिए हमारी तकनीक मदद करती है। इस आवाज की क्षमता कम करने हेतु वाटर जेट का उपयोग किया जाता है। उस वाटर जेट हेतु जो नोजल लगते हैं उसकी पूर्ति हम करते हैं। हम काम करते समय केवल अपने लाभ का विचार नहीं करते वरन हमारा योगदान किन मूल्यों के लिए हैं इसका भी विचार करते हैं। और इसी मार्ग पर हम आगे भी अग्रसर रहेंगे।

फायर प्रोटेक्शन के संदर्भ में भारतीय औद्योगिक जगत कितना जागरुक है?

किसी भी उद्योग की स्थापना का विचार करते समय अन्य सभी बातों को ध्यान में रख कर बजट निश्चित किया जाता है। प्रोजेक्ट कॉस्ट करते समय, भवन निर्माण से लेकर अन्य सभी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाता है; परंतु जिसके कारण इन सबको नुकसान हो सकता है ऐसी ‘आग’ का विचार नहीं किया जाता। इस आग से स्वत: का एवं इस सभी रचना का संरक्षण हो सके ऐसी व्यवस्था करने हेतु बजट में प्रावधान नहीं रखा जाता। और यदि होता भी है तो अत्यंत अल्प। यह गलत है। अपने प्रकल्प की रचना करते समय प्रारंभ में ही अग्निरोधक संरचना का विचार महत्वपूर्ण है। वहां उसका उपयोग होता ही है। सरकार ने उस कानून में प्रावधान ही किया है कि यदि प्रकल्प शुरू करने हेतु प्रमाणपत्र चाहिए तो फायर फायटिंग सिस्टम लगाना ही होगा। इसका उपयोग हो रहा है। परंतु केवल कानून का विचार न करते हुए अपने फायदे हेतु फायर फायटिंग सिस्टम का विचार होना अत्यंत आवश्यक है।

एच.डी. फायर प्रोटेक्शन को उसके विशिष्ट कार्य हेतु विविध पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उसके बारे में कुछ बताएं।
सच कहें तो दूसरों के लिए कार्य करने का सौभाग्य मिलना ही हमारा सबसे बड़ा पुरस्कार है। गत तीन वर्षों में हमें विविध पुरस्कार मिले। सरकारी क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी ने जब हमारी रेटिंग की तब उन्हें प्रति वर्ष 20 से 25 प्रतिशत की प्रगति नजर आई। गत छह सालों से यह प्रगति हो रही है। इस कारण उन्होंने हमारा नाम पुरस्कार हेतु सरकार को प्रस्तावित किया। भारत की ग्रोइंग कंपनी केरूप में मिले पुरस्कार से तीन वर्ष पूर्व पुरस्कारों की शुरूआत हुई। “इंडिया स्माल जाइंट्स अवार्ड” भारत के उद्योग मंत्री कलराज मिश्रा के हाथों प्राप्त हुआ। टाइम्स ग्रुप पुरस्कार, इंडियन टॉप हार्डेट्स पुरस्कार लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के हाथों मिला। एसोचेम पुरस्कार, फेडरल बैंक पुरस्कार ऐसे विविध पुरस्कारों से हमारी संस्था पुरस्कृत हुई है। गोल्डन महाराष्ट्र पुरस्कार, निर्यात में एक्सेलेंस पुरस्कार हमें प्राप्त हुआ है। छह वर्षों में उन्नति करने वाली कंपनी के उत्कृष्ट उत्पादन, सफलतम सौ में से एक कंपनी, बेस्ट एक्सपोर्ट इत्यादि विविध कार्यों के लिए हमें पुरस्कार प्राप्त हुआ है। छह वर्ष पूर्व जब हम इस व्यवसाय में शामिल हुए थे तब का 20 करोड़ का टर्नओवर आज 130 करोड़ तक पहुंच चुका है। यह देख कर आत्मिक संतुष्टि होती है एवं भविष्य में कार्य हेतु बल भी मिलता है।

आपकी इस प्रगति का राज क्या है?

किसी भी उद्योग को सफल करने हेतु कल्पनाशीलता व परिश्रम का मेल होना आवश्यक है। इस उद्योग में प्रवेश करते समय इसे संपूर्ण विश्व में फैलाने का संकल्प हमने किया था। हमारे उत्पादनों की बराबरी करने वाली विश्व में तीन कम्पनियां हैं। उन कम्पनियों के कौशल, प्रोडक्ट क्वालिटी तथा वितरण पर हमने ध्यान केंद्रित किया। उनके उत्पादनों की अपेक्षा अधिक अच्छी क्वालिटी के उत्पाद हम कैसे बना सकेंगे इसका अध्ययन किया। आवश्यक तकनीक विकसित की और हमें सफलता प्राप्त हुई। आज हमारा अंतरराष्ट्रीय टर्नओवर देश के आंतरिक टर्नओवर की अपेक्षा अधिक हैैं। यदि हमारा प्रतिस्पर्धी अधिक उत्कृष्ट है तो अपना भी विकास होता जाता है। इसलिए प्रतिस्पर्धी भी हमने विश्व के पहले तीन क्रमांक के चुने।

उद्योग में आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

वर्तमान में हम 56 देशों की रिफायनरिज को हमारी तकनीक एवं उत्पादन वितरित करते हैं। भविष्य में ये अधिकतम देशों तक हो यह हमारा लक्ष्य है। वर्तमान में तेल उत्पादन में मंदी है। साथ ही खाड़ी के मुस्लिम देशों की समस्याओं का हमारे उद्योग पर परिणाम होने की आशंका है। तकनीकी ज्ञान रखने वाले इंजीनियर हमारे यहां तैयार हो रहे हैं; परंतु कार्यकुशलता (स्किल) न होने का परिणाम हमारे उद्योगों पर हो रहा है। हमारा कारखाना जलगांव में स्थित है। जलगांव जैसे ग्रामीण जिले में आने के लिए इंजीनियर तैयार नहीं होते हैं। इसलिए भविष्य में दूसरी जगह कारखाना प्रारंभ करने का विचार हम कर रहें हैं। भविष्य में प्रगति हेतु यह करना आवश्यक है।

आज “मेक इन इंडिया” की चर्चा सभी ओर हो रही है। आप इसकी ओर किस दृष्टिकोण से देखते हैं?

मुझे गर्व है कि मैं ‘मेक इन इंडिया’ का एक हिस्सा हूं। मैं विश्वभर में उपयोग किए जाने वाले उपकरण जलगांव जैसे ग्रामीण भाग में निर्मित कर रहा हूं। उसका वितरण भारत सहित संपूर्ण विश्व में हो रहा है। इसलिए मैं इस योजना में सहभागी एक “कृतिशील उद्यमी” हूं। मेरे कार्यालय में ‘मेक इन इंडिया’ का प्रतीक चिह्न मैंने सब ओर लगाया है। ‘मेक इन इंडिया’ के कारण भारतीय उत्पादों की विशेषता संपूर्ण विश्व में पहुंच रही है। विश्व के बाजार में भारतीय उत्पादों का निर्यात बढ़ा है। भारतीय उत्पादों की ओर देखने की दृष्टि बदली है। परंतु उद्योग प्रारंभ करने से लेकर विभिन्न स्तरों पर आवश्यक अनुमतियां लेना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला काम है। वैसे ही उद्योग की गति को धीमा करने को प्रोत्साहन देने वाला है। ‘सिंगल विन्डो पॉलिसी’ की नितांत आवश्यकता है। उसके कारण उद्योग को गति मिलेगी। ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता हेतु उद्योग क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त होना अति आवश्यक है, ऐसा मुझे लगता है। ‘सिंगल विण्डो क्लियरेंस’ इसमें सहायक हो सकता है।

आप युवा हैं, युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्या आप मोदी सरकार आने के बाद कुछ परिवर्तनों का अनुभव कर रहे हैं?

हां। केन्द्रीय स्तर पर थोड़ा बहुत परिवर्तन हुआ है। परंतु राज्य स्तर पर ऐसा नहीं लगता। जी एस टी आएगा कहते थे, परंतु दो साल से यह लंबित है। आक्ट्राय मुंबई से जाएगा ऐसी अपेक्षा थी, परंतु वह भी वैसा ही है। स्वच्छ भारत टैक्स लाकर जितने टैक्स पहले से थे उनमें एक और टैक्स की बढ़ोतरी की गई। एन्टप्रिन्योर की शक्ति उत्पादन वृद्धि में लगाना चाहिए या इन करों का विचार करने में; इस पर मंथन करने की आवश्यकता है। ‘परिवर्तन के स्वप्न’ प्रत्यक्ष में उतारने की आवश्यकता है। परिवर्तन का फायदा प्रत्यक्ष उद्योग जगत को कब मिलेगा इसका हम भी इंतजार कर रहे हैं।

भविष्य को देखते हुए आपका लक्ष्य क्या है?

हमारी संस्था का नाम फायर प्रोटेक्शन इंडस्ट्रीज की सर्वोत्तम कंपनी के रूप लिखा जाए, यही हमारा लक्ष्य है।

जिन युवकों को कुछ करने की इच्छा है उन्हें आप क्या संदेश देंगे?

कई बार हम स्वयं को हीन आंकते हैं। यह दृष्टिकोण बदलना पड़ेगा। आत्मविश्वास से यदि कदम बढाए, सर्वोत्तम की ओर जाने की यदि महत्वाकांक्षा रखें तो यश निश्चित मिलेगा। पर इसके लिए कल्पनाशीलता एवं परिश्रम महत्वपूर्ण है। जब मैं उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका गया तब मेरा स्वप्न था कि जिस किसी भी क्षेत्र में मैं काम करूं वहां सर्वोत्तम करूं। आज मैं उसी राह पर हूं।

अमोल पेडणेकर

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