ममता दीदी हैं लेडी जिन्ना (बंगाल को लेडी जिन्ना से बचाओ)

बंगाल चुनाव के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसक अपहरण लोकतंत्र का अपमान था। हिंदुओं को बेरहमी से मारा गया। इससे पहले बंगाल में, मुहम्मद अली जिन्ना की अध्यक्षता में, मुसलमानों ने हिंदुओं को सताने के लिए डायरेक्ट अँक्शन का आह्वान किया था, माताओं और बहनों की गरिमा को लूटा, हिंदू पुरुषों को भेड – बकरियों की तरह मार डाला, और बच्चों पर कोई दया नहीं दिखाई। ममता दीदी अलग क्या कर रही हैं? इस न्याय से ममता दीदी को लेडी जिन्ना कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी! आज़ादी से पहले भारत के विभाजन के जो महत्वपूर्ण कारण थे उसमे से एक था मुस्लिम तुष्टिकरण। जिसके कारण मुस्लिमों के मन में स्वतंत्र राष्ट्र की भावनाओं को भड़काया गया, और यह सफर पाकिस्तान के निर्माण तक आ पहुंचा। इस सफर के मुख्य जनक थे मुहम्मद अली जिन्ना। बंगाल में आज जिस प्रकार की घटनाएं हो रही है, उसे देखते हुए, अलगाववाद की भावनाओं को पुष्टि देने का कार्य लेडी जिन्ना माने ममता दीदी कर रही है, ऐसा कहना गलत नही माना जाएगा।

*दुष्ट राजनीति का रक्तरंजित प्रयोग*

बंगाल की सत्ता के वामपंथियों से छीनने के बाद, सभी को उम्मीद थी कि ममता दीदी अच्छी तरह से शासन करेंगी। लेकिन ममता दीदी वामपंथियों से भी बुरी निकलीं। ममता दीदी ने शुरू किया खूनी खेल । वो जानती थीं कि हिंदुओं की राय बंटी हुई है, लेकिन मुसलमानों की राय एकजुट है। इसलिए उसने अपना ध्यान मुसलमानों की ओर लगाया और उन्हें यथासंभव आक्रमक होने दिया। अब, हाल के बंगाल परिणामों से, हम समझते हैं कि मुसलमानों ने बड़ी संख्या में दीदी को वोट दिया है। लेकिन हिंदुओं के विचार बंटे हुए हैं, इसका राजनीतिक झटका भाजपा पर पड़ा है। चुनाव की शुरुआत में एक यूट्यूब चैनल (जिसमें मराठी पत्रकार भाऊ तोरसेकर भी शामिल थे) पर एक पत्रकार ने कहा कि चुनाव के बाद बंगाल में भारी हिंसा होगी। अगर दीदी जीतती हैं, तो टीएमसी के गुंडे खुलेआम दंगा करेंगे और अगर दीदी हार गईं तो वे लोगों में असंतोष फैलाएंगे और उन्हें आपस में लड़वाएंगे। चुनाव के बाद यही हुआ, भारत के दुर्भाग्य से दीदी चुनाव जीत गईं और उन्होंने अपनी कुरूपता दिखाई। भाजपा का दफ्तर जला दिया गया, हिंदुओं को चीटियों की तरह मारा पीटा गया। हिंसा के डर से अनुमानित १ लाख लोग असाम भाग गए हैं। याचिका में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर ममता सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा, “हिंसा के डर से बंगाल के लोगों का पलायन एक गंभीर मुद्दा है। इन लोगों को दयनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।” । इससे समझ आता हैं कि यह मामला कितना गंभीर है।

*मुख्यमंत्री पुरस्कृत अराजकता*

सीबीआई द्वारा नारदा स्टिंग मामले में टीएमसी मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत बनर्जी और विधायक मदन मित्रा को गिरफ्तार करने के बाद, टीएमसी के गुंडों ने सीबीआई कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद ६ घंटे वहां बैठी रहीं। ममता ने खुदको गिरफ्तार करने की सीबीआई को चुनौती दी। इस बीच ममता दीदी के गुंडों ने सीबीआई कार्यालय पर पथराव किया। पत्थर के साथ बोतलें व अन्य सामान भी फेंका गया। पथराव के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट किया कि सीबीआई कार्यालय के बाहर पत्थर फेंके जा रहे हैं, लेकिन कोलकाता पुलिस चुप है। उन्होंने मामले को तेजी से निपटाने की अपील की। माननीय राज्यपाल ने कहा, “यह अराजकता है, पुलिस और प्रशासन चुपचाप देख रहे हैं। ममता अपने गुंडों को बचा रही हैं, उनके नेता कल्याण बनर्जी राज्यपाल को धमकी दे रहे हैं।” इस पर कल्याण बनर्जी ने कहा, “हम जानते हैं कि हम उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं कर सकते हैं। हम लोगों से राज्यपाल के खिलाफ मामला दर्ज करने की अपील करते हैं, क्योंकि राज्यपाल हिंसा और अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, ‘ २०२४ के बाद बीजेपी के कई नेता जेल जाएंगे। इस पर राज्यपाल ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने लिखा,

“He is senior Functionary @AITCofficial @MamataOfficial
He is Senior Parliamentarian @LokSabhaSectt.
He is Senior Advocate @barcouncilindia @barandbench.
Just stunned but leave the matter to sound discretion of cultured people of West Bengal and media
@PTI News @IndEditorsGuild”.

अब बताओ, क्या बंगाल में लोकतंत्र है? ममता दीदी बंगाल की मालकिन की तरह व्यवहार कर रही हैं। टीएमसी के गुंडों के प्रकोप पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कटाक्ष किया है. “यदि बंगाल में कानून तोड़ा जा रहा है, तो सीबीआई ममता बनर्जी और उनके मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।” इन सब को देखते हुए साफ है कि बंगाल संकट के कगार पर है। भारत में आम लोग ममता दीदी से नाराज़ हैं। पूरे भारत में चर्चा चल रही है कि ममता दीदी लोकतंत्र का गला घोंट रही हैं।

*टीएमसी कार्यकाल में हिंसा का इतिहास*

कभी गुरु रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम से जाना जाने वाला बंगाल अब दंगाइयों के घर के रूप में जाना जाता है। बंगाल में दीदी के राज्य में हुई यह हिंसा कोई नई बात नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, २०१३ में राजनीतिक आतंकवाद के कारण २६ लोग मारे गए थे।

२०१५ में, १३१ घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें १८४ लोग हिंसा के शिकार हुए।
२०१६ में, बंगाल में राजनीतिक आतंकवाद की ९१ घटनाएं हुईं, जिसमें २०५ लोग हिंसा का शिकार हुए।
बंगाल में अच्छे उद्योग नहीं हैं, कृषि से अधिक लाभ नहीं होता है, इसलिए बेरोजगार युवा राजनीतिक दलों की ओर आकर्षित होते हैं और हिंसा के शिकार हो जाते हैं! यह बंगाल की वर्तमान बदसूरत तस्वीर है। वामपंथी राज्य में हिंसा पर किसी का ध्यान नहीं जा सकता, लेकिन ममता के गुंडे खुलेआम हमले कर रहे हैं। इतना ही नहीं दीदी के राज्य में धार्मिक दंगे भड़क उठे हैं।
२०१६ में, धूलागढ़ में धार्मिक दंगे हुए, कई घर तबाह हो गए।

२०१३ में नलियाखाली दंगों में २०० से अधिक हिंदुओं के घर जला दिए गए थे। गौरतलब है कि न केवल घर बल्कि मंदिरों को भी नुकसान पहुंचा है। स्थानीय प्रशासन ने पत्रकारों को दंगों को कवर करने की अनुमति नहीं दी। कैमरा बंद था, ३ महीने तक किसी को वहां जाने की इजाजत नहीं थी। उत्पीड़ित हिन्दुओं को आज भी न्याय नहीं मिला है। गुजरात दंगों के बाद खुद को प्रगतिशील कहने वाले पत्रकारों या विचारकों ने दंगों के बारे में एक सरल शब्द भी नहीं कहा है और ममता दीदी ऐसे कई धार्मिक दंगों, नरसंहारों और राजनीतिक हिंसा को पचा रही हैं।

मराठी में रचित गीत रामायण में, ग. दि. माडगूलकर ने कैकेयी को “माता ना तू, बैरी” के रूप में वर्णित किया है। बंगाल की नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री को देखते हुए इस गीत पर आधारित “दीदी ना तू, भक्षिणी” जैसे शब्दों में ममता दीदी का वर्णन करना किसी के लिए भी गलत नहीं होगा। यदि आप दीदी के वर्णन का उत्तर ग. दि. माडगूलकर की शैली में देना चाहते हैं …..

“भारत भूमि की कन्या नहीं तू, नहीं हमारी दीदी
भड़काती हैं हिंसा तू, ऐसा क्यों है करती?
छल हिंदुओं का करती हो, बहन होती ऐसी?
दीदी ना तू, भक्षिणी… दीदी ना तू, भक्षिणी…”

हमारी भारतीय संस्कृति में दीदी शब्द का बहुत महत्व है। दीदी का मतलब बड़ी बहन है… बड़ी बहन कौन है? जो छोटे भाई-बहनों को बच्चों की तरह प्यार और पालन-पोषण करती है। वह इतिहास में ऐसी बहन बनी हैं। उनका और बंगाल का भी रिश्ता है। उनकी बहन का नाम भगिनी निवेदिता है, जो स्वामी विवेकानंद की शिष्या थीं… वे लंदन की सभी सुख-सुविधाओं को छोड़कर भारत आ गईं और उन्होंने भारतीय लोगों की सेवा की, उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। एक तरफ भगिनी निवेदिता है, तो दूसरी तरफ है ये बहन ममता बॅनर्जी, जिसका नाम ममता है, लेकिन सच्ची ममता, प्यार का जरा भी लवलेश उसमे नहीं है! इसके विपरीत पवित्र शब्द दीदी को बदनाम करने का कार्य इसी महिला द्वारा किया जा रहा है। हमारी संस्कृति ने हमें महिलाओं का सम्मान करना सिखाया है। दीदी एक औरत है तो दीदी की आलोचना करते हुए मुझे भी तकलीफ होती है! लेकिन अब कोई इलाज नहीं है। हमें इस राक्षसी कृत्य के खिलाफ खड़ा होना चाहिए!

*कथित सेकुलर्स का स्युडो सेक्युलरिज्म*

आज या चुनाव से पहले हुई हिंसा के खिलाफ किसी भी सेकुलर नेता ने एक भी शब्द नहीं कहा है। माननीय भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने छद्म धर्मनिरपेक्षता शब्द का उच्चारण किया था, जो बेहद सटीक है। ममता दीदी खुद को ब्राह्मण कहती हैं, यह भी कहती हैं कि हम चंड़ीपाठ करते हैं, लेकिन जब उनके सामने निर्दोष हिंदुओं को सताया जा रहा है, तो यह दीदी अपनी आंखों पर पट्टी बांधती हैं और राजनीतिक मलाईदार दूध पीती हैं। आज दीदी के डर से बीजेपी में आए कुछ लोग फिर से टीएमसी में जा रहे हैं। बंगाल में दीदी के खिलाफ चुनाव लड़ना मौत का निमंत्रण है। लेकिन इस मौत के निमंत्रण को स्वीकार कर कई लोग बीजेपी में शामिल हो गए और आम जनता ने बीजेपी का साथ भी दिया। अब उन्हें साथ निभाने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक शासक के रूप में ममता दीदी पूरी तरह से विफल रही हैं। लेकिन उनकी जीत का असली कारण मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं के मन में डर है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदुओं को संगठित किया और देशद्रोहियों को सबक सिखाया। स्वराज्य की स्थापना की, लेकिन भारत देशद्रोह का मानो अभिशाप है। छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद, संभाजी महाराज ने अच्छा शासन किया, लेकिन उन्हें राजद्रोह के कारण पकड़ लिया गया और औरंगजेब ने इस्लामी मान्यताओं के अनुसार संभाजी महाराज को प्रताड़ित और मार डाला। जब हिंदू योद्धा पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गोरी से लड़ रहे थे, जयचंद गोरी से मिले, उन्होंने पृथ्वीराज को धोखा दिया, इसलिए पृथ्वीराज मारे गए। हाल में भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी जहां पूरे भारत में एकता का माहौल बना रहे हैं, वहीं कुछ राज्यों में जयचंद उन्हें हटा ने की कोशिश कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा ने कश्मीर से ३७० और ३५ (ए) को हटाकर भारत को एकजुट किया। तीन तलाक, अब सीएए और आगे एनआरसी… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वातंत्र्यवीर सावरकर और महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सपने को पूरा करने पर केंद्रित हैं। लेकिन ममता बनर्जी जयचंद बन गई हैं और दंगाई देशद्रोहियों का समर्थन कर रही हैं। इतना ही नहीं यह अपनी ही पार्टी के युवाओं के हाथ दंगा करवा कर, कितने बंगाली युवाओं की जिंदगी तबाह कर रहा है।

*संवैधानिक लोकतंत्र के दीर्घकालीन रक्षा हेतु…*

मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन ममता दीदी सत्ता से जाएंगी। क्योंकि कंस कितना भी उपद्रव मचाये, भगवान श्रीकृष्ण हमेशा बदला लेने आते हैं! अँधेरे के बाद फिर से जीवन की मशाल जल उठती है उसी तरह ममता दीदी का अहंकार जरूर गिरेगा। दीदी लोकतंत्र की कितनी भी हत्या कर दें, हम उनके खिलाफ लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से लड़ते रहेंगे। हम में छत्रपति का खून बह रहा है, सावरकर का खून हम में बह रहा है… उन्होंने एक बड़ी क्रूर शक्ति के खिलाफ लड़ाई लड़ी। तो यह बहन कौन है? हम इस दीदी का अहंकार नष्ट कर दिखाना चाहते है। डा बाबासाहेब आंबेडकर के संवैधानिक मार्ग से… दीदी की आसुरी शक्ति के खिलाफ अगर आज हम एक साथ नहीं आए तो भारत को बेड़ियाँ पड़ जाएँगी। इतिहास खुद को दोहराएगा, लेडी जिन्ना एक बार फिर भारत को बांट सकेगी। बंगाल में कई बांग्लादेशी मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं। बंगाल को पाकिस्तान बनने में देर नहीं लगेगी। इसलिए मैं भारत के सभी लोगों से अपील करता हूं कि दीदी के अत्याचारी शासन के खिलाफ एक साथ आएं और संवैधानिक तरीके से विरोध करके उन्हें सबक सिखाएं… अगर इसे अभी नहीं रोका गया, तो यह विषाद बढ़ेगा और भविष्य में लोकतंत्र को खतरा होगा। इसलिए लोकतंत्र के हित में संविधान की दीर्घकालीन रक्षा के लिए मैं माननीय राष्ट्रपति से आग्रह करता हूं कि वे इस मामले पर गौर करें, साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह से भी इस पर अंकुश लगाने का आग्रह करता हूं। बंगाल में सत्ताधारी दल द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय, अलोकतांत्रिक आतंकवाद पर कठोर कदम उठाएं।

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