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गुजरातः हर सैर जहां उत्सव है

गुजरातः हर सैर जहां उत्सव है

by सौरभ शुक्ल
in प्रकाश - शक्ति दीपावली विशेषांक अक्टूबर २०१७, सामाजिक
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गुजरात आपकी रुचि के अनुसार हर क्षेत्र में पर्यटन की सुविधा देता है| चाहे आप की रुचि संस्कृति में हो, चाहे इतिहास में हो, चाहे अध्यात्म में हो, चाहे समुद्री तटों में हो या कि फिर वनों में- हर क्षेत्र में गुजरात आपके मनोविनोद और ज्ञान वर्धन के लिए हाजिर है|

गुजरात घूमने से पहले खुद से अपना परिचय होना जरूरी है| अपनी पसंद नापसंद को खूब अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए| थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन हमारी पसंद नापसंद, सोच, विचारधारा, खाने की रुचि, सामाजिक अभिरुचि के हिसाब से गुजरात घूमने के स्थान और समय निश्चित करने में आसानी मिलेगी|

अच्छा यह बताइए, आप किस मनोभाव के व्यक्ति हैं? मतलब आपकी रूचि सर्वाधिक किस बात में है?

क्या आप सांस्कृतिक अभिरुचि के हैं?

तो गुजरात घूमने के अपार अवसर हैं| गुजरात में प्रति वर्ष लगभग २०० उत्सव मनाए जाते हैं| बस आपको ध्यान रखना है छुट्टियों का| पूरे साल कोई ना कोई उत्सव, महोत्सव, मेला, चलता ही रहता है| कुछ बड़े उत्सवों से आपका परिचय कराता हूं|

 अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव:

यह महोत्सव हर वर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है| मकर संक्रांति के अवसर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव को स्थानीय भाषा में उत्तरायण कहा जाता है| अहमदाबाद में आयोजित होने वाले इस महोत्सव में देश विदेश के लगभग १ करोड़ लोग शामिल होते हैं| अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव गुजरात सरकार के वार्षिक आयोजनों का एक भाग बन गया है| वर्ष २०१२ में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस महोत्सव को नए आयामों पर पहुंचाया| पतंग उड़ाना गुजरात की प्राचीन परंपरा रही है| अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के माध्यम से पतंग व्यवसाय को भी बड़ा लाभ हुआ है| आज यह उद्योग ५०० करोड़ से अधिक का हो गया है| २०१८ में यह महोत्सव ७ से १४ जनवरी के बीच आयोजित किया जाएगा|

 मोढेरा डान्स फ़ेस्टिवल:

हर वर्ष जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में मनाया जाने वाला यह महोत्सव कला, संगीत और नृत्य का अनोखा उत्सव है| मोढेरा में सूर्य मंदिर है| पुरातात्विक दृष्टि से भी इस स्थान का बड़ा महत्व है| २०१८ में यह महोत्सव १९ से २१ जनवरी के बीच मनाया जाएगा|

 तरनेतर का मेला:

हिंदू तिथि से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पंचमी और षष्ठी को मनाए जाने वाले इस मेले का इतिहास २००-२५० साल पुराना है| हर वर्ष इसका आयोजन अगस्त-सितम्बर में सुरेंद्रनगर ज़िले के थानगढ़ में मनाया जाता है| लोक कला, संस्कृति, संगीत के साथ साथ लोक भावनाओं को संजो कर आयोजित किया जाने वाला यह मेला वर्ष २०१८ में २४-२७ अगस्त को आयोजित किया जाएगा|

 चित्र-विचित्र मेला:

साबरकांठा जिले के खेड़ब्रह्मा में आयोजित किया जाने वाला उत्सव मूलतः आदिवासियों के रहन-सहन, संस्कृति, खान-पान पहनावे को उजागर करता है| इसका आयोजन हर वर्ष होली के बाद १५ दिनों के लिए किया जाता है| उत्सव की सब से ख़ास बात यह है कि आदिवासी युवक-युवतियां इसी मेले में अपना जीवन साथी पसंद करते हैं| पिछले कुछ वर्षों से इस मेले में देश-विदेश के पर्यटक भी आते हैं और आदिवासियों के विविध रंगों से परिचित होते हैं|

 नवरात्रि:

नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि उत्सव विश्व का सब से लंबा नृत्य महोत्सव है| नवरात्रि में गुजरात के रंग देखते ही बनते हैं| इतने रंग एक साथ शायद ही किसी अन्य स्थान पर देखने को मिले| गुजरात का कोई भी कोना इससे अछूता नहीं रहता| गलियों और घरों में होने वाले इस नृत्योत्सव का आज एक वृहद और आधुनिक स्वरूप है जो गलियों से निकल कर बड़े-बड़े पार्टी प्लॉट्स में पहुंच गया है| अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और बड़ौदा ऐसे आयोजनों में अग्रणी हैं| हां, यह आयोजन शारदीय नवरात्रि में होता है, सामान्यतः अंग्रेज़ी महीने के सितम्बर-अक्टूबर में|

 रण उत्सव:

कच्छ के सफेद रण में मनाया जाने वाला कच्छ रणोत्सव कच्छ के साथ-साथ गुजरात की अनेक विविधताओं और रंगों को खुद में समाए होता है| टेंट का पूरा शहरनुमा नगर बसाया जाता है| आधुनिक सुविधाओं और परम्परागत आयोजनों का एक अद्भुत संगम इस उत्सव में देखने को मिलता है| इस वर्ष रण उत्सव का आयोजन १ नवम्बर से २० फरवरी तक किया गया है|

 कांकरिया कार्निवल:

अहमदाबाद शहर के बीचों बीच एक झील है जिसका नाम है कांकरिया| इसे सरकारी प्रयासों से एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया गया है| इस स्थान पर हर वर्ष २५ दिसम्बर से कांकरिया कार्निवल आयोजित किया जाता है| इसमें चिड़ियाघर, तितलियों का संग्रहालय और ट्वाय ट्रेन बच्चों के लिए खास आकर्षण बन जाते हैं|

यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं:

तो आपके लिए पक्षी अभयारण्य, वन्यजीव अभयारण्य, मानसून फेस्टिवल जैसे अनेक आकर्षण हैं|

सापुतरा मानसून फेस्टिवल:

बरसात के मौसम में एक महीने तक चलने वाला सापुतरा मानसून फेस्टिवल प्रकृति प्रेमियों, पैराग्लाइडिंग, रोपवे, रॉक क्लाईम्बिंग, कैमल राइडिंग, हॉर्स राइडिंग और बोटिंग के प्रेमियों के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है|

 पक्षी अभयारण्य:

खिजड़िया पक्षी अभयारण्य: जामनगर से लगभग १२ किमी दूर है| यहां पक्षी सितम्बर से फ़रवरी-मार्च तक पाए जाते हैं|

 नल सरोवर:

नल सरोवर गुजरात का सब से प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है| लगभग १२० वर्ग किलोमीटर में फैले सरोवर में जाड़े में लगभग २१० प्रकार के पक्षी अपना डेरा जमाए रहते हैं| पक्षियों को देखने के लिए इस स्थान पर भोर में जाना पड़ता है| बड़ी संख्या में सैलानियों को आकर्षित करने वाले इस सरोवर में सुबह ६ से शाम ५:३० बजे तक पक्षियों को निहारने की अनुमति है| कैमेरे के साथ प्रति व्यक्ति शुल्क भी लिया जाता है| तैयारी से जाना चाहिए|

 पोरबंदर पक्षी अभयारण्य:

भारत का एक मात्र पक्षी अभयारण्य जो शहर के बीचोबीच स्थित है| पोरबंदर का यह पक्षी अभयारण्य संभवत: सबसे छोटा पक्षी अभयारण्य है| इसका विस्तार १ वर्ग किलोमीटर का है|

 थोल लेक:

मेहसाणा ज़िले में स्थित थोल झील एक कृत्रिम झील है| १९१२ में इसका निर्माण सिंचाई के लिए किया गया था| १९८८ में इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया गया| थोल, १५० प्रकार के पक्षियों का निवास स्थान है|

आप समुद्र तट पसंद करते हैं?

तो जान लीजिए कि गुजरात के पास लगभग १६०० किमी का समुद्री किनारा है| पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई समुद्री किनारों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने का प्रयास किया गया है|

गुजरात के मुख्य समुद्री किनारे हैं: अहमदपुर मांडवी, जूनागढ़ ज़िले में स्थित हीय और केंद्र शासित दीव के क़रीब है|

दक्षिण गुजरात में सूरत के निकट स्थित डुमस समुद्र तट काली रेत के लिए जाना जाता है|

कच्छ-मांडवी का समुद्र तट बड़े-बड़े समुद्री जहाज़ों के लिए जाना जाता है|

द्वारिका और सोमनाथ समुद्र तट पर बसे हैं इन स्थानों पर अधिकांशत: ऐसे पर्यटक जाते हैं जो आध्यात्मिक अभिरुचि रखते हैं|

अच्छा हां,  गुजरात अनेक आध्यात्मिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है|

 यदि आपकी रुचि अध्यात्म में है:

गुजरात अध्यात्म के प्रति हमेशा से जागरूक रहा है| यहां वर्ष पर्यंत अनेक आध्यात्मिक गतिविधियां होती ही रहती हैं| सभी धर्मों के अनेक धार्मिक स्थल हैं जो सर्वधर्म समभाव की परिकल्पना को सार्थक बनाते हैं|

यदि आप इस क्षेत्र में आते हैं तो आप दो ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाएंगे|

 सोमनाथ:

गुजरात के समुद्री क्षेत्र में स्थित सोमनाथ १२ ज्योतिर्लिंग में प्रथम ज्योतिर्लिंग हैं| गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ का मंदिर विदेशी आक्रमणों के कारण १७ बार नष्ट हो चुका है| सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था| इस स्थान पर जाने के लिए गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से बस और ट्रेन सेवाएं सरलता से उपलब्ध हैं| ट्रेन से जाने के लिए वेरावल स्टेशन की ट्रेनें देखनी चाहिए|

 नागेश्वर:

गुजरात में एक और ज्योतिर्लिंग है नागेश्वर| यह मंदिर द्वारिका के बाहरी क्षेत्र में स्थित है| जामनगर से द्वारिका के रास्ते पर स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए सीधी बसें आसानी से उपलब्ध हैं| द्वारिका रेल्वे स्टेशन उतर कर नागेश्वर जाया जा सकता है| यहां से मंदिर की दूरी लगभग १७ किमी है|

द्वारिका:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण यहां आकर बस गए थे| यह स्थान भी समुद्री तट है| यह मंदिर सुबह ७ से १२:३० और शाम ५ से ९:३० बजे तक दर्शन के खुला रहता है| यहां जाने के लिए ओखा तक की ट्रेनें चलती हैं| जामनगर एयरपोर्ट यहां से १३७ किमी की दूरी पर है|

 गिरनार:

जूनागढ़ में स्थित गिरनार पर्वत आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है| गिरनार पर्वत के ५ शिखरों पर लगभग ८६६ हिंदू और जैन मंदिर हैं| सब से ऊपर के शिखर पर गुरु दत्तात्रेय का मंदिर है| वहां पहुंचने के लिए लगभग १०,००० सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं| ऐसा माना जाता है कि २२वें तीर्थंकर नेमिनाथ जी ने गिरनार पर्वत पर ७०० वर्षों तक तप किया था| यहां जाने के लिए बस और ट्रेन दोनों ही सेवाएं उपलब्ध हैं|

 अक्षरधाम:

गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित अक्षरधाम मंदिर भगवान स्वामिनारायण का मंदिर है| इस मंदिर में भगवान स्वामिनारायण के जीवन की प्रमुख घटनाओं की एक प्रदर्शनी है| प्रदर्शनी के लिए प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता है| इस मंदिर में भोजन की व्यवस्था के साथ मनोरंजन के लिए भी आयोजन किए गए हैं| नचिकेता के जीवन पर आधारित लाइट एंड फाउंटेन शो आकर्षण का केंद्र है जो शाम को आयोजित किया जाता है| एक पूरा दिन यहां बिताया जा सकता है|

 डाकोर:

अहमदाबाद से लगभग ८२ किमी की दूरी पर स्थित डाकोर में भगवान श्री कृष्ण के द्वारिकाधीश स्वरूप की श्री मूर्ति है| माना जाता है कि बोड़ाना नामक अपने भक्त को दर्शन देने भगवान स्वयं द्वारिका से डाकोर आए और डाकोर में रहे| अहमदाबाद और बड़ौदा दोनों ही शहरों से सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है|

क्या आप पुरातात्विक महत्व के स्थलों को पसंद करते हैं?

तो आपको यह जानना आवश्यक है कि भारत की प्रथम वर्ल्ड हेरिटिज सिटी का दर्जा गुजरात के एक शहर को यूनेस्को ने इसी वर्ष दिया है और वो शहर है अहमदाबाद|

यहां प्रति दिन हेरिटिज वॉक का आयोजन किया जाता है| जो कालूपुर क्षेत्र में स्थित प्राचीन स्वामिनारायण मंदिर से शुरू होकर जुम्मा मस्जिद पर समाप्त होती है| अहमदाबाद की प्राचीन कलाकृतियों, गलियों, सामाजिक परिवेश और सभ्यता का परिचय यहां मिलता है|

अहमदाबाद के पास ही अडालज की वाव है जिसे हम स्टेपवेल के रूप में जानते हैं| ये १५हवीं सदी में बनाई गई एक अद्भुत कलाकृति है| ये वाव पांच मंज़िल की इमारत है लेकिन धरती की सतह से नीचे की ओर|

सोमनाथ में एक पुरातात्विक संग्रहालय है| सोमनाथ मंदिर को १७ बार ध्वस्त किया गया, इस संग्रहालय में सोमनाथ मंदिर के उन्हीं पुराने अवशेषों को संजो कर रखा गया है|

गुजरात इकोलॉजिकल एज्यूकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन (GEER) द्वारा संचालित इंद्रोड़ा डायनासोर एंड फॉसिल पार्क गुजरात की राजधानी गांधीनगर में लगभग ४०० हेक्टेर क्षेत्र में विकसित किया गया है| यह स्थान दुनिया का दूसरा सब से बड़ा डायनासोर के अंडे सेने का केंद्र माना जाता है|

खुदाई में मिले सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों का एक प्रमुख केंद्र माना जाने वाला स्थल धोलविरा गुजरात में स्थित है| यह स्थान भुज से २५० किमी दूर है| यहां पहुंचने के लिए विशेष बस की व्यवस्था की गई है जो दोपहर २ बजे भुज से निकल कर शाम ८:३० बजे धोलविरा पहुंचती है और सुबह ५ बजे धोलविरा से निकल कर ११:३० बजे भुज वापस पहुंचती है| धोलविरा में होम स्टे काफी प्रचलित है| यह सुविधाजनक और घरेलू वातावरण के कारण काफी पसंद किया जाता है|

 यदि आप व्यवसायी हैं:

तो आपके लिए गुजरात में अपार सम्भावनाएं हैं| उद्योगपतियों, समाजसेवियों और राजनेताओं के प्यार और दुलार से विकास और सफलता के नए कीर्तिमान बनाते हुए गुजरात ने अनेक प्रयोग किए हैं| हर वर्ष यहां ‘वाइब्रेंट गुजरात’ का आयोजन देश-विदेश के व्यवसायियों, उद्योगपतियों को विनियोग और उत्पादन यूनिट्स को स्थापित करने के लिए किया जाता है| यह आयोजन जनवरी महीने में किया जाता है|

पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में मेडिकल टूरिज्म से लेकर मनोरंजन और धार्मिक स्थलों को विकसित करने तक, कच्छ के रण से लेकर पोलो फारेस्ट्स को पर्यटन के लिए विकसित करने तक अनेक कार्य हुए हैं| यहां जो कुछ प्रस्तुत किया गया है गुजरात इससे कहीं अधिक स्वयं में समाए हुए है| इसका अनुभव ही इसका सही चित्र प्रस्तुत कर सकता है| पर्यटन में जितने प्रयोग किए जाए रोमांच और आनंद उतना ही बढ़ जाता है| गुजरात सुरक्षा की दृष्टि से समर्थ राज्य है इसलिए नए पर्यटन प्रयोग कर सका है|

राहुल सांकृत्यायन ने पर्यटन पर आधारित अपनी किताब ‘घुमक्कड शास्त्र’ में निम्न शेर का जिक्र किया है, जो सही ही हैः-

 सैर कर दुनिया की गाफ़िल जिंदगानी फिर कहां|

ज़िंदगानी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहां॥

सौरभ शुक्ल

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