मोदी जी की अर्थनीति

मोदी सरकार की अर्थनीति इस तरह सर्वसमावेशी है कि आने वाला समय निश्चित रूप से भारत के पुनरुत्थान का होगा। अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे। नए अवसर बढ़ेंगे। अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने से यही संकेत मिलते हैं।

केवल पांच वर्षों में देश की आर्थिक स्थिति में गजब  की प्रगति करना एक हैरत में डालने वाला परिवर्तन है। यह करिश्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उनके मंत्री परिषद के सहयोगियों की अथक मेहनत का नतीजा है। सन 2014 में जब मोदीजी ने देश की कमान सम्हाली थी, तब तुरंत ही उन्हें पता चल गया था कि पिछले 10 सालों की यूपीए सरकार ने इतने गलत आर्थिक निर्णय लिए थे कि जिनकी वजह से देश की आर्थिक हालत बहुत खराब हो चुकी थी। मुद्रा स्फीति तेजी से बढ रही थी, काले धन का संग्रह बहुत तेजी से बढ़ रहा था। यूपीए शासन के दौरान एक से बढ़ कर एक आर्थिक घोटाले उभर कर सामने आ रहे थे और सबसे खतरनाक स्थिति तो यह थी कि देश के प्रमुख बैंकों में डूबने वाले कर्जों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही थी। यह समझ लो कि भारत एक आर्थिक संकट के कगार पर खड़ा था और हमारे देश की दुनिया में साख (Global Credit Rating) बहुत खराब हो रही थी। विदेशी पूंजी का निवेश बहुत कम रह गया था और समूचा देश एक आर्थिक बवंडर में फंसने वाला था!

ऐसे में नई सरकार के सम्मुख ये सारी चुनौतियां थीं, और इनसे गुजर कर देश को समृद्धि के रास्ते पर आगे ले जाना था। देश की जनता ने भारी बहुमत से मोदी जी की सरकार को चुना था और उसे इस सरकार से काफी आशाएं थीं। इन आशाओं की पूर्ति करने की नई सरकार ने ठान ली। इस सारे कार्य का मूलाधार था, भारत की सवा सौ करोड़ जनता का आर्थिक स्तर ऊपर उठाना, और इसलिए ही मोदी जी की सरकार ने सम्मिलित वृद्धि, अर्थात Inclusive Growth, का प्रारूप स्वीकार किया। इस प्रारूप में देश के हर नागरिक को बैंकिंग व्यवस्था का सदस्य बनाना जरूरी था। क्योंकि ऐसा होने पर ही सरकार की समस्त योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को सही वक्त पर मिलना संभव हो सकता था। सौभाग्य से भारत में आधार कार्ड योजना का प्रारंभ पहले से ही हो चुका था, केवल उसकी गति को बढ़ाना था, और मोदी सरकार ने यह काम पहले हाथ में लिया और देखते- देखते समूचे भारत देश में, नागरिकों ने इस नई व्यवस्था का इस्तेमाल करना शुरू किया। अब मोदी जी की सरकार ने ‘जन धन’ योजना का आगाज किया। इस योजना के अंतर्गत, सरकारी बैंकों में शून्य निवेश का बैंक खाता खोलने की इजाजत मिल गई। हमारे करोड़ों नागरिकों ने इस सुविधा का लाभ लेकर, अपने-अपने बैंक खाते खोल लिए। अब हमारे नागरिकों की एक आर्थिक पहचान (Economic, Financial Identity) तैयार हो गई। इस पहचान का लाभ लेकर हर एक नागरिक खुद को सरकार से आर्थिक रूप से जोड़ सकता था।

अब इसके बाद हर सरकारी मदद (Subsidy etc.), लाभधारक के बैंक खाते में सीधे जमा होती है! और इस तरह बिचौलियों की जरूरत पूरी तरह से समाप्त हो गई। स्मरण रहे कि ये बिचौलिए अक्सर राजनीतिक कार्यकर्ता हुआ करते थे, तथा इनका काम मुख्यतः लाभधारकों से तगड़ा कमीशन ऐंठना हुआ करता था। अचानक से इन पर नकेल कसी गई, और सामान्य नागरिक ने राहत की सांस ली। इस एक कदम से अधिकतर लोगों में एक विश्वास कायम हो गया कि इस सरकार का मकसद  एक ईमानदार व्यवस्था का निर्माण करना है। और जो बैंक अब तक इन नागरिकों से काफी दूर थे, वे अब इनके करीब आकर सेवा देने लगे। इस तरह देश के सामान्य व्यक्ति को भी राष्ट्रीय निर्माण का भागीदार बनाया गया। इसी दौरान सरकार का इरादा देश की आर्थिक हालात को मजबूत करना था, और इसके लिए सरकार ने चालू खाते में घाटे की दर को (Current Account Deficit), 3.5 % तक सीमित रखने का लक्ष्य निश्चित किया। इसके अलावा, मुद्रा स्फीति की वृद्धि दर (Inflation Rate), 4% से नीचे रखने का लक्ष्य सुनिश्चित किया। आज तक अनेक विपदाओं के बावजूद सरकार ने ये दोनों लक्ष्य अपनी निर्धारित सीमा के अंदर ही रखे हैं। इनकी बदौलत, आज भी महंगाई की दर पूर्ण रूप से नियंत्रण में है, और देश की आर्थिक स्थिति सुरक्षित है।

इसके बाद सरकार ने अपनी दृष्टि काले धन के जटिल प्रश्न पर केंद्रित की। हमारे देश में दस साल के यूपीए शासन के दौरान काले धन की अपरिमित वृद्धि हो रही थी। इसलिए सरकार ने देशवासियों को आवाहन किया था कि वे अपनी समस्त अघोषित आय बता दे और कुछ जुर्माना देकर उसे नियमित किया जाएगा। कुछ लोगों ने इस योजना का फायदा उठाया, लेकिन काफी लोग इससे दूर ही रहे। इसके अलावा, पाकिस्तान में हमारे हजार एवं पांच सौ रुपये के जाली नोट छाप कर इन नोटों को दहशतगर्दों के जरिए भारत में प्रचलित करने का कारोबार धड़ल्ले से शुरू हुआ था, जिसकी वजह से हमारी अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पड़ रही थी। शायद लोगों ने अभी तक नरेंद्र मोदी जी को पूर्ण रूप से जाना नहीं था! 8 नवम्बर 2016 को शाम के 8 बजे प्रधानमंत्री जी ने अपना आज तक का सबसे क्रांतिकारी निर्णय देश को बताया, और नोटबंदी का ऐलान कर दिया। जिससे पुराने हजार एवं पांच सौ रुपये के नोट खारिज किए गए। इनके स्थान पर नए पांच सौ तथा दो हजार के नोट प्रचलन में लाए गए।

इस अनोखे निर्णय के कारण करोड़ों रुपये का काला धन यकायक ही संकट में आ गया! और जाली नोटों का कारोबार एकदम ठप हो गया। हालांकि इस समय बहुत से सामान्य नागरिकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा था, फिर भी जनता ने देश के हित में इस परेशानी का स्वीकार कर लिया था। दो से तीन महीनों ेमें अर्थव्यवस्था फिर से सुचारू रूप से चलने लगी, और हमारा जीडीपी फिर से नई-नई उंचाइयां छूने लगा।

इस जीडीपी को और बढ़ाने के लिए सरकार ने एक और अहम फैसला किया, वह था वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax, GST), को 1 जुलाई 2017 को समूचे भारत में लागू किया गया। इस फैसले से कर निर्धारण एवं वसूली, दोनों में सरलता आ गई है। शुरुआत में व्यवसायियों को कुछ परेशानियां जरूर महसूस हुईं, लेकिन हर बड़े फैसले को भारत जैसे बहुत बड़े और विविधता से सम्पन्न देश में लागू करने के जटिल काम में अड़चनें आती ही हैं। स्मरण रहे कि कनाडा में जी एस टी लागू करने के बाद दस वर्षों तक विभिन्न किइनाइयों का सामना करना पड़ा था, वजह यह बताई गई थी कि वहां दो भाषाओं का- अंग्रेजी तथा फ्रेंच- प्रचलन है! जबकि भारत में 22 भाषाएं हैं, और इतने सारे विभिन्न प्रांत तथा संस्कृतियां हैं, फिर भी हम ने मात्र 6 महीनों में इस प्रणाली को अधिकतर सुचारू रूप से चलाना सीख लिया है! जी एस टी की वजह से हमारा कर संकलन बहुत अच्छी तरह से वृद्धि के मार्ग पर है। आजकाल प्रति माह, एक लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा हो गया है, जो अपने आप में जी एस टी की सफलता का निदर्शक है।

इस बढती हुई आय का इस्तेमाल सरकार विभिन्न सामाजिक उत्थान एवं गरीबी उन्मूलन के कामों मे लगा रही है। इनमें तेजी से सड़क निर्माण, उज्ज्वला कुकिंग गैस योजना, उजाला बिजली आपूर्ति योजना आदि शामिल हैं। इन योजनाओं के द्वारा, नागरिकों को जीने की अनेकानेक सुविधाएं मुहैय्या कराई जा रही हैं, जिनसे उनका जीवनयापन अधिक सुचारू रूप से हो रहा है। इसी बढ़ती आय से विविध बीमा योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं आयुष्मान भारत, जिससे हर नागरिक को, बहुत कम रकम में  अच्छी अस्पताल एवं डॉक्टरी सेवाएं मिल सकती हैं। ये समस्त योजनाएं हमारे निम्न आय वर्गों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही हैं। हमारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य और अच्छा हो इसलिए ‘स्वच्छ भारत’ योजना का शुभारंभ किया गया, और अब उसके परिणाम सामने आ रहे हैं।

बैंकों के वसूल न हुए  कर्ज एक भारी कठिनाई भरा संकट था। इन बैंकों को जीवित रखने के लिए सरकार को भारी मात्रा में निवेश करना जरूरी था। ये सारे कर्ज यूपीए काल में अपने भाई-भतीजों को बेइन्तिहा वितरित करने के कारण बढ़ गए थे। इसके समाधान के लिए मोदी सरकार ने इन्सोल्वांसी एंड बैंककरप्सी कोड, (Insolvency and Bankruptcy Code IBC), याने दिवालिया और जब्ती कानून बनाया। इस कानून के तहत, जिन व्यापारियों ने बड़े-बड़े कर्ज लिए थे और जो कर्ज वापस करने से मुकर रहे थे, उनको दिवालिया घोषित करने का अधिकार सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। ऐसे दिवालियों को अपने व्यवसाय में प्रवेश वर्जित कर दिया, और उनका व्यवसाय सरकार द्वारा मनोनीत बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के हाथों में थमा दिया। इसके चलते पुराने मालिकों को अपना कर्ज लौटाना पड़ा और वे अपना व्यवसाय ईमानदारी से चलाने को मजबूर हो गए! इस कानून के रहते, आज तक, लगभग 3 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज बैंकों के पास  वापस आ गया है! ऐसा इस देश में पहली बार हुआ है!!

हालांकि हमारे देश की विदेशी मुद्रा की पूंजी की स्थिति  अभी काफी अच्छी है, फिर भी हमारा आयात हमारे निर्यात से ज्यादा है, और यह स्थिति हमें बदलनी होगी, जिसकी बदौलत हमारा विदेशी मुद्रा का भंड़ार बरकरार बना रहेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत कर दी। इसके अंतर्गत हमारी उत्पादन प्रक्रिया का विकास हो रहा है, हमारे तकनीशियनों को अच्छे अवसर मिल रहे हैं, और भारत का नाम एक अच्छे उत्पादक के रूप में दुनिया में रोशन हो रहा है। इससे अनेकानेक बहुविध रोजगार के रास्ते भी खुल रहे हैं। एक विशेष बात यह भी है कि इसमें हम बहुत सारी रक्षा सामग्री का उत्पादन अब भारत में ही शुरू कर रहे हैं, जिससे हमें आत्मनिर्भरता भी हासिल होगी। ये रोजगार निर्माण बहुत अहं कार्य है क्योंकि भारत के करोड़ों युवा अच्छे अवसरों की तलाश में है, और उन्हें काम मिलना अत्यावश्यक है।

हमारे करोड़ों युवाओं को सबसे बड़ा प्रश्न सताता है,  वह है नौकरी का! इतनी अधिक संख्या में युवा वर्ग के लिए कोई भी सरकार पर्याप्त रोजगार / नौकरियां नहीं दे सकेगी। इसका समाधान केवल हमें अपने भीतर के उद्यमशील, उद्योजक को जगाना, यही हो सकता है। अक्सर नया कारोबार शुरू करने में पहली दिक्कत होती है वह है धन की। चाय की एक दुकान शुरू करने के लिए भी कुछ पूंजी की आवश्यकता होती है, और यह पैसा नहीं मिलेगा ऐसा नहीं था। लेकिन बैंक इस तरह का कर्ज देने से हिचकिचाते थे; क्योंकि इस कर्ज मांगने वाले युवक के पास कोई साख (Credit) नहीं होती।  इसी प्रश्न का समाधान खोजने के लिए ‘मुद्रा’ योजना का आगाज किया गया। इस योजना में ऐसे युवकों को बगैर किसी Credit के कर्ज दिया जाता है, और इस कर्ज से वह अपना छोटा-मोटा कारोबार चला सकेगा। और इस करोबार में वह अन्य 3-4 युवकों को रोजगार के अवसर दे सकेगा। मुद्रा योजना का विशेष रूप यही है कि ‘आप रोजगार मांगने वाले न बनके, रोजगार देने वाले बने!’ इस योजना की सफलता से ही हमारी बेरोजगारी की समस्या सुलझ सकती है। इस दिशा में निश्चित रूप से प्रगति हो रही है। साढ़े तीन करोड़ युवा लोगों को मुद्रा परियोजना के तहत कर्ज दिया गया है। अगर इनमें से आधे युवा भी सफल कारोबारी बन सके तो, उनकी वजह से तकरीबन दस करोड़ लोगों को काम मिल गया है। और ये दस करोड़ लोग हमारे सरकारी रोजगार के आकड़ों का हिस्सा नहीं है!

भारत के 64 प्रतिशत नागरिक या तो खुद किसान हैं, या उनकी रोजीरोटी का साधन खेती से जुड़ा है। इतने बड़े तबके का भविष्य अगर संवारना है तो हमें खेती को एक लाभदायक व्यवसाय में परिवर्तित करना ही होगा। इस दिशा में सरकार के कुछ कदमों  का उल्लेख करना जरूरीे है। खेती का मूल प्रश्न है, लगा हुआ निवेश, और हमारी खेती की उत्पादकता (Capital Invested and Productivity of the Agriculture)। ये दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उत्पादकता न होने के कारण निवेश नहीं होता है, और तिस पर मौसम का अनिश्चित होना- किसानों की कमर तोड़ देता है!

इसलिए हमें प्रथम हमारी खेती को उत्पादक बनाना होगा। इसके लिए जो भी निवेश जरूरी है वह सरकार तथा निजी निवेशकों को लाना पड़ेगा। इस दिशा में सरकार ने भूमि परीक्षण, (Soil Testing and Soil Health Card), करने का इंतजाम किया है। इस हेल्थ कार्ड के जरिए किसानों को प्रशिक्षित करके उन्हें अधिक लाभ देने वाली किस्मों, उगाने का ज्ञान दिया जाएगा। खेती की उपज को सहेज कर रखने के लिए उसे गोदाम मुहैया कराने पड़ेंगे। खेती के उत्पाद को मूल्यवर्धन (Value Addition) करने के संयंत्र और उनके इस्तेमाल का प्रशिक्षण देना अनिवार्य है। इसके अलावा सिंचाई परियोजना के तहत खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के प्रयास जारी है। इससे मौसम की अनिश्चितता से किसान कुछ राहत पा सकता है। उत्तम यातायात के साधनों से खेती उत्पाद मंड़ी तक ले जाने की सुविधा अब पहले से कई अधिक बेहतर है। सरकार ने अनेक किसानोें का पुराना कर्जा माफ कर दिया है। ऊपर उल्लेखित उपायों से इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए कि नया कर्ज चढ़ने की नौबत ना आए!

इन सारे आर्थिक मुद्दों का अध्ययन करने पर एक बात तो साफ नजर आती है कि आने वाला काल निश्चित रूप से भारत के पुनरुत्थान का समय है। वर्तमान मोदी सरकार पूरी ईमानदारी एवं अडिग निष्ठा से इस कार्य में खुद को खपा रही है। और इस मेहनत का परिणाम हमारे सामने है। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुकी है। और आनेवाले निकट भविष्य में हम निश्चित रूप से और अधिक प्रगति की राह पर बढते चलेंगे यह सुनिश्चित है।

 

 

Leave a Reply