मैं स्वतंत्र भारत बोल रहा हूं

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“जिस स्वतंत्रता ने हमें अधिकार दिए हैं उसी स्वतंत्रता ने हमें दायित्व भी दिए हैं। हमारा पहला दायित्व है कि हम स्वयं को मानसिक गुलामी से स्वतंत्र करें। सम्प्रदाय, जाति, पंथ से परे होकर संगठित हों। अपने इतिहास, अपनी परंपरा, अपने महापुरुषों पर गर्व करना सीखें और अपनी नई पीढ़ी को भी सिखाए।”

बड़े लक्ष्य और आम आदमी का सरोकार

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वर्तमान वर्ष के बजट में हमने जीडीपी में लम्बी छलांग लगाने समेत कई बड़े लक्ष्य रखे हैं। लेकिन आम आदमी के सरोकारों पर भी गौर करना होगा। यदि उसकी क्रय शक्ति न बढ़ी तो सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे। हालांकि, मोदी सरकार के आत्मविश्वास की स्पष्ट झलक बजट में दिखाई देती है। 

फिर उसी विश्वास के साथ वापस आऊंगा

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महाराष्ट्र में विधान सभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। लोकसभा चुनावों की तरह इस चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की भारी विजय संभावित है। इसका संकेत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विधान सभा के अंतिम सत्र में किए भाषण में पढ़ी एक कविता से मिलता है-  फिर एक बार उसी विश्वास के साथ, मैं वापस आऊंगा..।

ईरान को लेकर दो हिस्सों में विभाजित दुनिया

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अमेरिका के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग हो जाने के बावजूद रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी अभी भी इस समझौते से सहमत हैं। इसीलिए ईरान भी अमेरिका के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाए हुए है। इसीलिए दुनिया को लग रहा है कि कहीं जंग का सिलसिला शुरू न हो जाए?

नए भारत में जातियता व्यवधान

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वर्णभेद, जातिभेद, अस्पृश्यता हमारे यहां उत्पन्न सामाजिक विषमता के कारण निर्माण हुए प्रश्न हैं। आज जब हम नया भारत निर्माण करने की दिशा में जाने का प्रयास कर रहे हैं तब इन प्रश्नों की ठोकर हमें लगनी ही है। नव भारत के लिए इन कुरीतियों को निर्मूल करना और सभी में एकत्व व बंधुभाव का निर्माण करना एक विशाल और राष्ट्रीय कार्य है, जिसे हमें करना ही होगा।

ग्रामीण सहकारिता और एनपीए की समस्या

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सहकारिता के क्षेत्र में सामाजिक भावना घटती जाना सहकारी बैंकों के समक्ष एनपीए की समस्या का मुख्य कारण है। यह भावना जागृत करने से ग्रामीण सहकारिता जीवित रहेगी एवं एनपीए की समस्या नहीं रहेगी। सहकार भारती के कार्यकर्ताओं के माध्यम से संस्कार का यह काम हो सकता है।

संघकार्य के भास्कर

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भास्करराव (मुंडले), ‘भास्करमय’ जीवन जी कर, उनके सम्पर्क में आने वाले हर किसी को प्रकाश देकर अपना जीवन कृतार्थ कर अस्ताचल को गए हैं। ...जाते समय भास्करराव उस ‘भास्कर’ की तरह जीवन समृद्ध करने वाले रंग देकर गए हैं। उनके रंग में रंगना, यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

छोटे उद्योगों पर मंडराता संकट

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इस समय छोटे और मंझोले उद्योग, जिन्हें एमएसएमई कहते हैं, अपने सबसे बुरे दिनों में चल रहे हैं। अगर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो इस क्षेत्र की कई कम्पनियां बंद होंगी। उनमें एनपीए बढ़ेगा। किसानों की तरह इनके  भी आत्महत्या करने के दिन आ जाएंगे।

निष्कपट ह्रदय और वात्सल्यपूर्ण स्वामी सत्यमित्रानंदजी

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हमारे पूज्य गुरुदेव कभी-कभी अपने जीवन की घटित घटनाएं सुनाते थे तो मन में एक आनंद की अनुभूति भी करा देते थे। उन सुने हुए अनेक प्रेरक प्रसंगों में से अब हमारे लिए वे सब संस्मरण हो गए हैं। हम सबके संज्ञान में यह पूर्व से ही है, हमारे गुरुदेव अपनी बाल्यावस्था से ही साधु-जीवन धारी रहे हैं। प्रारंभिक जीवन में गुरुकुल शिक्षा पद्धति से उन्होंने अक्षरज्ञान और संस्कार ग्रहण किया है।

देश को लूट लिया इन घोटालेबाजों ने

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जिस देश में बैंक का कर्ज चुका न पाने के कारण एक तरफ किसान आत्महत्या को बाध्य होते हों वहां बैंकों को हजारों करोड़ की चपत लगाने वाले पूंजीपति कानून को ठेंगा दिखाते हुए भोग-विलास कर रहे हों तो बात सोचने की हो जाती है। हर्षद मेहता, केतन पारेख से लेकर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी तक ऐसे घोटालेबाजों की सूची पहुंचती है।

लैला: कायरों की दांभिकता का भ्रष्ट प्रदर्शन

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लैला के आर्यावर्त पर आधारित एक वेब सिरीज इन दिनों चर्चा में है। प्रयाग अकबर के उपन्यास पर आधारित यह धारावाहिक है। लेखक का फर्जीपन इसीसे जाहिर है कि उसने हिंदू-मुस्लिम संलग्न नाम धारण किया है। परंतु यह उपन्यास भी जॉर्ज आरवेल की कृति ‘1984’ की नकल बताई जाती है। इस नकलची ने हिंदुओं को कहीं का नहीं छोड़ा और इस्लाम के प्रचार की भ्रष्ट दांभिकता का पूरा प्रदर्शन किया है।

इंग्लैंड-न्यूजीलैंड संयुक्त विजेता?

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न्यूजीलैंड की टीम लगातार दूसरी बार फाइनल में जगह बनाने में सफल हुई, मैच टाई हुआ परंतु आईसीसी के नियम ने उसे हरा दिया। इस नियम को लेकर दुनियाभर में अब उस पर पुनर्विचार की मांग हो रही है।

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