मैं स्वतंत्र भारत बोल रहा हूं
“जिस स्वतंत्रता ने हमें अधिकार दिए हैं उसी स्वतंत्रता ने हमें दायित्व भी दिए हैं। हमारा पहला दायित्व है कि हम स्वयं को मानसिक गुलामी से स्वतंत्र करें। सम्प्रदाय, जाति, पंथ से परे होकर संगठित हों। अपने इतिहास, अपनी परंपरा, अपने महापुरुषों पर गर्व करना सीखें और अपनी नई पीढ़ी को भी सिखाए।”