हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
परिवर्तन के पदचिह्न

परिवर्तन के पदचिह्न

by अमोल पेडणेकर
in नवम्बर २०१५, संपादकीय
0

सूरज की पहली किरण भारत के जिस प्रदेश को सबसे पहले प्रकाशित करती है, वह है पूर्वोत्तर। भारत का सबसे अधिक प्रकृति सम्पन्न प्रदेश है पूर्वोत्तर। यहां सबसे अधिक जंगल, खनिज सम्पदा, मसाले तथा मन को प्रसन्न कर देनेवाली नदियां हैं। कई जनजातियां और विविधताओं के साथ ही भारत की एकात्मता का सूत्र बताने वाला, रामायण-महाभारत के कई उदाहरण देने वाला पूर्वोत्तर, आठ राज्य-अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम से मिलकर बना है। स्वतंत्रता के लगभग सात दशक पूरे हो रहे हैं, इसके बावजूद विकास के रास्ते अभी भी इस सौन्दर्य भूमि तकं नहीं पहुंचे हैं। शिक्षा से भी यह क्षेत्र अछूता ही रहा है। आधारभूत सुविधाओं के अभाव के कारण बड़े उद्योग तो क्या छोटे उद्योग भी यहां स्थापित नहीं हो सके। इस परिस्थिति के कारण कार्यक्षम मानव संसाधन भी यहां से बाहर जाने लगा है। देशभर के प्रमुख शहरों में ये लोग नौकरी-व्यवसाय के उद्देश्य से आश्रय लेने लगे हैं। चाय के बागान, तेल के कुएं, खनिज संपदा आदि का दोहन करने के लिए साम्राज्यवादी लोगों ने स्थानीय लोगों को श्रमिक बनाकर मानव शोषण के नए आयाम स्थापित किए हैं। पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच की असमानता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। अपने साम्राज्य का विस्तार करने की अपेक्षा रखने वाले व्यापारियों द्वारा किया जा रहा शोषण स्थानीय लोगों को समझ में आने लगा था। इस शोषण का विरोध करने के लिए उन्होंने संघर्ष का मार्ग अपनाया। भूमिपुत्रों के इस संघर्ष को भारत के प्रति द्वेष भाव रखने वाले लोगों ने आतंकवाद का स्वरूप दे दिया। स्थानीय लोगों के हितों के लिए लड़नेवाले, ‘राबिनहुड इमेज’ वाले आतंकवादी अब केवल उद्योगपतियों से जबरन् पैसा वसूलने तक ही सीमित हो गए हैं।

विकास के अभाव से उत्पन्न आक्रोश और आक्रोश से उत्पन्न विनाशकारी आंदोलन; पूर्वोत्तर भारत इस तरह के दुष्चक्र में फंस गया है। आज हमारे देश में सभी ओर अशांति का वातावरण दिखाई देता है। देशवासी विविध समस्याओं से त्रस्त हैं। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समस्याएं दिखाईं देती हैं। कहीं जातिवाद की, कहीं भाषावाद की, कहीं प्रादेशिकता की, कहीं पिछड़ेपन की, कहीं धर्मांतरण की, कहीं घुसपैठ की, कहीं सांप्रदायिक दंगों की, कहीं अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के संघर्ष की तो कहीं बेरोजगारी की, इस प्रकार की अनेक समस्याओं से देश ग्रसित दिखाई देता है। परंतु इन सभी में पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। क्योंकि उपरोक्त सभी समस्याएं पूर्वोत्तर को एकत्रित रूप से त्रस्त कर रही हैं। इसके कारण वहां विकास की प्रक्रिया पर लगाम लग गई है। अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से भरा, प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण, परम्परानिष्ठ और प्रकृति की उपासना करने वाली विभिन्न जनजातियों से व्याप्त यह सीमावर्ती भूभाग आज अलगाव, उग्रवाद और शेष भारत से द्वेष आदि भावनाओं के कारण कलंकित हो गया है। ‘अष्टलक्ष्मी’ के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्वोत्तर के आठ राज्य आज देश के सबसे अधिक संवेदनशील और अशांत राज्य माने जाने लगे हैं।

पूर्वांचल की मुख्य समस्या क्या है, यह सब क्यों और कैसे हो रहा है, उसके कारण क्या हैं, इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं, वहां के अलगाव की आग में घी डालने का काम कौन कर रहा है, शेष भारत के रूप में क्या हमारा पूर्वोत्तर की ओर देखने का दृष्टिकोण सही है, इत्यादि प्रश्नों के उत्तर आज हमें नहीं मिल रहे हैं। प्रसार माध्यम भी पूर्वोत्तर के विषय में अधिक जानकारी नहीं देते। देशवासियों को पूर्वोत्तर की इस परिस्थिति की योग्य जानकारी देना आवश्यक है। वहां की समस्याओं का हल निकालने के लिये क्या उपाय किए जाने चाहिए इस बारे में सर्वसमावेशक और समग्र विचार करने की आज नितांत आवश्यकता है। उसके लिए पूर्वोत्तर की समस्याएं, उपाय, शेष भारत से जुड़े सांस्कृतिक वैभव की जानकारी सभी भारतवासियों को होना आवश्यक है।

दीपावली विशेषांक अर्थात मन को आनंद देने वाला, उत्साहित करने वाला साहित्य यह अब तक का एक समीकरण बन चुका है। कथाएं, कविताएं,व्यंग्य और कुछ आलेख इन सभी साहित्यिक पकवानों की थाली अर्थात दीपावली विशेषांक। हिंदी विवेक के द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले विशेषांक विशेष तथा संग्रहणीय होते हैं। समाज और राष्ट्र से जुड़ी सटीक बातों को अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए ही हिंदी विवेक की स्थापना हुई है। इस उद्देश्य को ध्यान में रख कर ही ‘हिंदी विवेक’ ने पिछले छह सालों का अपना सफर तय किया है। इसी परंपरा को कायम रखते हुए इस वर्ष ‘हिंदी विवेक’ पूर्वोत्तर की अधिकतम जानकारी देने वाला ‘अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर’ विशेषांक हमारे देशभर के पाठकों के लिए प्रकाशित कर रहा है। हिंदी विवेक के द्वारा प्रकाशित ‘अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर’ विशेषांक राष्ट्रमन को जोड़ने का प्रयास है।

पूर्वोत्तर की प्रकृति का रौद्र रूप भयभीत कर देता है परंतु इस रौद्र रूप में भी मोहित कर देने वाली रमणीयता है। यहां के लोग शालीन, अतिथि सत्कार करने वाले और स्नेहिल हैं। परंतु इस शालीनता को आतंतवाद ने विकृत कर दिया है। इस विरोधाभास का आंकलन करने के लिए संयमित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इन आवश्यकताओं को पहचाना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने काम पिछले छह दशकों से अत्यंत संयमित पद्धति से और लगातार कर रहा है। हर कदम पर होने वाला विरोध, प्रचारकों का बलिदान, अवहेलनाओं को झेलते हुए पूर्वोत्तर में खड़े किए गए कार्यों के सुपरिणाम आज दिखाई देने लगे हैं। परिवर्तन के कदमों की आहट अब पूर्वांचल की भूमि पर सुनाई देने लगी है। दुर्गम पूर्वोत्तर में भी समस्याओं का निराकरण करने के लिए विविध सेवा प्रकल्प, शैक्षणिक संस्थाएं, छात्रावास, और अन्य उपक्रम शुरू किए गए हैं। अत: राष्ट्रविरोधी कार्रवाइयों पर इसका परिणाम हो रहा है। नगालैंड में पिछले छह दशकों से चल रहे संघर्ष की पार्श्वभूमि पर केंद्र सरकार और एनएससीएन के बीच हुआ करार पूर्वोत्तर की राजनीति का अहम पडाव है। पूर्वोत्तर के साथ ही समपूर्ण भारत के लिए यह बडी उपलब्धि होगी।

इस उच्च कोटी के आशावाद और आश्वासक इच्छाशक्ति को अभिवादन करने के लिए ही ‘हिंदी विवेक’ ‘अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर’ विषय लेकर दीपावली विशेषांक प्रकाशित किया है। हमें विश्वास है कि सभी देशवासियों के मन में पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रति योग्य भाव जगाने और पूर्वोत्तर के विकास में हम एक भारतीय के रूप में कितनी और किस प्रकार की मदद कर सकते है यह विचार संप्रेषित करने में ‘हिंदी विवेक’ का यह ‘अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर’ दीपावली विशेषांक अपना योगदान देगा।

इस विशेषांक के माध्यम से हमने पूर्वोत्तर के समाज, वहां की परिस्थिति, संस्कृति और परंपरा का तथ्यपूर्ण विवेचन पाठकों तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। साथ ही पूर्वोत्तर के संदर्भ में हमारे मन में जो अनेक गलत कल्पनाएं व धारणाएं हैं उन्हें दूर करने में भी मदद मिलेगी। हिंदी विवेक इस विचार को पूर्णता प्रदान करने में अनेक लोगों का स्नेहमय सहयोग मिला है। विशेषांक को पुर्ण करने के लिए अनेक लोगों ने अपनत्वपूर्ण सहयोग दिया है। इसलिये हम यह विशेषांक नियत समय पर पाठकों तक पहुंचा सके। ‘हिंदी विवेक’ के शुभचिंतक, लेखक, अनुवादक इत्यादि सभी के प्रति हम आभार व्यक्त करते हैं। जिनके अर्थपूर्ण सहयोग से यह दीपावली विशेषांक प्रकाशित किया जा सका उन सभी विज्ञापनदाताओं, दानदाताओं र्के प्रति भी हम कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। साथ ही हिंदी विवेक को सतत संग्रहणीय, विचारवर्धक एवं रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा देने वाले हमारे पाठकों का भी हम अभिवादन करते हैं। ‘हिंदी विवेक’ की ओर से आप सभी शुभचिंतकों को दीपावली और नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

अमोल पेडणेकर

Next Post

रा. स्व.संघ के सहसरकार्यवाह सर कार्यवाह मा. दत्तात्रेय होसबोलेजी का भाषण

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0