प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने पर 2047 में विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है। अब देश की युवाशक्ति को तय करना है कि वे अपने सपनों का भारत कैसा बनाना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए युवाओं को सही मार्गदर्शन, अवसर और प्रोत्साहन देने की भी आवश्यकता है।
आयु के 50-60 वर्षं के पड़ाव तक पहुंची हुई हमारी पीढ़ी के लोगों ने कई तरह के परिवर्तनों का अनुभव किया, जिनमें टेलीफोन के लिए ट्रंक कॉल बुक करना, बूथ से कॉल करना, पेजर पर संदेश भेजना, मोबाइल पर इनकमिंग कॉल के लिए भुगतान करना देखा है। अब हम अपनी हथेली में छोटे कम्प्यूटर की तरह स्मार्ट फोन का उपयोग कर रहे हैं। अत्याधुनिक तकनीक सुविधाओं से परिपूर्ण जीवन का अनुभव कर रहे हैं। वर्तमान युवा पीढ़ी को ॠशप न के रूप में पहचाना जाता है। ॠशप न में वे लोग सम्मिलित हैं, जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। यह वह पीढ़ी है, जिसके जीवन में जन्म के दो वर्ष बाद ही मोबाइल फोन और बाद में स्मार्टफोन आ गया। मोबाइल फोन, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साए में अधिकतर जीवन गुजारने वाली यह पीढ़ी है। पिछले 25-30 वर्षों में समाज में 180 डिग्री परिवर्तन हुआ है। मात्र भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह परिवर्तन विचारधाराओं और सभी क्षेत्रों में हो रहे हैं। परिवर्तन की प्रक्रिया आदिकाल से चली आई है, परंतु यह परिवर्तन वर्तमान दुनिया को अचम्भित करने वाला है।
भारत युवाओं का देश है। यह मुहावरा अब प्रयोग के साथ सहज हो गया है, परंतु वास्तव में ‘युवा’ का अर्थ क्या है? 18 से 29 आयु वर्ग का युवा के रूप में उल्लेख करते हैं। भारत की 22 प्रतिशत जनसंख्या 18 से 29 वर्ष की आयु वर्ग की है, यानी कुल 26 करोड़ लोग युवा हैं। इस विशाल जनसंख्या से मिलने वाले लाभांश की नींव को समझना आवश्यक है क्योंकि युवा ही देश की शक्ति और भविष्य भी है। भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। यह कोई स्थिर स्वरूप में मिलने वाला अवसर नहीं है, इसलिए युवाओं के विकास और उपलब्धियों को बढ़ावा देना आनेवाले दशक में एक प्रमुख मुद्दा रहेगा। इस अवसर का लाभ लेने के लिए समाज के रूप में हमारी समझ का विस्तार करना आवश्यक है।
युवावस्था के महत्वपूर्ण लक्षण क्या है? युवाओं के सामने आने वाले मुख्य प्रश्न क्या हैं? युवाओं के मन में अपने और अपने भविष्य को लेकर क्या जिज्ञासा है? यदि हम उनके मानस पटल पर दृष्टि डालें तो हमें कुछ झलक दिखाई देगी। जो युवा आत्म-विकास और सामाजिक योगदान चाहते हैं और जो स्वयं नवनिर्माण जैसे कार्यों में भाग लेना चाहते हैं, उनके मन में कौन से प्रश्न, किस प्रकार के भ्रम और कौन सा लक्ष्य है? जब इन सभी प्रश्नों पर एक साथ विचार किया जाता है तो सबसे अधिक बार पूछा जाने वाला प्रश्न है सामाजिक एवं राष्ट्रीय विकास में युवाओं का सकारात्मक योगदान कैसे बढ़ सकता है?‘वास्तव में यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है और 18 से 29 वर्ष ‘उभरती वयस्कता’ की आयु है, जो इन प्रश्नों का पता लगाने के लिए सबसे उपयुक्त है। विज्ञान कहता है कि युवावस्था में भी मस्तिष्क का विकास जारी रहता है और जीवन, ब्रह्मांड और स्वयं के अस्तित्व के बारे में गम्भीर प्रश्न युवाओं के मन में उठने लगते हैं।
हमारी अधिकांश महाविद्यालयीन शिक्षा ढेर सारी जानकारी प्रदान करती है, परंतु एक सीख जो किसी को नहीं मिलती, वह है ‘उद्देश्य’। जब लक्ष्य स्पष्ट नहीं होता है तो युवा गलत जानकारी, झूठी आशाओं के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। कदाचित् इसीलिए हमारे महाविद्यालय के युवाओं में किसी विषय की गहराई तक जाना, किसी प्रश्न को तुरंत हल करना कठिन होता है। वास्तव में उद्देश्य के बिना जीवन खोखला हो सकता है। जीवन का उद्देश्य सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। युवाओं में ऊर्जा तो बहुत है, परंतु लक्ष्य का अनुमान नहीं है।
हमारे देश में युवाओं के विकास के लिए पर्याप्त काम नहीं किया जा रहा है, युवाओं को मात्र मतदाता या रोजगार योजना के लाभार्थियों के रूप में देखा जाता है। जबकि निजी क्षेत्र का युवाओं के प्रति दृष्टिकोण सम्भावित ग्राहकों तक ही सीमित है।
सन 2014 के 2-3 वर्ष पूर्व से ही भारतीय राजनीति या भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व में एक खालीपन दिखाई दे रहा था। विश्व में भारत की साख तो बढ़ रही थी, परंतु उसे उचित दिशा में और उचित गति से ले जाने वाले नेतृत्व की खोज सम्पूर्ण भारतीय समाज या कहें भारत का युवा कर रहा था। ऐसे में जब उसने वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के उल्लेखनीय कार्यों को देखा तो उन्हें नरेंद्र मोदी में राष्ट्रीय नेतृत्व की क्षमता दिखाई दी और उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व सौंपा भी गया। अत: यह कहा जा सकता है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय युवाओं की खोज हैं, जिन्हें भारत के युवाओं ने अपने भविष्य को संवारने के लिए चुना है।
कुल मिलाकर हमारे पास युवा विकास के लिए बहुत सशक्त पहल नहीं हैं। इसलिए कई प्रश्न उठते हैं और अस्पष्टता बनी रहती है कि वास्तव में युवाओं का उचित विकास कैसे हो? कैसे पहचाना जाए कि युवाओं में विविध क्षमता विकसित हो रही है या नहीं। इस अस्पष्टता का परिणाम यह है कि परीक्षा में गुणों के प्रतिशत, डिग्री, रोजगार, मानधन, घर या कार का मालिक होना इन बातों को प्राथमिकता दी जाती है। युवा विकास के सम्बंध में हमारे अधिकांश संवाद और चर्चाएं आत्महत्या, बेरोजगारी, दुर्घटनाएं, यौन शोषण, नशीली दवाओं की लत, मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के आस-पास घूमती हैं। इन बिंदुओं से आगे बढ़ते हुए हमें भारत में युवाओं के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना आवश्यक है। सकारात्मक विकास की अनगिनत सम्भावनाएं हैं। उन सम्भावनाओं को वास्तविकता बनाना युवा पीढ़ी और हममें से बाकी लोगों का दायित्व है। कारण ‘उड़ान लेते युवा’ ही सम्पन्न भारत की समृद्धि का इंजन होगा।
भारतीय संस्कृति के विद्वान और उपासक स्वामी विवेकानंद की 12 जनवरी को जयंती है। 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी जी ने ‘विश्व बंधुत्व’ का संदेश देकर विश्व भर में हिंदू संस्कृति के महत्व पर जो विचार व्यक्त किया है वह शाश्वत है। युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार हैं कि जब तक आप अपना लक्ष्य प्राप्त न कर लें, तब तक रुकें नहीं। स्वामीजी वर्तमान पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा और युवाओं के आइकॉन हैं। स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े संदेश के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में युवा पीढ़ी के योगदान पर निरंतर चिंतन होना आवश्यक है।
हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने उद्बोधन में हमेशा युवाओं का विशेष रूप से उल्लेख करते हैं। युवा ही इस देश का वर्तमान और भविष्य हैं। भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जो दुनिया के अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक है। यदि युवाओं को सही दिशा मिलेगी तो उनका योगदान बढ़ेगा और वे सही दिशा में आगे बढ़ेंगे। युवा पीढ़ी हमारे देश की रीढ़ हैैं। युवा पीढ़ी सदैव बदलाव, प्रगति और रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ती रहती है। देश को स्वतंत्र कराने में युवाओं का योगदान बहुत बड़ा है। इतिहास में हम ऐसा देखते हैं कि उत्साही नवयुवक जिन्होंने अपनी युवावस्था के बल पर वीरतापूर्वक शत्रुओं को पराजित किया, मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम, योगेश्वर कृष्ण, अर्जुन, छत्रपति शिवाजी महाराज, महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, महात्मा गांधी, सुखदेव, राजगुरु, भगत सिंह, डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर, डॉ. हेडगेवार ऐसे अनेक उदाहरण हमें ज्ञात हैं। इन्होंने अपनी युवावस्था में देश को नई दिशा देने का महत्वपूर्ण प्रयास किया है। वर्तमान युवा पीढ़ी नए विचारों और आधुनिकता के मेल से आगे बढ़ रही है। आज का युवा ही कल की दशा और दिशा तय करेगा, परंतु आज के युवा को आदर्श और सही मार्गदर्शक की आवश्यकता है।
आज की समग्र स्थिति को देखते हुए समाज में बुद्धिमान लोगों का दायित्व है कि वे युवाओं का उचित मार्गदर्शन करें और आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करें। यदि युवा सही ढंग से प्रबुद्ध नहीं होंगे तो भविष्य वास्तव में भयावह होगा। देश को बांटने वाली कई शक्तियां विदेशी पैसे के दम पर युवाओं को दिग्भ्रमित करने में सक्रिय हैं। साम्यवादी विचारधारा के नाम पर युवाओं का ‘ब्रेनवॉश’ कर उन्हें नक्सलवाद की ओर धकेलने के कई उदाहरण हम देखते हैं। राष्ट्र विरोधी शक्तियां विभिन्न मुद्दों पर युवाओं के क्रोध और नाराजगी का अपने लाभ के लिए दुरूपयोग करती हैं और उन्हें देश के विरुद्ध कर देती हैं। युवाओं की क्षमता का उपयोग करके देश के विकास में उनकी भागीदारी को बढ़ाना आवश्यक है। यदि विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है तो युवाओं की क्षमता का पूरा उपयोग करना होगा। स्वामीजी के सपनों का युवा भारत बनाने के लिए स्वामीजी के ही शब्दों को याद करें… एक राह चुनें, उसी के बारे में ही सोचें, उस विचार को अपना जीवन बनाओ, उसके ही सपने देखों, यही सफलता का मार्ग है।
जो टूटे हुए को जोड़ने की शक्ति रखता है, जो निर्णय लेने की क्षमता रखता है, जिसमें सभी प्रकार के बुरे रीति-रिवाजों, कुरीतियों, बुराइयों और अवांछनीय परम्पराओं को मिटाकर उनके स्थान पर अच्छे रीति-रिवाजों, सद्गुणों और वांछनीय परम्पराओं को अपनाने की शक्ति हो, वही सच्चा युवा है अथवा आधुनिक मानव इतिहास के हर चरण में युवाओं का योगदान अमूल्य रहा है। यदि हम दुनिया भर के अनगिनत व्यक्तियों की जीवन कहानियों को देखें, अपने उल्लासपूर्ण ढंग से सफलता और अत्यधिक उपलब्धि प्राप्त करने वाले जो व्यक्ति हैं, उनकी सफलता के बीज उनकी युवावस्था की ऊर्जा में पाए जाते हैं। युवाओं के व्यक्तित्व में ज्ञान, शक्ति, कौशल, करुणा और साहस के पांच गुण समाहित होते हैं।
आज विश्व पर युवा शक्ति का बोलबाला है। सरकारी संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों से लेकर विशाल कॉर्पोरेट बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में अग्रणी पदों तक युवा पीढ़ी बागडोर सम्भाल रही है। जिन युवाओं ने गूगल और फेसबुक जैसी कम्पनियों की स्थापना की और उन्हें दुनिया की अग्रणी कम्पनियों के रूप में स्थापित किया, वे आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद का युवाओं के प्रति गहरा आकर्षण था। उन्होंने गहराई से अनुभव किया कि युवा राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण रचनात्मक शक्ति है। किसी भी राष्ट्र का निर्माण तभी सर्वोत्तम होता है जब उस राष्ट्र का युवा चरित्रवान हो। इसलिए स्वामी विवेकानंद ने युवाओं की परिभाषा व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘जो अपने कर्तव्य को भूले बिना निरंतर रचनात्मक कार्यों में लगा रहता है और राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपनी सकारात्मक शक्ति लगाता है, उसे युवा कहते हैं।’
आज भी दुनिया भर की युवा पीढ़ी शिक्षा, रोजगार और सामाजिक, पारिवारिक जीवन से जुड़े निर्णय लेने के मामले में कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। उनके लिए अवसर पैदा करना और जीवन के सभी पहलुओं में सहजता लाना एक बड़ी चुनौती है। आने वाले वर्षों में भारत की श्रम शक्ति में युवाओं की भागीदारी अधिक होगी। इस युवा जनसंख्या के दम पर देश की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती है। युवा पीढ़ी की प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। आज का युवा सामाजिक गतिविधियों और सामुदायिक जुड़ाव की ओर आकर्षित हो रहा है। उसके लिए व्यक्तिगत मूल्य के साथ मानवीय मूल्य भी महत्वपूर्ण हो गए हैं। आज के युवा सफलता को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। देश की प्रगति सामाजिक तौर पर परिवेश को बेहतर बनाने में योगदान देती है। आज के युवा बंद कमरों में बैठकर बदलाव की बात नहीं करना चाहते, बल्कि बाहर आकर उस बदलाव को होते हुए देखना चाहते हैं। आज के दौर में इन बातों पर युवाओं का फोकस बढ़ रहा है, इससे जुड़ी सामाजिक गतिविधियों में वे बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे रहें क्योंकि वे इसके महत्व को जानते हैं।
अधिक युवा जनसंख्या का यह अवसर हमारे देश के लिए स्वर्णिम काल है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर देश को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने में युवाओं की प्रमुख भूमिका होगी। राष्ट्रीयहित को प्राथमिकता देते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता का अमृतकाल विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उड़ान भरने का सही समय है। वर्तमान युवा शक्ति परिवर्तन की वाहक भी है और परिवर्तन की लाभार्थी भी। अगले 25 वर्ष युवाओं के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे और युवा पीढ़ी की शक्ति से ही भारत भविष्य में बड़ी छलांग लगाएगा। युवाओं को अपने विचारों के दायरे को पार करना होगा और दायरे से बाहर निकलकर अलग सोचना होगा। यही युवा भविष्य में एक नए समाज का निर्माण करने वाले हैं। भविष्य में नया सशक्त, संगठित, जागरूक समाज और विकसित भारत कैसा हो, यह सुनिश्चित करने का कर्तव्य-अधिकार और दायित्व वर्तमान युवाओं पर ही है।