आध्यात्मिक पर्यटन, यात्रा पर्यटन, कृषि पर्यटन, साहसी पर्यटन, मन शांति के लिए पर्यटन, आयुर्वेद पर्यटन जैसे अनेक आयामों में पर्यटन करने की परम्परा निरंतर बढ़ती जा रही है।
देश के प्रत्येक राज्य की अपनी एक अनूठी परम्परा और अपनी एक संस्कृति है। धार्मिक, सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने वाले मंदिरों, पौराणिक धरोहर का अपना एक समृद्ध इतिहास है। हम भारतीय आज के आधुनिकता के युग में भी अपनी संस्कृति, रीति रिवाजों और धर्म को समझना चाहते हैं।
=======================================================================================================================
दो-तीन दशक पहले तक पर्यटन की कल्पना अपने पैतृक गांव जाने तक ही अधिकतर सीमित थी, किंतु आज पर्यटन पर जाने की इच्छा और उस पर निवेश करने की चाह लगभग सभी नागरिकों में हो रही हैं। साथ में पर्यटन के अलग-अलग आयाम सामने आ रहे हैं। आध्यात्मिक पर्यटन, यात्रा पर्यटन, कृषि पर्यटन, साहसी पर्यटन, मन शांति के लिए पर्यटन, आयुर्वेद पर्यटन जैसे अनेक आयामों में पर्यटन करने की परम्परा निरंतर बढ़ती जा रही है।
देश के प्रत्येक राज्य की अपनी एक अनूठी परम्परा और अपनी एक संस्कृति है। धार्मिक, सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने वाले मंदिरों, पौराणिक धरोहर का अपना एक समृद्ध इतिहास है। हम भारतीय आज के आधुनिकता के युग में भी अपनी संस्कृति, रीति रिवाजों और धर्म को समझना चाहते हैं।
यात्रा और पर्यटन का उपयोग राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने और जोड़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसी बात को ध्यान में लेकर मोदी सरकार ने यात्रा एवं पर्यटन की पुरानी परम्पराओं को समाजमन से जोड़ने हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वतंत्रता के बाद इस विषय की उपेक्षा करने के कारण ही पर्यटन की व्यावसायिक नीति में राष्ट्रीय स्वाभिमान को महत्व नहीं दिया गया था। आज का भारत बदल रहा है और बढ़ती सुविधाओं के साथ पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ रहा है।
आध्यात्म से जोड़कर भी पर्यटन को देखा जाने लगा है। सरकारें सभी धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों पर पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की बनने के बाद से यहां आनेवाले पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसा ही अयोध्या में देखने को मिल रहा है। उज्जैन महाकाल लोक बनने के बाद से वहां भी पर्यटक बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
मंदिर, पौराणिक, ऐतिहासिक धरोहर के पर्यटन के कारण ही भारतीयों में गुलामी की मानसिकता को तोड़ने, सांस्कृतिक बंधनों को जोड़ने, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने, सामाजिक एकता और समाज एवं देश के विरुद्ध हो रहे षडयंत्रों के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ने का साहस निर्माण हो रहा है। भविष्य के विकसित भारत के लिए पर्यटन यह अतुल्य भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देनेवाला सिद्ध हो रहा है। हमें दुनिया की खोज करने से पूर्व अपने भारत को देखने समझने की आवश्यकता है। स्वयं की खोज करने के लिए सर्वप्रथम अपने देश को देखो, जानो और समझो। जागरूक होकर हमें स्वयं को ही अतुल्य भारत के राजदूत बनने की आवश्यकता है। इन्हीं प्रयासों के कारण घरेलू पर्यटकों के बीच भारत में ही पर्यटन को लेकर अत्यधिक रुचि पैदा होती दिखाई दे रही है।
पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अनुमानतः सम्पूर्ण देश में डेढ़ लाख किलोमीटर के मागों का नेटवर्क, 500 नए हवाई मार्ग, 1500 से ज्यादा सुविधा से सम्पन्न नए हवाई अड्डे, वंदे मातरम जैसे आधुनिक एवं गतिमान ट्रेनें, आध्यात्मिक क्षेत्र का पर्यटकों की सुविधाओं के आवश्यकतानुसार विकास और 100 से अधिक पर्यटन सुविधाओं के प्रकल्प पूर्ण हुए हैं। पर्यटन की दृष्टि से विभिन्न राज्यों के राजमार्ग एक दूसरे से लिंक किए गए हैं। भारत के छोटे-बड़े शहरों में भी अच्छे होटल उत्तम सुविधा दे रहे हैं। इस कारण 2024 में 20 करोड़ से अधिक भारतीयों ने पर्यटन की दृष्टि से भारत में ही प्रवास किया है। इससे भी अधिक 55 करोड़ से अधिक भारतीय महाकुम्भ के कारण आध्यात्मिक पर्यटन हेतु उत्तर प्रदेश की यात्रा पर गए हैं। यह देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
विदेशी पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता देने का चलन अब बीते दिन की बात हो चुकी है। विदेश जाने को लेकर यात्रा प्रेमियों की सोच में अब बदलाव देखा जा रहा है। अब वे अपने ही देश की सुंदरता को निहारने में रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि पर्यटन उद्योग के जानकार इसे सकारात्मक बदलाव के तौर पर ले रहे हैं। पर्यटक छुट्टियों के दौरान अपने परिवार के साथ ऐसे अद्भुत स्थानों पर समय बीताना चाहते हैं। इन परिस्थितियों ने देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक ज्ञान का पता लगाने की लोगों में इच्छा जगाई है। इससे देश के स्थानीय पर्यटन उद्योग को भी नई दिशा मिल रही है। मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात से लेकर केरल तक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, नैसर्गिक सौंदर्य की देशवासी खोज कर रहे हैं। छोटे तहसील-जिलों से लेकर शहरों के लिए बेहतर सम्पर्क यातायात सुविधा व सुरक्षा, घरेलू पर्यटन की मांग को और बढ़ा रही है। अनेक विकास योजनाओं के साथ देश बदल रहा है। सरकार ने रेलवे, सड़कों और हवाई अड्डों सहित यातायाता व्यवस्था को विकसित व सुचारु करने में भी निवेश किया है जो यात्रा को सुलभऔर मनोरंजक बना रहा है।
पर्यटन यह अपने आप को नए सिरे से जानने का उत्तम माध्यम हो सकता है। पर्यटन की बदलती व्याख्या को स्पष्ट करने और भारत के विभिन्न राज्यों में मनभावन एवं सुविधा सम्पन्न पर्यटन से जुड़े विषयों को हिंदी विवेक के सुजान पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए ‘पर्यटन विशेषांक’ प्रकाशित कर रहे हैं। आप सभी सुधी पाठकों को यह विशेषांक अवश्य पसंद आएगा। इस विशेषांक के माध्यम से भारत दर्शन यानी पर्यटन की प्रेरणा आपके मन व हृदय में निर्माण हों। इस विशेषांक को प्रकाशित करने के पीछे हमारा यही मुख्य उद्देश्य है।