संघ में सच्चे अर्थों में हैं संविधान… – विट्ठल कांबळे (कार्यवाह– कोंकण प्रांत, रा. स्व. संघ)
संघ विचार का अर्थ है हिंदुत्व का विचार, सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण का विचार. संघ में किसी की जाति पता ही नहीं चलती, जब समाज पूछता है तब मालूम पड़ता है. इसलिए संघ में सच्चे अर्थों में संविधान हैं. यह वक्तव्य रा. स्व. संघ के कोंकण प्रांत कार्यवाह विट्ठल कांबळे ने ‘हम संघ में क्यों है’ पुस्तक के विमोचन समारोह के दौरान दिया. संघ की अनूठी कार्यपद्धति संघ को अब भी जीवंत संगठन बनाए हुए हैं. स्वयंसेवक का अर्थ क्या है, तो निस्वार्थ बुद्धि. यह बुद्धि बहुत ही घातक होती है, उसे मन कब भटका दे, कह नहीं सकते. इसलिए बुद्धि को सही दिशा में ले जाने हेतु ‘हम संघ में क्यों है… नामक यह पुस्तक बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.
उन्होंने आगे संघ की एक सभा का उल्ल्लेख करते हुए कहा कि सभा में आए हुए शताब्दी प्रस्ताव पर एक युवा ने प्रश्न पूछा कि संघ को १०० वर्ष पूर्ण होने पर संघ स्वयं की पीठ क्यों थपथपा रहा है, संघ को स्वयं की स्तुति करने की क्या आवश्यकता है? तब तत्काल सरकार्यवाह ने इस प्रस्ताव का स्वरूप बदलकर ‘संघ का संकल्प’ कर दिया. इसे संघ कहते हैं, यहीं है असली लोकतंत्र है, यहीं है संविधान. ‘मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में क्यों आया’ अपनी इस आत्मीयता का विचार पतंगे जी ने इस पुस्तक में बताया है. पुस्तक के मुख पृष्ठ को देखकर ही पुस्तक का सार स्पष्ट होता है. मुख पृष्ठ पर पिता-पुत्र जा रहे हैं, आ नहीं रहे हैं, इसका अर्थ है यह प्रक्रिया शुरू हो गई है और इस यात्रा का अंत नहीं है.
हमारे मन में संघ के विषय में कोई शंका या प्रश्न न रहें, इस हेतु से इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है. संघ की कार्य पद्धति जानना हो तो यह पुस्तक अवश्य पढ़े. स्वयंसेवकों का आह्वान करते हुए उन्होंने आगे कहा कि संघ शताब्दी वर्ष महोत्सव करने का वर्ष नहीं है अपितु कार्य वृद्धि एवं विस्तार का वर्ष है.सभी स्वयंसेवकों को अंतिम क्षण तक संघ कार्य करते रहना चाहिए. एक भी संघ शाखा बंद न पड़े, यही हमारा उत्सव-महोत्सव होगा.
हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने अपने सम्बोधन में हिंदी विवेक पत्रिका के सफल १५ वर्षों की यात्रा के सम्बंध में जानकारी दी और राष्ट्रीय एवं सामाजिक योगदान में हिंदी विवेक की भूमिका का उल्लेख किया. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में हिंदी विवेक द्वारा ‘दीपस्तम्भ’ ग्रंथ जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने संघ संस्थापक प.पू. सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के योगदान को भी रेखांकित किया. इसके अलावा उन्होंने पद्मश्री रमेश पतंगे की साहित्यिक यात्रा का उल्लेख करते हुए आगे कहा कि पतंगे जी ने ७० से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जो आज समाज को सकारात्मक दिशा दे रही है. जिस प्रकार उनकी ‘मैं मनु और संघ’ पुस्तक ९ भाषाओँ में प्रकाशित हुई, उसी तरह ‘हम संघ में क्यों है’ पुस्तक भी ९ भाषाओँ में प्रकाशित होगी.
पद्मश्री रमेश पतंगे ने अपनी मनोभावना व्यक्त करते हुए कहा कि अनेक वर्षों से हम संघ के स्वयंसेवक के रूप में कार्य करते हुए इतने वर्षों से संघ में है, तो हमें उससे क्या मिला, क्या कमाया, हम ओबीसी है, तो संघ में कैसे? हमें राजनीति में भी बड़ा पद मिलना चाहिए था, ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर देने के लिए ‘हम संघ में क्यों है’ पुस्तक लिखी है. उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के संबंध में कहा कि जब गृह मंत्रालय से पूछताछ के लिए मुझसे पूछा गया कि क्या आप पुरस्कार स्वीकार करेंगे, तब मैंने उन्हें व्यंग्य करते हुए कहा था कि हम ‘पुरस्कार वापसी’ के सदस्य नहीं है. प्रारम्भ से ही संघ स्वयंसेवक पुरस्कार से दूर है. संघ स्वभाव ऐसा है कि सब कुछ देना है, लेना कुछ भी नहीं. जीवन के प्रत्येक अवस्था से गुजरते हुए ‘संघ कैसे समझे’, इसका विवरण पुस्तक में सहज रूप में दिया गया है.
मुंबई के उपनगर जोगेश्वरी स्थित अस्मिता विद्यालय में सम्पन्न हुए पुस्तक विमोचन समारोह में मंच पर अस्मिता विद्यालय के अध्यक्ष चंद्रशेखर पारखी, सहार भाग संघचालक रवीन्द्र नाथानी, हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कोकण प्रांत कार्यवाह विट्ठलराव कांबळे सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे. रामनवमी के शुभ अवसर पर बाल छात्रों ने राम रक्षा स्तोत्र पठन कर सभी को भाव विभोर कर दिया और नृत्य-नाट्य का प्रदर्शन कर साक्षात् श्री रामजी के दर्शन की अनुभूति करवाई.
आपातकाल में कारावास की सजा पाने वाले और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को विस्तार देने हेतु अपना योगदान देने वाले सहार भाग के वरिष्ठ स्वयंसेवक गणपत रहाटे, केशवराव काजरेकर, रमेश सावंत, राजेंद्र यादव, विनोद भाई शाह, गणपत पानकर, सुधाकर बारसोडे, दत्ता कदम जी का विशेष सम्मान विट्ठल कांबळे एवं रमेश पतंगे जी के करकमलों द्वारा किया गया.
कार्यक्रम का सफल संचालन पल्लवी अनवेकर ने किया और प्रशांत मानकुमरे ने सभी का आभार माना.
-सूर्यकांत आयरे
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