कश्मीर के पहलगाम में हिंदुओं पर हुए हमले को एक महीना पूरा हो रहा है। हिंदू पर्यटकों को धर्म पूछ कर पाकिस्तान पुरस्कृत मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा मौत के घाट उतर दिया गया। इस्लाम का सहारा लेकर जिहाद के सहारे अमानवीय कृत्य और दुष्कर्म को बढ़ावा देनेवाले मुस्लिम आतंकवादियों को धर्म की सही व्याख्या समझ में नहीं आई। धर्म शब्द के साथ जो श्रद्धा और शाश्वत समर्थन जुड़ा हुआ है उसका शोषण यह मुस्लिम कट्टरवादी आतंकी कर रहे हैं। कट्टरपंथी मुस्लिमों को अपने धर्म के संदर्भ में जो गलत सही जानकारी है वह भले ही उन तक रहे, लेकिन सनातन परम्परा में जो धर्म की व्याख्या बताई गई है वह सभी तक पहुंचनी आवश्यक है।
जीवन की समग्र आवश्यकताओं को और पहलुओं को ध्यान में रखकर भारत में धर्म और सिद्धांतों के आधार पर अति प्राचीन काल में जीवन के अनेक मूलभूत मूल्यों की स्थापना की गई है। इन जीवन मूल्यों का उद्देश्य केवल इस भारत की भूमि के लोगों के लिए शुभ और कल्याण की स्थापना करने तक सीमित नहीं था। सनातन हिन्दू धर्म संपूर्ण विश्व को परिवार के रूप में मानता है। धर्म के वसुधैव कुटुंबकम् इस वैश्विक संदेश के प्रति जागरूकता से ही विश्व में शांति तथा सद्भाव को स्थापित किया जा सकता है। यह अत्यंत समृद्ध और संपन्न सांस्कृतिक विरासत की हिंदू जीवन पद्धति की मूलभूत संपदा है, जो विश्व की किसी भी संपदा से अधिक मूल्यवान है। इसने देश के लोगों को एक राष्ट्र के रूप में बनाए रखा है। सनातन काल से जन कल्याणकारी तथा श्रेष्ठ आदर्श पर टिके हुए धर्म मूल्य ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। और यही कारण है कि यह धर्म मूल्य सदियों से चले आ रहे सामाजिक तथा राजनीतिक प्रहारों का सफलतापूर्वक सामना करने में सफल रहे हैं।
धर्म के अंतर्गत अनेक प्रकार के मूल्य राष्ट्रभक्ति, सामाजिक, दायित्व, सेवा तथा त्याग आदि शामिल है। सभी मानवीय समस्याओं के समाधान के रूप में विकसित की गई प्राचीन भारतीय प्रज्ञा और तत्वज्ञान पर आधारित यह सनातन धर्म है। सनातन काल से चली आ रही इसकी उपयोगिता और व्यापकता के कारण ही धर्म शब्द के उल्लेख मात्र से ही इस देश के प्रत्येक व्यक्ति की भावना जागृत हो जाती है। धर्म शब्द का प्रयोग न्याय के लिए किया जाता है। एक निश्चित स्थिति में क्या सही और क्या गलत इस बात का ज्ञान धर्म के आचरण से मिलता है।
तादृशोऽयमनुप्रश्नो यत्र धर्मः सुदुर्लभः।
दुष्करः प्रतिसंख्यातुं तत्केनात्र व्यवस्यति॥
प्रभवार्थाय भूतानां धर्मप्रवचनं कृतम्।
यः स्यात्प्रभवसंयुक्तः स धर्म इति निश्चयः॥
जब युधिष्ठिर ने धर्म शास्त्र के श्रेष्ठ जानकार भीष्म पितामह से धर्म के अर्थ एवं उसकी व्याख्या करने का निवेदन किया। तब उन्होंने धर्म का अर्थ समझाते हुए युधिष्ठिर को कहां, धर्म के अर्थ का विश्लेषण करना बहुत दुष्कर कार्य है, पर मैं इतना कहना चाहता हूं कि मनुष्य सहित सभी प्राणियों का उद्धार करने के लिए जो तत्व सहायक बन सकता है, उसे धर्म कहते हैं। जो जीवन का कल्याण एवं योगक्षेम करता है, वही धर्म है। युधिष्ठिर ने भीष्मपितामह के पास जाकर उनसे राजधर्म की शिक्षा देने की प्रार्थना की थी। युधिष्ठिर के आग्रह पर भीष्म पितामह द्वारा राज्य, राज्य के उद्देश्य तथा राजधर्म साथ ही साथ विधि के शासन, राज्य सत्ता तथा राजा के अधिकारों तथा कर्तव्यों का विवेचन किया गया है। भीष्म के अनुसार सफल तथा प्रभावी शासन व्यवस्था तभी स्थापित होगी जब राज्य का राजा नैतिक गुणों से युक्त होगा। महाभारत में राजतंत्र और समाज की अवस्था और व्यवस्था पर राजा के प्रभाव को बड़े ही अर्थपूर्ण ढंग से वर्णन किया गया है।
कालो वा कारणं राज्ञो राजा वा कालकारणम्।
इति ते संशयो मा भूद्राजा कालस्य कारणम्॥
राजा के कारण युग का निर्माण होता है या समाज की अवस्था या समय राजा के कार्यों को प्रभावित करता है। निसंदेह राजा ही समाज एवं राष्ट्र और युग की स्थिति का निर्माण करता है। यह सिद्धांत चिरंतन सत्य है। किसी भी सामाजिक व्यवस्था में राजा ही राज्य की या समाज की स्थिति के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होता है। क्योंकि समाज में धर्म की स्थिति राजधर्म के प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन पर निर्भर करती है।
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितम्।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम्॥
प्रजा के सुख की रक्षा करना ही राजा का कर्तव्य और राजधर्म का लक्ष्य है। प्रजा का हित ही राजा का हित है। राजा को अपने मन से कुछ भी नहीं करना चाहिए। जो प्रजा चाहती है वही करना राजा का कर्तव्य है। भारत निरंतर शांति के पक्ष में रहा है लेकिन जब आतंकवाद का सहारा लेकर बार-बार पाकिस्तान जैसा देश भारत को परेशान करने का मकसद रखता है। ऐसे समय में पाकिस्तान को उसकी मर्यादा दिखाने की अत्यंत आवश्यकता थी। यह भारतीय नागरिकों की आंतरिक इच्छा थी। सही नेतृत्व वही होता है देश की जनता की इच्छा को पहचान कर उस पर प्रत्यक्ष कार्यवाही करता है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सिर्फ 25 मिनट में पाकिस्तान को सबक सिखा कर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की इच्छा को पूरा किया। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को विश्व के सामने मुंह के बाल गिरा दिया है।
हमारे धर्माचरण का उद्देश्य आदर्श रामराज्य है। यह एक ऐसे समाज का सपना है जिसमें लोग चार पुरुषार्थों अर्थात् धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पालन करते हुए उन्नत नैतिक समाज की स्थापना करेंगे। धर्म का अस्तित्व और उसका अनुकरण ही आदर्श समाज का लक्षण है। देश का शासन स्पष्ट, सक्षम और पारदर्शी हो तो, समाज स्थाई होता है। राजा केवल एक प्रतीक नहीं है, वह राज्य के प्रशासन को चलानेवाला व्यवस्थापक हैं। वह निस्वार्थ भावना से धर्म के अनुरूप कार्य करके प्रजा की प्रगति, सामंजस्य और सुख के लिए हमेशा सतर्क रहता है। यदि शासक राज्य के दुश्मनों से देश का संरक्षण नहीं करते हैं तो वह धर्म का पालन नहीं करते हैं, तो वहां दुराचारी लोगों का शासन बढ सकता है। जब-जब धर्म पर आघात होगा तब-तब धर्म की रक्षा के लिए राजा को अग्रसर रहना होता है। धर्म आचरण में बताए हुए इस शाश्वत सत्य को मानकर नरेंद्र मोदी ने जनता और देश के प्रति अपना कर्तव्य पूर्ण करने का प्रयास किया है।
पिछले 12 सालों में भाजपा सरकार केंद्र में है। भाजपा सरकार ने जो विकास योजना और विकास कार्य करने का प्रयास किया है , वह भारतीय जनता के जीवन में मूलभूत सेवा सुविधा की पूर्ति करने वाले साबित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की अत्यंत गतिमान अर्थव्यवस्था साबित हो रही है। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्राप्त हो रहा है। भारत के विकास पर वैश्विक मुहर लगाई जा रही है। अयोध्या में श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण करने का संकल्प पूर्ण किया है। देश के अमृत काल में आगामी 25 सालों में विकसित भारत का स्वप्न नरेंद्र मोदी ने जनता के सामने रखा हुआ है। विकसित भारत का अर्थ सिर्फ मूलभूत सेवा सुविधा नहीं है। भारत पर तेढ़ी नजर रखने वाले दुश्मनों के सामने देश को सामर्थ्यशाली बनाकर खड़ा करना होता है। वक्त आने पर देश के दुश्मनों की रीड की हड्डी तोड़कर अपने सामर्थ्य का प्रमाण देना होता है।
नरेंद्र मोदी ने विकास, सामर्थ्य, संरक्षण, स्वावलंबन और आत्मविश्वास इन सारी बातों पर भारत को प्रत्यक्ष रूप में सामर्थ्यशाली बनाकर विश्व के सामने प्रस्तुत किया हुआ है। उरी या पुलवामा में हुआ हमला हो, कश्मीर में हिंदू पर्यटकों पर हुआ मुस्लिम आतंकवादियों का हमला हो। इन सारे समय मुस्लिम आतंकवादियों को पाकिस्तान की भूमि में घुसकर मारा है। देश की संप्रभुता के लिए जो बोला वह प्रत्यक्ष साकार करने की कार्य कुशलता एवं प्रवीणता के कारण नरेंद्र मोदी सिर्फ भारत में ही नहीं तो संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय नेता हैं। आदर्श नेता की परिभाषा यह है कि वह समाज का नेतृत्व करने वाला ऐसा मार्गदर्शक होता है जिसे समाज की अगणित समस्याओं का ज्ञान होता है। साथ ही वह क्षमता भी होती है कि वह उन समस्याओं का हल भी निकाल सके। नव-सृजन और विकास की बागडोर संभालने वाले और आवश्यकता पड़े तो शत्रुओं का संहार करने की शक्ति रखने वाले राजा की समाज को जरूरत होती है। समाज, संस्कृति, मातृभूमि के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कार्य करने वालों ने ही इस समाज और राष्ट्र को ऊँचा उठाया है। अपने राष्ट्र को जगाने का प्रयास किया है।
धारणात् धर्म इत्याहुः धर्मो धारयति प्रजाः।
जिस समाज में धर्म-धारणा जिन्दा रहती है वह समाज, वहाँ की प्रजा सदैव सुरक्षित बनी रहती हैं। जब हम भारत के विकास की, स्व सामर्थ्य की, आत्मविश्वास की चर्चा करते हैं तो नरेंद्र मोदी सरकार के 12 साल के कार्यकाल में भारत ने विश्व के सामने सभी मोर्चे पर सम्मान से खड़े रहने का सामर्थ्य पाया है। भारतीय नागरिकों के मन में आत्मविश्वास जाग्रत हुआ है। इसी से नरेंद्र मोदी देश के नेता के रूप में अपने कर्तव्यों के पालन के तत्परता की झलक मिलती है। उन्होंने धर्म के तत्वों जागृत रखने का काम किया है। पाकिस्तान जैसे आपराधिक राष्ट्र के मन में डर पैदा करना बहुत जरूरी है। वह भारत देश के नेता नरेंद्र मोदी ने किया है। अमृत काल और भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में नरेंद्र मोदी ने उठाये यह सक्षम और सुनियोजित कदम है। इसमें कोई संदेह नहीं गुलामी के निशानी को पीछे छोड़ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत देश उज्जवल भविष्य की ओर गर्व के साथ मार्गक्रमण कर रहा है। विकसित भारत का संकल्प पूर्ण होने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने समय-समय पर नए भारत की जो-जो सशक्त संकल्पना प्रस्तुत की है, जो सामर्थ्यवान भारत के लिए नए अभिनव प्रयोग करने का प्रयास किया है, उससे भारतीय नागरिक स्वाभिमान महसूस कर रहे हैं। इसी कारण भारतीयों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को राष्ट्र के कल्याण की दृष्टि देने वाला नेतृत्व माना हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों से नरेंद्र मोदी की बुनियाद बनी है। वह बुनियाद समर्थ राष्ट्र के निर्माण का संकल्प मानती है। संकल्प का संबंध सत्य और धर्म से होता है। इसका प्रयोग राष्ट्र की पुनर्स्थापना और राष्ट्र वैभव को पुनः प्राप्त करने के लिए करना यह होता है। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार का भाव है। इस संस्कार से निर्माण हुआ नरेंद्र मोदी जैसा नेतृत्व देश के प्रधान मंत्री के रूप में देश को प्राप्त हुआ है। अधर्म से धर्म की ओर, अन्याय से न्याय की ओर , कायरता से साहस की ओर राष्ट्र जीवन को निरंतर अग्रसर होने का संकल्प सार्थक करने के लिए यह नरेंद्र मोदी का नेतृत्व कार्य कर रहा है। ऐसे स्वार्थ रहित और राष्ट्र उत्थान के संकल्प परंपरा को उज्जवल गाथाओं से ही जोड़ा जा सकता है।
एक और महत्त्वपूर्ण बात है की धर्मतंत्र व राजतंत्र का एकत्रित सहभाग हो। धर्म के माध्यम से राजतंत्र को दिशा प्रदान की जा सकती है। देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के अडियल रवैए को ठीक करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर जैसे सख्त कदम उठाए हैं। वही नरेंद्र मोदी विश्व स्तर पर रूस – यूक्रेन में शांति स्थापित करने के पक्षधर भी रहे हैं। वैश्विक पटल पर भारत के सभी क्षेत्र में उभरती ताकत को देखते हुए धर्म के हितों का पालन करने वाले नरेंद्र मोदी जैसे नेतृत्व का होना शायद यह वर्तमान एवं भविष्य के उज्जवल भारत के लिए नियति की ही सुनियोजित रचना होगी।