भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ द्वारा सैन्य पराक्रम दिखाकर पाकिस्तान को चेता दिया है कि अगला जिहादी हमला आतंकवादियों और उनको पालने-पोसने वाली पाक सेना के लिए काल सिद्ध होगा तथा उसके देश का मानचित्र भी बदल सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच में चार दिनों तक चली झड़पें युद्ध का रूप लेती जा रही थीं, परंतु संघर्ष विराम ने इसे कुछ समय तक टाला है। अचानक हुए संघर्ष विराम से कई प्रश्न खड़े हुए। अधिकतर लोग इस ऑपरेशन को पाकिस्तान को स्थायी सबक सिखाने के अवसर के रूप में देखते थे, जबकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के विरुद्ध एक अभियान था। इस संघर्ष विराम से भारत को क्या लाभ हुआ? पाकिस्तान ने क्या सबक सीखा? 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर 26 हिंदू पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी, जिसके बाद देशभर में एक स्वर से आवाज उठी कि पाकिस्तान प्रायोजित इन हत्यारों को अत्यंत कठोर सबक सिखाने की आवश्यकता है। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को एक रात में सिर्फ 25 मिनट में ध्वस्त कर दिया। जिसका देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से स्वागत हुआ। चार दिनों तक लगातार संघर्ष के बाद पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने आखिरकार युद्धविराम का अनुरोध किया। इसे भारत ने अपनी शर्तों पर स्वीकार किया। भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब आगे आतंकवादी हमला ‘एक्ट ऑफ वार’ माना जाएगा।
यह संघर्ष विराम भारत की सटीक बुनियादी विदेश नीति का संकेत दे रहा है। कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इच्छा सारे मामले में प्रकट हो रही थी, परंतु कश्मीर सहित भारत और पाकिस्तान के बीच सभी लम्बित मुद्दों को किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार किए बिना द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करने का भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है। अमेरिका का यह भाव इस डर से पैदा हुआ था कि कहीं भारत-पाक युद्ध के परिणामस्वरूप परमाणु संकट न पैदा हो जाए। भविष्य में इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सैन्य पराक्रम और राजनीतिक समन्वय से जो कुछ कमाया है, उसे सुरक्षित रखा जाए तो आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को भविष्य में भी जारी रखा जा सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत होना चाहिए।
लोगों को यह याद रखना चाहिए कि युद्ध कोई टीवी चर्चा या सोशल मीडिया पर जुबानी जंग नहीं होती है। विश्व के अनेक देशों ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत के साथ खड़े है, किंतु किसी भी देश ने पाकिस्तान पर आरोप नहीं लगाया या दबाव नहीं डाला। अमेरिका की ओर से भी सीधे समर्थन का कोई बयान नहीं आया था। जिस प्रकार अमेरिका ने यूक्रेन को उकसाया था और प्रत्यक्ष युद्ध होने पर यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया था। यह बात हमें ध्यान में रखनी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हर देश अपने हितों की रक्षा पर जोर देता है। इसलिए हमें अपनी शक्ति पर विश्वास करना होगा, भविष्य में अपने सामर्थ्य में वृद्धि करने की दृष्टि से अपनी सोच रखनी है। वैश्विक कूटनीति में दूसरों पर निर्भरता नहीं चलती हैं। वर्तमान समय में पाकिस्तान बहुत कमजोर हो गया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था, परंतु इस बात पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि पर्दे के पीछे अलगही घटनाएं घटित हो सकती है।
चार दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए और पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसमें बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में पांच जगहों पर भारतीय सेना द्वारा हमले किए गए। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने हिंदू पर्यटकों की हत्या करते समय उनके परिवार की महिलाओं से कहा कि जाकर मोदी से कह देना… इस आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने 7 मई की आधी रात के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभियान प्रारम्भ किया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभियान चलाते हुए भारतीय सेना ने आतंकवादियों को संदेश दिया कि भारतीय नागरिकों से कोई बैर लोगे, तो खैर नहीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने उन महिलाओं को न्याय दिलाने का प्रयास किया है जिनके सुहाग पहलगाम नरसंहार में मारे गए।
असल में भारत के द्वारा कोई युद्ध प्रारम्भ नहीं किया गया था, मात्र पाकिस्तान में छुप कर बैठे हुए आतंकवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन शुरू किया गया था। इस आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में पाकिस्तान की पूरी तरह हार हुई है। पाकिस्तान इसे युद्ध समझ रहा है। जैसा कि पहले भी चार बार पाकिस्तान से युद्ध हो चुका है, पर अब ये कहना पड़ेगा कि ये ‘ऑपरेशन ़सिंदूर’ ज्यादा असरदार और सटीक हमला था। इससे मोदी की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है, परंतु यहां नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का कोई प्रश्न नहीं है। मोदी के नेतृत्व शैली का लोगों के मन पर प्रभाव निर्माण हो रहा है। मोदी ने स्वयं इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया। भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों पर हमला कर मसूद अजहर के परिवार के 9 सदस्य को खत्म कर दिया है, जबकि एक अन्य आतंकवादी अब्दुल रऊफ भी मारा गया। नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। इससे उनकी खेती पानी के अभाव में सूख जाएगी।
साथ ही कई आर्थिक उपायों की भी योजना बनाई गई है जिससे पाकिस्तान का जीना दुष्कर हो जाएगा। पाकिस्तान को उसकी गलती का एहसास कराना आवश्यक था और मोदी सरकार ने यह किया है। अब पाकिस्तान को भारत के तीनों दलों के जांबाज सैनिकों द्वारा उसकी नानी याद दिलाने के बाद शांति का सिद्धांत याद आया है। युद्ध गलत है वह बता रहे हैं। पाकिस्तान इतने लम्बे समय से यही कर रहा था। मोदी के राज में पाकिस्तान को भारत से उतनी ही कड़वी प्रतिक्रिया मिली है। यदि आप शांति चाहते हैं तो आपको मजबूत बनना होगा, ये बात भारत ने मोदी के राज में सिद्ध कर दी है। मोदी ने पाकिस्तान को सबक तो सिखा दिया है, इतनी सजा पाने के बाद भी पाकिस्तान आतंकवाद से बाज नहीं आया तो यह सच है कि दुनिया का कोई भी देश पाकिस्तान को नहीं बचा सकता।
1948 से लेकर अब तक चार युद्ध पाकिस्तान के साथ हुए, परंतु 2025 का पाकिस्तान को दिया गया करारा उत्तर एक अलग प्रकृति का है, जो देश के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आधारशिला बनेगा। भारत अब आतंकवाद के किसी भी कृत्य को युद्ध का कृत्य मानता है। यह सिद्धांत भारत को अमेरिका और इजराइल जैसे देशों के साथ जोड़ता है। भारत के वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने से भूराजनीतिक प्रभाव बढ़ा है। पाकिस्तान की क्षमता सभी मोर्चे पर कमजोर हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर की यह सफलता भारत की आक्रामक सैन्य रणनीति का परिचायक है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर की धाक न केवल सीमा के पार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के ठिकानों पर महसूस की गई बल्कि रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय तक भी पहुंची है। ऑपरेशन सिंदूर यह केवल सेना का ऑपरेशन नहीं था बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक था। अपनी आक्रामकता से भारत ने पाकिस्तान और आतंकवादियों को संदेश दिया है कि अब सीमा पार की जमीन आतंकवादियों और उनके समर्थकों के लिए सुरक्षित नहीं होगी।
पूरा देश भारतीय सेना को बधाई दे रहा है। यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति एवं कूटनीति की सफलता है।
ऑपरेशन की जानकारी देने हेतु प्रवक्ता के रूप में भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और इंडियन एयरफोर्स की विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना गया। सोफिया और व्योमिका के जरिए यह संदेश दिया गया कि हिंदू-मुस्लिम में तनाव बढ़ाने की कोई नापाक कोशिश सफल नहीं होगी। पहलगाम आतंकी हमले में महिलाओं का सिंदूर उनके आंख के सामने छीना गया। आतंकियों को उसी सिंदूर की कीमत समझाते हुए आतंक के ठिकानों को ध्वस्त किया गया। ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक ठोस कदम है।
मेटियोर, स्काईस्ट्राइकर, स्पाइस 2000 और एक्सकैलिबर जैसे हथियारों के प्रयोग ने भारतीय सेना को दुश्मन के इलाके में गहराई तक और सटीक हमला करने की अभूतपूर्व क्षमता प्रदान की है, उल्का मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यह है वह राफेल विमान का प्रभावी हिस्सा है जो हवा में सुपरसोनिक गति से दुश्मन के विमान पर प्रहार करते हैं।
उल्का की विशाल रेंज और सटीकता उसे हवाई युद्ध में एक गेमचेंजर सिद्ध करती है। अभियान में स्कैल्प (स्टॉर्म शैडो), क्रूज मिसाइलों, हैमर सटीक-निर्देशित बम इंटरसेप्टर हथियारों का उपयोग किया गया। भारत की एस-400 सुदर्शन चक्र जैसी रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत हमलों में पाकिस्तानी आतंकी और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने 9 पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर सटीक हमला कर उसे ध्वस्त कर दिया। वर्तमान भारत अत्याधुनिक हथियार, उपग्रह प्रौद्योगिकी, मिसाइल प्रणाली और परमाणु क्षमताओं से सुसज्जित हैं, यह बात दुनिया को महसूस हो गई। ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति मानी जाती है। ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र, हवा और यहां तक कि पनडुब्बियों से भी दागा जा सकता है। सशस्त्र भारतीय सेना न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है बल्कि दुश्मन के इलाके में गहराई तक सटीक हमला करने की भी क्षमता रखती है, यह संदेश भारत की सुरक्षा से जुड़े आधुनिक तकनीक ने विश्व तक पहुंचाई है।
इसरो ने भी पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अहम भूमिका निभाई है। इसरो के उपग्रह नेटवर्क ने भारतीय सेना को आतंकवादी ठिकानों की सटीक स्थिति, पाकिस्तान की सेना को निशाना बनाने, हथियारों के भंडार, सेना की गतिविधियां और रडार साइटों के बारे में जानकारी प्रदान की है। इसी के कारण भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सभी हमलों को बेअसर कर दिया। कारगिल युद्ध के बाद भारत ने हथियारों और गोला-बारूद में आत्मनिर्भर बनने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को अपनाया। ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से हम हथियार उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहे हैं। मेक इन इंडिया के जरिए हम कम कीमत पर हथियार बना रहे हैं। हमारी हथियारों की आवश्यकताओं को सफलतापूर्वक पूरा कर रहे हैं। अब हम बड़ी मात्रा में हथियारों का निर्यात भी करते हैं। ‘मेक इन इंडिया’ से हमारा लॉजिस्टिक स्टैमिना बढ़ा है। कम लागत वाले छोटे हथियारों का सही जगह पर प्रयोग करके हम सही लक्ष्य पर उचित कार्रवाई कर सके हैं। हम युद्ध की उचित रणनीति का उपयोग करके भारत देश के दुश्मन को हानि पहुंचाकर सबक सिखा सके हैं। देश की रक्षा करने के लिए उठाए गए मजबूत कदम भारत के सामरिक सामर्थ्य के कारण ही उठाए गए हैं। सम्पूर्ण विश्व को यह बात पाकिस्तान के साथ हुए इस संघर्ष ने ध्यान में लाकर दी है।
अब भारत के विरुद्ध कोई भी हरकत करने से पहले पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि यदि भारत का धैर्य समाप्त हुआ तो दुनिया का नक्शा भी बदल सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के संदर्भ में प्रबल आशा व्यक्त की जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर समाप्त हो गया। इसकी प्रासंगिकता, प्राप्ति, उपलब्धियों की चर्चाएं चलती रहेंगी, परंतु जो बात याद रखी जाएगी वह है युद्ध क्षेत्र में भारत के प्रौद्योगिकी विकास की। इस बार हमने सैनिकों, टैंकों, बंदूकों के विपरीत तस्वीर देखी। केवल मशीनें प्रभावी रूप में परिणाम कारक काम कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर ने 1971 के बाद के युग में भारत की सैन्य भूमिका को एक नया आयाम दिया है। ऑपरेशन सिंदूर एक व्यापक, बहु-आयामी, उच्च तकनीक वाला आक्रामक ऑपरेशन सिद्ध हुआ है।
इस हमले के बाद पाकिस्तान, भारतीयों को विभिन्न रूपों में हानि पहुंचाने की कोशिश अवश्य करेगा। हमें इस आतंकवादी सोच से स्पष्ट रूप से जीतना है। इसके लिए हमें सीमा के बाहर और देश के अंदर मजबूत बनना है। ऐसा करते समय हमें पाकिस्तान या अन्य जगहों से होने वाले अलग-अलग साइबर हमलों से भी सावधान रहना होगा। हमारी राजनीतिज्ञों को पाकिस्तान पर कुछ अधिक विश्वास रखने की प्रवृत्ति को त्याग देना पड़ेगा। हालांकि पाकिस्तान अपने खस्ते हाल के कारण फिलहाल विनम्रता दिखाएगा, किंतु हमें उस पर एक व्यापक राजनीतिक और आर्थिक प्रतिबंधों को आगे बढ़ाना होगा। इसके साथ चीन की विस्तारवादी नीति से भी भारत को सावधान रहने की आवश्यकता है।
भले ही पाकिस्तान की सैन्य शक्ति बहुत कम हो, फिर भी केवल बल से शत्रु को नहीं हराया जा सकता, इसके उदाहरण आज भी कई है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा पट्टी का युद्ध भी इसका एक ताजा उदाहरण है। बाहरी शक्तियों के साथ लड़ते-लड़ते हमें देश के अंदर के गद्दारों के साथ भी अत्यंत संयम एवं जाग्रत रूप से लड़ना है। इसके लिए हमें रणनीति से दूरदर्शिता और सम्भावित खतरे की पहचान के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें पाकिस्तान और कश्मीर में क्या हो रहा है, यह देखने के लिए जासूसों की आंखों और कानों की आवश्यकता है। किसी भी आतंकी हमले के बाद भी समाज की एकता भंग न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। हमारे नेताओं और अधिकारियों को हमारे देश की बढ़ते वैश्विक प्रभाव का उपयोग दुनिया को जम्मू-कश्मीर पर हमारी स्थिति को स्वीकार करने के लिए करना चाहिए। हमें ऐसा अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करना होगा कि पाकिस्तान अपनी राजनीति बदलने पर मजबूर हो जाए।
विशेष अत्याधुनिक तकनीक के कारण यह संघर्ष भारत के लिए एक तकनीकी क्रांति बन गया। पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष में भारत ने वैश्विक राजनीति में सामरिक सामर्थ्य प्रस्तुत करने में उपलब्धि पाई है। साथ में अबकी बार आंखें उठाओगे तो आंखे फोड़ दी जाएगी, यह संदेश भी पाकिस्तान को दिया है। ऐसे समय में दुनिया के सामने भारत का सामर्थ्य और समन्वयक भूमिका प्रस्तुत करने में ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम यह एक आदर्श उदाहरण सिद्ध हुआ है। भारत के सैन्य ऑपरेशन और कूटनीतिक भूमिका का हम स्वागत करते हैं।