असम में नवचेतना

असम में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ होने से असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में नवचेतना की लहर दौड़ रही है। नई आशा और आकांक्षा का संचार हुआ है। असम की अस्मिता व विकास से जुड़े विभिन्न मसलों पर केंद्र और राज्य सरकार तेजी से और प्रभावी रूप से कार्य कर रही है। घुसपैठ से राज्य की आबादी के स्वरूप पर होनेवाले परिवर्तनों को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। प्रस्तुत है असम के मुख्यमंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल से हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश

असम में भाजपा को मिली सफलता क्या पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में भाजपा के सत्ता प्रवेश का प्रारंभ कहा जा सकता है? क्यों?
उत्तर-पूर्व क्षेत्र के राज्यों में जल, स्थल और वायु मार्ग से प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग असम से है। इस क्षेत्र के शेष राज्यों अरुणाचल, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा जाने के लिए असम की भूमि से होकर ही जाना होगा। असम इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। शिक्षा, उद्योग -धंधे, विश्वविद्यालय आदि के कारण इस क्षेत्र के लोगों के उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के राज्यों, लोगों की सभी जनजातियों की अपनी-अपनी भाषाएं हैं। जब एक जनजाति अन्य जनजाति से मिलती है तो वे आपस में असम की राजभाषा असमिया का ही प्रयोग करती है। हिंदी का प्रयोग देश के अन्य राज्यों की तरह यहां पर भी चलता है। २०१६ के विधान सभा चुनाव में मिली भाजपा की शानदार जीत का असर इस क्षेत्र के अन्य छोटे राज्यों पर पड़ना स्वाभाविक ही है। उसका असर अभी से दिखने लगा है।

आपने अनेक वर्षों से असम के विकास का सपना देखा है? अब असम के मुख्यमंत्री के रूप में आप क्या भावना रखते हैं?
मेरे सार्वजनिक जीवन की शुरूआत छात्र राजनीति से हुई। इसमें सबसे छोटे-स्तर के कार्यकर्ता से आरंभ कर सीढ़ी दर सीढ़ी अपनी पढ़ाई के साथ ही संगठन में क्षेत्रीय इकाई से जिला इकाई होते हुए इसके सर्वोच्च पद प्रदेश अध्यक्ष के तक पहुंच गया। राज्य के सबसे प्रभावशाली छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) संगठन के समय असम की सभी समस्याओं को देखने और उसके समाधान के उपाय निकालने पर अनेक लोगों से विचार विमर्श किया।
एक जिम्मेदार छात्र नेता के रूप में असम को समृद्ध, सशक्त और गौरवशाली बनाने का सपना मेरी आंखों के सामने हमेशा रहा है। छात्र राजनीति और शिक्षा ग्रहण की एक सीमा होती है। आसू का अध्यक्ष रहते उन्हें सर्वाधिक कष्ट इस बात से होता था कि असम में अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करने, उनको पकड़कर निष्कासित करने को रोकने के लिए १९८३ में केंद्र सरकार इल्लीगल माइग्रेंट्स डिटरमिनेशन बाई ट्राइब्यूनल (आईएमडीटी) कानून बनाया। इस कानून में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि पुलिस को ही प्रमाणित करने का प्रावधान था। नागरिकता कानून में इसके विपरीत व्यवस्था है कि संबंधित व्यक्ति को प्रमाणित करना पड़ता है कि वह भारतीय नागरिक है। इसके विरूद्ध आसू अध्यक्ष रहते इसको चुनौती दी।

गत ६० वर्षों में असम के साथ केंद्र सरकार के माध्यम से अनदेखी की गई है?
असम के लोगों का सबसे बड़ा आरोप था कि असम दिल्ली से बहुत दूर है। इसलिए केंद्र की ओर से इसकी उपेक्षा की जा रही है। इसके कारण इसका विकास अवरुद्ध है। यह सच है कि पराधीन भारत में अंग्रेजों ने अपना हित साधने के लिए यहा पर चाय उद्योग, प्लाईवुड उद्योग, पेट्रोलियम उद्योग और कोयला
उद्योग को बढ़ावा दिया। उसके कारण असम की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला। विभाजन के बाद विशेष रूप से १९६५ के भारत-पाक युद्ध के बाद इसका विपरीत प्रभाव असम और उत्तर पूर्व के राज्यों पर पड़ा। कांग्रेस शासन के साथ ही देश में भ्रष्टाचार बढ़ता गया। इसके कारण विकास का पैसा जनता के पास पहुंचने के पहले ही बीच में बंदरबांट हो जाता था।

आपकी सरकार आने से असम में नवचेतना की लहर दौड़ रही है? कारण?
असम में स्वतंत्रता के ७० वर्ष बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद जनता में नई आशा और आकांक्षा का प्रस्फुरण होना स्वाभाविक है। इसके पहले २०१४ में जब नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में बनी और उसके बाद श्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से भ्रष्टाचार समाप्त करने का अभियान चलाया, उससे जनता में यह विश्वास पैदा हुआ है कि भाजपा शासित राज्यों में भी भ्रष्टाचार मुक्त शासन शुरू होगा। इसके कारण राज्य में विकास के कार्यों में तेजी आएगी। मैंने केंद्र में मंत्री रहते असम में जो कार्य किया उसको देखकर जनता का विश्वास बढ़ा है।

असम में परिवर्तन लाने हेतु किए जाने वाले आपके राजनीतिक कार्यों की जानकारी दें?
असम में जिस तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, उसको देखते हुए असम के लोगों में यह आशंका पैदा हुई कि निकट भविष्य में वे बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक के रूप में बदल जाएंगे। यह केवल आशंका नहीं बल्कि वास्तविकता भी है। १९७१ में जहां पर मुस्लिम आबादी २६ प्रतिशत थी वह बढ़कर २०११ में ३४ प्रतिशत से अधिक हो गई। इसलिए इस वैषम्य को समाप्त करने के लिए मैंने आईएमडीटी को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती ही नहीं दी, बल्कि अपने तर्कों से इसको असंवैधानिक घोषित कराने में सफल हुआ। भारत-बांग्लादेश की खुली सीमा को तारबंदी कराने हेतु अभियान चलाया। यह कार्य पिछली सरकार के दिनों में मंथर गति से चल रहा था, अब उसमें तेजी लाकर तारबंदी को अतिशीघ्र पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। यद्यपि मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत असम गण परिषद (अगप) से की थी किंतु, विधायक और सांसद रहते हुए मुझे यह अनुभव हुआ कि यदि जनता की भलाई के लिए कार्य करना हो तो उसके लिए क्षेत्रीयता के फलक से आगे बढ़ने के लिए राष्ट्रीयता का दृष्टिकोण अपनाना फलदायी होगा। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद मैंने अगप से निकलकर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। २०१४ के लोकसभा चुनावों में परिणाम दिखाई दिया। भाजपा जहां १४ लोकसभा सीटों में से दो से बढ़कर ७ तक पहुंच गई, वहीं राज्य का राजनीतिक शासक दल कांग्रेस १० से सिमटकर ३ तक आ गया। लोकसभा की इस विजय ने २०१६ के विधान सभा की जीत की नींव रख दी।

असम सीमावर्ती राज्य है। राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से असम का महत्व उल्लेखनीय है। असम के नागरिकों से भावनात्मक संबंध बढ़ाने के लिए पूरे देश में कौन से प्रयास होने जरूरी हैं?
असम सीमावर्ती राज्य है और साथ ही आतंकवाद से पीड़ित भी है। एक-दो को छोड़कर प्रायः आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण कर अपनी मांगों के संबंध में केंद्र और राज्य सरकार से वार्ता आरंभ कर दी है। वार्ता विरोधी आतंकी संगठन पहले भूटान, बाद में बांग्लादेश से समर्थन और आश्रय प्राप्त करते थे। केंद्र के प्रयास से इन दोनों देशों से उनको भागना पड़ा। म्यांमार से केंद्र के संबंध मजबूत होने के बाद इनको वहां से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। प्रतिबंधित उल्फा (स्वाधीन) परेश बरुवा अब चीन की शरण में पहुंच गए हैं। इन बातों को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में असम का महत्व काफी बढ़ जाता है। देश के अन्य भागों के नागरिक भी इस क्षेत्र के लोग जहां कहीं भी जाकर के पढ़ते या काम करते हैं, उनके साथ सद्भाव बनाकर यहां के लोगों में देश के अन्य भागों में बंधुत्व स्थापित करने की भावना जगा सकते हैं।

गत ६० वर्षों से असम में अलगाववाद की स्थिति है, उसके लिए कौन सी बातें जिम्मेदार हैं?
असम में अलगाववाद आजादी के साथ ही उत्पन्न हो गया, जो केंद्र और राज्य सरकार प्रयास के बावजूद सुलझा नहीं। जिसके चलते नए-नए संगठन बनते रहे। देश के विभाजन के बाद इस भाग को अशांत रखने के लिए आतंकवाद को पड़ोसी देश प्रश्रय और प्रोत्साहन देता रहा। इसके लिए जिम्मेदार तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकारों की वोट बैंक की राजनीति भी जिम्मेदार रही है।

असम की भौगोलिक, सामाजिक, ऐतिहासिक धरोहरों के संबंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए?
असम को भगवान ने नदियों, पहाड़ों, घाटियों से परिपूर्ण किया है। इसके अलावा असम का सामाजिक ताना-बाना बेहद मजबूत है। वहीं राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को हमारी सरकार सहेजने में जुटी हुई है। इसके जरिए राज्य में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। जिसमें मुख्य रूप से कामाख्या धाम,ऐतिहासिक धरोहरों, राज्य के प्रमुख सत्र, नदी द्वीप माजुली, राष्ट्रीय अभयारण्यों को सुरक्षा प्रदान कर उसको वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

आपके कार्यकाल में असम के विकास एवं सुरक्षा के लिए कौन सी नीति अपनाई गई?
राज्य के विकास के लिए सड़क, रेल व जल मार्गों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। ब्रह्मपुत्र के दोनों छोरों पर एक्सप्रेस हाइवे बनाने के लिए प्रारंभिक काम शुरू किया गया है। राज्य की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए आंतरिक संसाधनों को जहां मजबूत किया जा रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा, खासकर बांग्लादेश से लगने वाली सीमा को पूरी तरह से सील करने का काम जारी है।

असम के युवाओं को राज्य में ही रोजगार एवं आत्मसम्मान मिले, इस दृष्टि से असम में कौन से प्रबंध किए जा रहे हैं?
सरकारी नौकरियों के अलावा कौशल विकास के जरिए स्वरोजगार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहीं पर्यटन के क्षेत्र में विकास होने से युवाओं को रोजगार के बेहतर संसाधान मुहैया होंगे। साथ ही राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए भी सरकार ने प्रयास शुरू किए हैं, जिसका फल भी अब दिखने लगा है। राज्य में बाबा रामदेव की पतंजली ने बड़ा निवेश किया है, जिसमें सीधे तौर पर राज्य के हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। असम में हमारी सरकार एक अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड चेंबर बनाने जा रही है। इसके साथ ही निवेश को आकर्षित करने के लिए हम प्रवासी भारतीय दिवस का भी आयोजन करने जा रहे हैं।

असम सौंदर्य भूमि है, देवभूमि भी है। असम राज्य के पर्यटन विकास की बढ़ोत्तरी के लिए कौन से कारगर कदम उठाए जा रहे हैं?
असम में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक नई नीति ‘आमार आलोही -रूरल होम स्टे स्कीम, ओसम- असम‘ लेकर आई है, जिसके जरिए राज्य के पर्यटन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है। वहीं बालीवुड की अभिनेत्री प्रिंयका चोपड़ा को ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है। पर्यटन के विकास के चलते राज्य में होटल, टूरिस्ट टैक्सी व टूरिस्ट गाइड के क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। राज्य में देसी व विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह की योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है।

मोदी सरकार के आने के बाद असम के विकास के लिए कौन से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए?
मौटे तौर पर असम के विकास के लिए, कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए जुर्म के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति को अपनाया गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद असम के विकास के लिए काफी कुछ किया गया है। जिसमें जल मार्ग को विकसित करने के लिए ब्रह्मपुत्र नद की ड्रेजिंग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण के जरिए सभी को बिजली मुहैया कराने, कौशल विकास के जरिए स्वरोजगार की पहल, शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन, राज्य के सभी हिस्सों में मेडिकल कालेज की स्थापना, गुवाहाटी में एम्स की स्थापना की तैयारी, राज्य में बड़े पैमाने पर फोर लेन सड़कों का जाल बिछाया जाना शामिल है।

असम के नागरिकों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लघु व कुटीर उद्योग (स्माल स्केल इंडस्ट्रीज) भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इस बात को ध्यान में लेकर कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?
कृषि उत्पाद आधारित लघु उद्योगों की स्थापना कर कृषकों की आय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। जबकि जैविक खेती के साथ ही जड़ी-बूटी की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का सपना असम समेत पूरे पूर्वोत्तर को जैविक खेती का हब बनाना है।
साथ ही प्रदेश के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए स्टार्ट अप ‘सारोठी स्कीम की शुरुआत की गई है। इससे राज्य वासियों की आय में भारी बढ़ोत्तरी होगी।

असम के नागरिकों में अस्तित्व और अस्मिता की बड़ी समस्या है। भविष्य में उसका विस्तार होगा या समस्या कम होगी?
असमिया अस्तित्व और अस्मिता को बनाए रखने के लिए घुसपैठ को रोकना, अवैध विदेशियों की पहचान कर उनका नाम
मतदाता सूची से काटकर उनका निष्कासन करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का अद्यतन जरूरी है। इसके पूरा होते ही चीजों में काफी सुधार आएगा। लोगों में अपने अस्तित्व और अस्मिता को लेकर विश्वास का संचार होगा।

धार्मिक ध्रुवीकरण और घुसपैठ यहां की बड़ी समस्या है? इस समस्या से बचने के लिए असम सरकार कौन से प्रयास कर रही है?
धार्मिक ध्रुवीकरण और घुसपैठ को काबू में करने के लिए असम सरकार ने नई जनसंख्या नीति बनाने की घोषणा की है। इसके जरिए सभी समस्याओं का समाधान संभव है।

असम के लोगों की यह भावना है कि हम भारतीय नहीं हैं इस भावना को मिटाने के लिए सरकार के माध्यम से कौन से प्रयास हो रहे हैं?
असम के लोग साधारणतः देश के अन्य भागों की तरह अतिथि प्रेमी हैं। देश के अन्य भागों के लोगों के साथ वे घुल-मिलकर रहते हैं। किंतु, यहां पर एक बहुत छोटा वर्ग है, जिसे माइक्रोस्कोपिक माइनारिटी कहा जाता सकता है, जो यह सोचता है कि असम के लोगों का देश के अन्य भागों से कोई संबंध नहीं है। किंतु, इतिहास, रामायण, महाभारत के आख्यान यह साबित करते हैं कि यहां के लोगों का संबंध अत्यंत पुराना है। चाहे महाभारत के भगदत्त हों या श्रीकृष्ण की रुक्मिणी या उनके पौत्र अनिरूद्ध की ऊषा, ये सभी आख्यान यह प्रमाणित करते हैं कि देश के अन्य भागों से संबंध रहा है। किंतु जब कभी कोई तात्कालिक समस्या को लेकर आंदोलन खड़ा होता है, तो उस समय ये मुखर हो जाते हैं। किंतु, समस्या के समाप्त होते ही ये फिर सुषुप्तावस्था में चले जाते हैं।

वाजपेयी जी के ‘लुक ईस्ट’ और मोदी जी के ‘एक्ट ईस्ट’ में क्या मायने हैं?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘एक्ट ईस्ट’ वाजपेयीजी के ‘लुक ईस्ट’ नीति का अगला चरण है। वाजपेयी सरकार ने जहां तक लुक ईस्ट नीति को लाया था, मोदी सरकार उसके आगे का काम कर रही है। देखना जो था वह अब काम में परिणत हो रहा है। थाईलैंड से भारत तक पहुंचने वाली सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने का काम शुरू हो गया है। इसमें म्यांमार एक बाधा थी, उसको भारत सरकार ने सहायता देकर उसको दूर कर दिया है। इसके पूर्ण होते ही असम और उत्तर-पूर्व के राज्य देश की मुख्य धारा से ही नहीं जुड़ेंगे, बल्कि उद्योग-व्यापार के केंद्र के रूप में विकसित हो जाएंगे।

२०२२ में भारतीय स्वतंत्रता के ७५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। भविष्य के असम राज्य का स्वरूप आप किस प्रकार देख रहे हैं?
असम आजादी का जब ७५वां वर्ष मनाएगा, उस समय तक देश के अन्य नागरिकों के साथ यहां के लोगों के पास भी अपना मकान, उसमें २४ घंटे की बिजली, पानी की व्यवस्था होगी। तब तक स्वरोजगार के साथ ही उद्योग-धंधों का जाल बिछाने की योजना पूर्ण हो जाएगी। जबकि विकास कभी खत्म न होने वाली सतत् प्रक्रिया है।

केंद्र सरकार और असम सरकार की कार्यनीति को असम की जनता सूक्ष्म नजरिए से आकलन कर रही है? इस बारे में आपके क्या विचार हैं?
असम के लोगों की केंद्र और राज्य सरकार से विकास को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं। दोनों सरकारें मिलकर उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए रात-दिन प्रयास कर रही हैं। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उससे जनता संतुष्ट दिखाई पड़ रही है।
असम सरकार केंद्र के साथ मिलकर काम कर रही है। असम और उत्तर-पूर्व के राज्यों में उसके प्रति उत्सुकता बढ़ी है। असम में भाजपा की सरकार बनते ही अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। इस वर्ष मणिपुर के चुनावों ने भाजपा को इतने विधायक दिए कि वह अन्य लोगों के सहयोग से अपनी सरकार गठित कर सके। अगले वर्ष त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड राज्य में चुनाव होने वाले हैं। वहां की जनता भी भाजपा की ओर देख रही है।

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