मेरी अम्मी

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आबिद सुरती अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यंग्य चित्रकार और 80 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। ‘धर्मयुग’ में उनके छपे व्यंग्यचरित्र ढब्बूजी घर-घर का हिस्सा बन गए थे। वे गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखते हैं। किसी जमाने में सात जहाजों के मालिक के बेटे आबिद ने किस तरह मुफलिसी झेली और उनकी अम्मी ने लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर किस तरह उन्हें पाला इसकी भावुक कर देने वाली यह सत्यकथा है उनके ही शब्दों में... उनकी मम्मी की कहानी...

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