परिश्रमी ठमा
नदी का मुख आरम्भ में छोटा होता है पर सागर से मिलते समय वह विशाल हो जाती है। ठीक उसी प्रकार ठमा का कार्यक्षेत्र बढ़ता गया। ...ठमा का व्यक्तित्व ‘बिंदु से लेकर सिंधु’तक ङ्गैला। एक छोटे से कस्बे की शांत, सौम्य ठमा भारत के भ्रमण पर निकली। यह कोई कल्पित कहानी नहीं है, यथार्थ है, जिसे वनवासी कल्याण आश्रम ने गढ़ा।