आतंकवाद का असली चेहरा
किसी सामान्य लाइलाज महामारी की तरह ही आतंकवाद को भी हमने आज की एक वास्तविकता समझ कर स्वीकार कर लिया है। उसका कोई उपचार या निदान निकालें, पुराने घिसे-पिटे विफल हो चुके इलाज को छोड़ कर कोई जालिम उपाय ढूंढें, यह विचार भी कभी हमारे मन में नहीं आता। आतंकवाद तो केवल एक छलावा है। उसका असली स्वामी तो मानवाधिकार है। शब्दों में बड़ी ताकत होती है। साथ ही, शब्द बड़ा छल कर सकते हैं। किसी भी कार्य या विषय को शब्दों में लपेटते ही उसका अर्थ पूरी तरह से बदला जा सकता है। शब्दों की व्याख्या भी ऐसे ही छलावा करती है। श