भारतीय जीवनशैली और स्मार्ट सिटी

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वर्तमान शहरों की मूलभूत व्यवस्थाएं मजबूत करना, चौड़ी सड़कें, सुरक्षित और खाली फुटपाथ, मानव सुलभ मार्गदर्शक चिह्न, उचित दूरी पर स्त्री-पुरुष शौचालय, खेल के मैदान, ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन और बेहतर सूचना प्रौद्योगिकी संजाल जैसी अनेक व्यवस्थाओं से नागरिकों की जीवन शैली को बेहतर बनाना ही स्मार्ट शहरों की परिकल्पना है। भारतीयों को चाहिए भारतीय संस्कृति और परंपरा को समा लेने वाली स्मार्ट जीवन शैली। किसी बहुत बड़ी जनसंख्या के सामने अगर कोई बात रखनी हो, प्रेरणा देना हो, स्मरण में रखवाना हो तो कुछ प्रतीकों का न

पहले प्रदूषण नियंत्रण, फिर स्मार्ट सिटी

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रोटी, कपड़ा, मकान ये मानव की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं। पहली दो आवश्यकताएं प्रकृति से बड़े पैमाने पर उपलब्ध होती हैं। तीसरी याने निवास, इसकी पूर्ति मानव को स्वत: करनी पड़ती है। इस तीसरी आवश्यकता की पूर्ति हेतु मानव द्वारा प्रकृति का दोहन प्रचुर मात्रा में

 गांवों में बदलाव की पहल

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 प्रत्येक राज्य में भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार ग्राम विकास के अंतर्गत एक-दो गांवों का विकास नमूने के तौर पर करना चाहिए| इन गांवों में घरेलू और छोटे उद्योग हेतु लगने वाली ऊर्जा का उत्पादन, सोलर प्लांट, बरसाती पानी जमा करने के उपाय, कंप्यूटर का उपयोग, पशुधन की उत्पादकता बढ़ाने वाले कार्यक्रम, पर्यावरण में परिवर्तन और इससे परिणाम की सूचना देने वाले स्थायी केन्द्रों का निर्माण होना चाहिए|

 स्मार्ट शहरों की सोच

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आज हम वहां पहुंचे हैं, जहां डिजीटल टेक्नॉलॉजी की दखल न लें और उसका इस्तेमाल न करें ऐसा हो नहीं सकता। कल के भारत के शहर इसी तकनीक पर विकसित होने वाले हैं। ये ही स्मार्ट शहर होंगे। यह तकनीक हमारे कितने काम की और जीवन

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