अन्याय

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गत चैत मास की पूर्णिमा को सुलोचना को साल पूरा हुए। साठ कोई बहुत ज्यादा नहीं कहे जा सकते; न बहुत कम। सुलोचना को लगा, ‘इतने वर्ष पर्याप्त तो अवश्य कहे जा सकते हैं।’ षष्ठि पूर्ति शब्द उसने सुना था। उसे लगा-उसकी षष्ठिभूर्ति चाहे कोई न मनाये, उसके लिए तो जीवन के साठ साल उत्सव है ही।

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