मेरी मां की इच्छा
मनुष्य चाहे जितनी सफलता प्राप्त कर लें या चाहे जितनी उसकी इच्छाएं पूरी हो जाए, लेकिन जीवन के अंत में सदा लगता है कि कोई न कोई छोटी इच्छा रह ही गई है! जब मनुष्य अंतिम सांसें गिनता होता है तब यह इच्छा पूरी करने की शक्ति चुक गई होती है। कोई पूछ ही लें तो दो-एक शब्द मुंह से निकल जाते हैं और इच्छा यदि शब्दों में आ जाए तो वह पूरी होने की कामना रहती है।