मेरी मां की इच्छा

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मनुष्य चाहे जितनी सफलता प्राप्त कर लें या चाहे जितनी उसकी इच्छाएं पूरी हो जाए, लेकिन जीवन के अंत में सदा लगता है कि कोई न कोई छोटी इच्छा रह ही गई है! जब मनुष्य अंतिम सांसें गिनता होता है तब यह इच्छा पूरी करने की शक्ति चुक गई होती है। कोई पूछ ही लें तो दो-एक शब्द मुंह से निकल जाते हैं और इच्छा यदि शब्दों में आ जाए तो वह पूरी होने की कामना रहती है।

मत खाइए गुटखा, यह ले लेगा जान

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भारत में ही पूरे विश्व में आर्थिक प्रगति तथा समृद्धि के साथ-साथ लोगों में नशाखोरी की प्रवृत्ति और आदतों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। शराब, सिगरेट, कोकीन, चरस, गांजा, तंबाकू के साथ अन्य नई-नई प्रकार की नशीली दवाइयाँ (ड्रग) बाजार में आ रही हैं और उनका उपयोग विशेष रूप से युवा पीढ़ी में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

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