रं ग मं च समाज का दर्पण
सुदीर्घ नाट्य परम्परा को समाहित करते हुए भी रंगमंच में नित नए प्रयोग करते रहने से नवीनता, रोचकता एवं उनकी ग्राह्यता बनी रहती है। दर्शक भी तभी पुनः हिंदी थियेटर की ओर मुड़ेंगे, जिससे आर्थिक समस्या का भी समाधान हो जाएगा और हिंदी रंगमंच पुनः अपना गौरव प्राप्त करेगा।