सुरक्षित जीवन: जरूरी है ‘मोटा-अनाज’

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गेहूं और चावल जैसे अनाजों की बहुतायत के बीच एक ओर हमारे परम्परागत अनाज हाशिए पर चले गए, दूसरी ओर बहुत सारी ऐसी बीमारियों ने घर बनाना शुरू कर दिया जिनके विषय में हमारे पूर्वजों ने कभी सोचा भी न था। प्र्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र…

’शून्य’ से ही पूर्ण होगा खेती का भविष्य

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’ऋषि’और ’आध्यात्मिक’ नामों से किसी को भी परहेज हो तो इसे ’शून्य बजट की खेती’ भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें किसान को खेती के लिए बाजार से बहुत ही कम चीजें लानी हैं। यानी लगभग न के बराबर बाजार पर किसान की निर्भरता रहती है। हां, गोबर, गोमूत्र और कृषि के शेष अंश के साथ सूर्यप्रकाश के हिसाब से अपने प्रबंध से पर्याप्त अन्न उत्पादन हो सकता है।

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