जैव विविधता

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सन १९८५-९० के दौरान प्रचलित शब्द ‘जैव विविधता’ का     अभिप्राय है, ‘पृथ्वी पर परिलक्षित विविध प्रकार के प्राणी, पौधे और परिस्थितिक चक्र एवं मानव में पारम्परिक विभिन्नता, उनके आकार-प्रकार, व्यवहार, जीवन-चक्र और प्रकृति में उनका योगदान|’ यह जैव विविधता करोड़ों- अरबों वर्षों से हो रहे जीवन के निरंतर विकास-प्रक्रिया का प्रतिफलन है|

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