निष्कपट ह्रदय और वात्सल्यपूर्ण स्वामी सत्यमित्रानंदजी

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हमारे पूज्य गुरुदेव कभी-कभी अपने जीवन की घटित घटनाएं सुनाते थे तो मन में एक आनंद की अनुभूति भी करा देते थे। उन सुने हुए अनेक प्रेरक प्रसंगों में से अब हमारे लिए वे सब संस्मरण हो गए हैं। हम सबके संज्ञान में यह पूर्व से ही है, हमारे गुरुदेव अपनी बाल्यावस्था से ही साधु-जीवन धारी रहे हैं। प्रारंभिक जीवन में गुरुकुल शिक्षा पद्धति से उन्होंने अक्षरज्ञान और संस्कार ग्रहण किया है।

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