सेकीम हिलिंग

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पुरातन काल में मानव का रहन-सहन प्रकृति के अनुसार होता था। जीवन सुचारू रुप से चलता था। मन शांत होता था, सेहत भी तंदुरुस्त रहती थी। तकनीकी प्रगति के कारण सबका जीवन जीने का तरीका बदल गया। इससे अनेकों तनाव, रोग बढ़ने लगे। मन:शांति नहीं रही। शारीरिक, सामाजिक, मानसिक स्तर पर मानव को अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ने लगा। उन परेशानियों को दूर करने में उसकी शक्ति खर्च होने लगी।

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