उत्तराखंड की आश्रम परम्परा
इस ब्रह्मांड को जानने की जिज्ञासा रहने वाले संन्यस्थ ऐसे निर्जन वनों में कुटी रूपी आश्रम बनाते, जहां प्राणी का प्रवेश न हो। बद्रीनाथ से ऊपर वसुधारा, सरस्वती और अलकापुरी के निर्जन क्षेत्रों में वैदिक ऋचाओं का गान करने वाले ऋषियों के आश्रम थे। इन आश्रमों में ग्रह नक्षत्रों पर उसी प्रकार शोध हुए, जैसे आज इसरो और नासा में किये जाते हैं।