संस्कृत शब्दों की विश्व-मात्रा

Continue Readingसंस्कृत शब्दों की विश्व-मात्रा

आदि भाषा संस्कृत का अथाह शब्दभंडार है। हजारों वर्षों से इन शब्दों ने असीमित विश्वयात्राएं की हैं। उनके देश-देशांतर की यात्रा इनके जन्म, शैशव, यौवन, रूप-स्वरूप, प्रवृत्ति में परिवर्तन, अर्थ-संकोच अर्थ-विस्तार, उनके जीवन में हुई उथल-पुथल की अंतरंग झांकी बहुत रोमांचक है। कुछ शब्द अपने चारित्रिक पतन के स्वयंसाक्षी हैं। इस संक्षिप्त आलेख में पेश है उसकी रोचक बातमी 

End of content

No more pages to load