‘कार्यमग्नता ही जीवन हो’- श्रीकान्त जोशी

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समय था सन् 1962 में ईशान्य भारत पर हुए चीनी आक्रमण का। अनपेक्षित रूप से हुए आक्रमण के कारण हिंदी-चीनी भाई-भाई का जाप करने वाली सरकार त्रस्त हो गई थी।

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