हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
रक्षा क्षेत्र की तैयारियों में सुधार व तेजी की उम्मीद

रक्षा क्षेत्र की तैयारियों में सुधार व तेजी की उम्मीद

by ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन
in सामाजिक
0

रक्षा मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल धनोवा और नौसेना प्रमुख परमवीर सिंह ने देश के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों की जानकारी दी।

भारतीय सेना भारत की बाहरी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। क्या उन्होंने उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम बनाया है?

एयर फोर्स के प्रमुख एयर मार्शल धनोवा ने कहा था कि वायु सेना एक ही समय में पाकिस्तान और चीन से लड़ाई के लिए तैयार नहीं थी। थल सेना के वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने डिफेंस पार्लियामेंट कमेटी के सामने बयान दिया था कि थल सेना के 72% हथियार बहुत पुराने हैं। वास्तव में 33 प्रतिशत हथियार अत्याधुनिक होने चाहिए, 33 प्रतिशत आधुनिक और शेष 33 प्रतिशत युद्ध करने में सक्षम होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।

भारतीय सेना में थल सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बल शामिल हैं। सेना का मुख्य उद्देश्य यह है कि उनके पास एक ही समय में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ लड़ने की क्षमता होनी चाहिए। जब भी भारत और पाकिस्तान और चीन के बीच युद्ध होता है, तो घरेलू आतंकवादी, माओवादी और आतंकवादी एक ही समय में घरेलू आतंकवाद शुरू करेंगे। तो सेना के सशक्तिकरण के लिए नई सरकार को क्या करना होगा?

*गोला-बारूद की कमी को कम करें

राजस्थान के समाचार पत्र में खबर प्रकाशित हुई थी कि थल  सेना के तोपों ने जब पाकिस्तानी ड्रोन पर फायर किया तब ९० फीसदी गोला बारूद फिसड्डी साबित हुए और वह निशाना नहीं लगा पाए। बताया जाता है कि  गोला बारूद तब काम नहीं कर रहा था ।

हाल ही में, भारतीय सेना ने आयुध कारखानों में निर्मित गोला बारूद की कमी को दर्शाते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया है कि  ख़राब अवस्था में गोला बारूद होने के कारण अनेक दुर्घटनाये हो रही है। बिना जंग लड़े ही हमारे सैनिक और अधिकारी काल के गाल में समा रहे है। सरकार ने भी इसे स्वीकार कर लिया।  ख़राब और बेकार गोला – बारूद होने के कारण अनेक तोपों के  इस्तेमाल करने और सेना के प्रशिक्षण पर भी रोक लगाई गई है।वर्तमान में, देश में 41 आयुध कारखाने चल रहे हैं, जिनमें एक लाख और 64,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। सेना ने सरकार से कहा है कि उनका काम खराब गुणवत्ता का है। आयुध कारखानों और सेना की हालिया रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

क्या करें?

गोला- बारूद एवं सशत्र सामग्री का  संशोधन करने वाली संस्था अलग है और उसका उत्पादन व उसका इस्तेमाल करने वाली संस्थाए अलग-अलग है। इसमें सुधार की गुंजाइश है। इन तीनों ही संस्थाओं को एकत्रित रूप से साथ में लाकर समन्वय,संवाद और बेहतर तालमेल  स्थापित करना बेहद आवश्यक है।इन्हे एक मंच पर लाया जा सकता है क्या ? इससे ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में वर्षो से बैठे नौकरशाहों के मकड़जाल से यह विभाग मुक्त हो जायेगा।

जनरल शेकटकर समिति के निर्देशों को लागू करें

देश में अनेकानेक प्रकार के सामाजिक आवश्यकताओं  की पूर्ति के लिए भरपूर खर्च करना पड़ता है. कम से कम आर्थिक बजट में अधिकाधिक आधुनिकीकरण कैसे किया जा सकता है ? इस पर विचार करना जरूरी है. इसके लिए सरकार ने शेकटकर समिति नियुक्त की थी. जिसने १५० सुधार करने का निर्देश दिया था.इसमें से केवल ६० में ही सुधार किया गया और कुछ मुख्य निर्देशों पर कार्रवाई नहीं की गई.इनमें प्रमुख रूप से गोला- बारूद निर्माण कारखाना और रक्षा अंतर्गत सार्वजनिक उद्योग अनेक वर्षो से सफ़ेद हाथी सिद्ध हो रहा है. इसके बजाय उन्हें निजी क्षेत्र से जुड़ने दें। इससे आधुनिकीकरण में तेजी आ सकती है. जिससे मिले हुए बजट का सही तरह से उपयोग किया जा सकेगा.

पुलिस, अर्धसैनिक बलों में सेवानिवृत्त सैनिकों को भेजें

सेना के जवान  33-34 साल में रिटायर होते हैं। फिर एक भारतीय 75-80 वर्ष की आयु तक रहता है। इसका मतलब है कि 33-34 साल और 75-80 साल तक सैनिकों को देश से सेवानिवृत्त वेतन मिलता है।

2018- 19 का रक्षा बजट 404, 365 करोड़ था। रक्षा मंत्रालय का पेंशन बजट 108,853 करोड़ था, जिसका अर्थ है कि रक्षा बजट का 26.9 प्रतिशत पेंशन पर खर्च करते हैं। रक्षा पेंशन का 36 प्रतिशत रक्षा सेवाओं में नागरिक पेंशन पर खर्च किया जाता है। अत्यधिक पेंशन के कारण, सेना को आधुनिकीकरण के लिए कोई पैसा नहीं मिलता है।

पेंशन की लागत को कम करने के लिए, यह सुझाव दिया गया था कि अगर ये सैनिक पुलिस, अर्धसैनिक बलों यानी बीएसएफ, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में शामिल हो जाते हैं, तो पेंशन की लागत कम हो जाएगी। अगर सिपाही अन्य जगहों पर काम कर रहा है, तो उसके लिए पेंशन रोक दी जाती है। इस प्रकार, सैन्य कौशल का उपयोग पुलिस, अर्धसैनिक बलों के लिए किया जाएगा, लेकिन पेंशन की लागत बहुत कम होगी।

सेना के लिए सीडीएस की जरूरत

सेना को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सीडीएस पर काम नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास अनुभव नहीं है। इसलिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को जल्द नियुक्त किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, विशेष बल डिवीजन, एयरोस्पेस डिवीजन, साइबर सेल, सूचना युद्ध डिवीजन सशस्त्र बलों की सख्त जरूरत है। उन्हें भी सेना में शामिल किया जाना चाहिए।

नौसेना का लक्ष्य पनडुब्बियों की संख्या में वृद्धि करना है। इस पर ध्यान  केंद्रित किया जाना चाहिए।

भारतीय वायु सेना के पास 44 फाइटर स्क्वाड्रन होना जरुरी हैं। वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन हैं। इनमें से 10-11 पुरानी मिग सीरीज़ हैं, और हल्के कॉम्बैट तेजस विमानों के बदले इसे बदला जाना चाहिए। अगले पांच वर्षों में तेजस पूर्ण मिग विमान के स्थान पर उड़ान भरेगा। मिराज और जगुआर विमान आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें इसे जल्दी खत्म करना चाहिए और लड़ाई के लिए तैयार होना चाहिए। सुखोई विमान की हमे अभी जरूरत है। यह किया जाना चाहिए।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राफेल विमानों को जल्द से जल्द वायु सेना में शामिल होना चाहिए।

भारत-चीन सीमा पर सड़क, हवाई अड्डे, रेल्वे की जरूरत है

कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन सीमा पर सड़क, हवाई अड्डे, रेल्वे की आवश्यकता है। इससे सैनिकों की आवाजाही आसान होगी और युद्धक क्षमता बढ़ेगी।

अगले पांच से दस वर्षों में, रोडवेज को सीधे चीन की सीमा तक पहुंचना चाहिए। चीन की सड़कें करीब पंद्रह साल पहले सीमा तक पहुंच गई हैं।

क्या उपाय हैं

इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए, सेना के पूंजीगत बजट को सेना के आधुनिकीकरण के लिए सालाना 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाना चाहिए। ताकि अगले दस सालों में सेना को आधुनिक बनाने में मदद मिले।

लागत कम करने के लिए, निश्चित रूप से इन हथियारों को मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाया जाना होगा, हथियारों की लागत को कम करने के लिए मित्र राष्ट्रों को अधिक से अधिक हथियार निर्यात किए जाएंगे।

और क्या करना चाहिए ?

पुलवामा आतंकवादियों के हमले के बाद, देश के राजनीतिक दलों ने सार्वजनिक रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सेना के साथ खड़े होने का वादा किया था। तो उन्हें क्या करना चाहिए और देश के नागरिक क्या करेंगे?

कश्मीर व पूर्वोत्तर भारत; सेना के खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। राजनीतिक दलों को इसके लिए खड़ा होना होगा।

आतंकवादियों के मामले 20-25 साल तक चलते हैं। इसलिए, हमें अपने कानूनों को तेज करके कानूनों को और कड़ा करने की जरूरत है। क्या राजनीतिक दल कानून को कड़ा करने के लिए सरकार का समर्थन करेंगे?

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को पारंपरिक लड़ाई में बदला जा सकता है। इसलिए आपको तैयार रहने की जरूरत है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने राफेल में घोटाले का आरोप लगाकर विमान को वायु सेना में शामिल नहीं होने दिया। यदि राफेल जहाज होता, तो बालाकोट हमले के बाद जवाब देने वाले पाकिस्तान वापस नहीं लौट पाते।

अगर हथियार खरीद में घोटाला करने वाले अभियुक्त एक साल में घोटाला साबित नहीं कर पाए हैं, तो उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

सेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार ने यदि टैक्स बढ़ाया और पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की तो क्या त्याग करने व अनेक वर्षो के लिए अपनी सुविधा कम करने हेतु राजनैतिक पार्टिया तथा देश के नागरिक तैयार है ?

नए – नए विकल्पों का उपयोग कर सेना का बजट बढ़ाना चाहिए।सैन्य तैयारियों में बड़ी चुनौतियां है, इन चुनौतियों का सामना कर सैन्य तैयारियों और युद्ध क्षमता को बढ़ाना चाहिए।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन

Next Post
निराश खरगोश

निराश खरगोश

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0