“सफ़ल एवं सुखी जीवन के अस्त्र”

सफलता प्राप्त करना सभी का सपना होता है लेकिन इस सपने को साकार कैसे करना है, ये ज़्यादातर लोग नहीं जानते। लेकिन फिर भी, होश संभालते ही, इस राह पर चलना हमारा धर्म बन जाता है। समाज में अपनी पहचान बनाना, स्वयं को सिद्ध करना हर मनुष्य का सपना ही नहीं रहता बल्कि ज़रूरत बन जाता है।

हर रास्ते, हर मोड़ से हम यही सोचकर गुज़रते हैं कि शायद इसके अंतिम पड़ाव पर सफलता हमारी प्रतीक्षा कर रही होगी।

कुछ लोग उस अंतिम पड़ाव तक पहुंच जाते हैं जहाँ सफ़लता उन्हें प्राप्त होती है और कुछ लोगों का ये सफ़र कभी पूरा नहीं हो पाता क्योंकि वो बीच सफर में ही हार मान लेते हैं। और यही हार मान लेना उन्हें भविष्य में सुकून से जीने नहीं देता।

  यही कारण है कि मानव जीवन सफलता प्राप्त करने की ख़्वाहिश में ऐसा उलझता है कि इसे पाने की चाहत, इसे पाकर खो ना बैठने का डर, और इसे कभी न पा सकने का दर्द – मनुष्य को इस जद्दोजहद से बाहर नहीं आने देता।

और कई बार तो ख़ुद को तसल्ली देने के लिए फिर कुछ लोग ये सोच लेते हैं कि एक जीवन में सफलता, ख़ुशी और सुकून हम एक साथ हासिल नहीं कर सकते। वे मान लेते हैं कि या तो सफलता ही मिलेगी या फिर ख़ुशी और सुकून।

ये भी एक वजह है कि यही हार मान चुके लोग, बहुत से सफल लोगों पर आसानी से टिप्पणी भी कर देते हैं – ‘कि सफ़ल हैं तो क्या हुआ उनके जीवन में सुख शांति कहाँ होगी। सिर्फ दौड़ भाग, संघर्ष, ज़ीरो नींद, ज़ीरो आराम और फिर कुंठा और फिर कभी – कभार कामयाबी का स्वाद चख लेना कौन सी बड़ी बात है।

इससे तो हम ही अच्छे हैं, ज़्यादा कुछ हासिल करने का बिल्कुल लालच नहीं है। जो है, जितना है, उसमें खुश रहते हैं। क्या फ़र्क पड़ता है कि समाज में हम कौन से पायदान पर हैं, हमारी ज़िंदगी में सुख जो है’ !

यहां तक ठीक है। यदि ऐसे लोगों को लगता है कि अपने कार्यों में सफ़लता हासिल ना कर पाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता तो ठीक ही है। लेकिन फिर, यदि फ़र्क नहीं पड़ता तो वे सफलतापूर्वक अपने कार्यों का निर्वाह कर रहे लोगों के विषय में इतने नकारात्मक दृष्टिकोण से चर्चा क्यों करते हैं?

‘जिनके जीवन में सुख शांति नहीं। सिर्फ दौड़ भाग, संघर्ष, ज़ीरो नींद, ज़ीरो आराम और फिर कुंठा और फिर कभी – कभार कामयाबी का स्वाद है।

जो ज़्यादा कुछ हासिल करने का ही लालच करते हैं। जो है, जितना है, उसमें खुश नहीं रहते हैं। तो फिर क्या फ़र्क पड़ता है कि समाज में ऐसे लोग कौन से पायदान पर हैं ?’

लेकिन, सच यही है कि ऐसे लोग, ऐसा इसलिए करते और कहते हैं ‘क्योंकि फ़र्क पड़ता है’। हर कार्य में सफलता प्राप्ति ही मानव जीवन का आधार है।

लेकिन फ़िज़ूल बहाने बनाना छोड़कर, हमें समझना होगा कि सफलता प्राप्त करना, एक सुखमय जीवन निर्मित करना कोई खेल नहीं होता। और ये भी कि, कठिन हो सकता है पर असंभव नहीं।

इसलिए आपके इस सफर को थोड़ा आसान करने के लिए लेखों की ये एक शृंखला “सफ़ल एवं सुखी जीवन के अस्त्र” यहाँ जारी की गई है जिसमें हर एक अंक में आप सफलता प्राप्ति और सुखी जीवन निर्माण के लिए आवश्यक उन सभी बातों को जान पाएंगे, जो शायद पहले आपने ना पढ़ी हों या फिर जिन पर कभी आपका ध्यान ना गया हो।

                                                                                                                                                            – श्रृंखला जारी रहेगी अगले अंक में

This Post Has One Comment

  1. Sankul Pathak

    बहुत खूब

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