राष्ट्रपति ने रंजन गोगोई को इस पद के लिए किया नियुक्त, जानिए अब क्या करेंगे पूर्व जस्टिस गोगोई

राज्यसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपना अपना उम्मीदवार पेश कर रहे है इसी बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है जिसके बाद केंद्र सरकार ने पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया और गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी किया।

संविधान के एक विशेष अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राज्यसभा के नामित सदस्यों में से किसी के रिटायरमेंट के बाद उस पर किसी को नामित करते है यह राष्ट्रपति का अपना अधिकार होता है कि वह किसे नामित करेंगे। इस बार राष्ट्रपति ने पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई को राज्य सभा के लिए नामित किया है। 

अयोध्या मामले को लेकर रंजन गोगोई की सुनवाई के बाद से वह सुर्खियों में आ गए थे आपको बता दें कि 9 नवंबर 2019 को अयोध्या के राम मंदिर पर रंजन गोगोई की 5 सदस्य टीम ने अपना फैसला सुनाया था जो कि हिंदुओं के पक्ष में था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से यह तय हो गया कि अयोध्या में अब राम मंदिर के निर्माण होगा। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर भी हुई सुनवाई में रंजन गोगोई शामिल रहे, यह भी बड़ा विवादित मामला था। राजनीतिक पार्टियों से ताल्लुक रखने वाले राफेल लड़ाकू विमान सौदों की सुनवाई भी रंजन गोगोई के सानिध्य में हुई थी और इस भी उन्होंने फैसला सुनाया था।

इसके अलावा गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू को एक टिप्पणी के चलते कोर्ट में तलब किया था साथ ही काटजू के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया था। गोगोई ने एनआरसी को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट किया था। गोगोई ने कभी भी इस बात की चिंता नहीं की थी कि उनके फैसले से किसी दल या किसी व्यक्ति पर क्या असर पड़ेगा?

वह सुप्रीम कोर्ट की पवित्रता की रक्षा के लिए किसी के भी खिलाफ आवाज उठाने में पीछे नहीं रहते थे। न्यायाधीश रंजन गोगोई का नाम उस लिस्ट में भी आता है जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी डाला था।

रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को असम में हुआ था उन्होंने 1978 में एक एडवोकेट के तौर पर अपना कार्यकाल शुरू किया था जिसके बाद ऊंचाइयों को छूते हुए 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति के तौर पर नियुक्त किए गए थे इसके बाद पंजाब और हरियाणा के चीफ जस्टिस बने, फिर 2012 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बने और फिर तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद गोगोई को उनके साफ-सुथरे कार्यकाल और कड़े फैसलों के चलते सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया।

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