अंधकार मे प्रकाश की किरण दिखाई दे रही है।

कोरोनावायरस के कारण विश्व के मानव जाति  पर बहुत बड़ा संकट मंडरा रहा है। संपूर्ण दुनिया में लाखों लोगों की जान इस कोरोना वायरस ने ले ली है। कोविड-19 के आड मे दुनिया पर अपनी हुकूमत जमाने का प्रयास चीन के माध्यम से हो रहा है? इस प्रकार के प्रश्नों विश्व के मानस में निर्माण हो रहे हैं ।
विश्व के शक्तिशाली महासत्ता की रूप में अमेरिका की पहचान है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश ने भी कोरोना वायरस के सामने अपने घुटने टेक दिए है। इस प्रकार का दृश्य आज दुनिया के सामने आ गया है। फ्रांस, स्पेन, इटली, इंग्लैंड जैसे प्रगत राष्ट्रों मे मृत्यू का खुला संचार हो रहा है । अब तक इन प्रगत राष्ट्रों में ही कोरोना के कारण मरने वाले लोगों की संख्या लाखों की तादात में है । इन  प्रगत देशों की जनसंख्या भारत  की तुलना में बहुत बड़ा अंतर रखती है। उत्तम आरोग्य सेवा के लिए और सफाई के लिए अत्यंत जाग्रत देश इस महामारी के कारण  होने वाली मौतों को रोकने में नाकामयाब रहे हैं । लेकिन 130 करोड़ की आबादी वाला भारत देश इस महामारी से देश की जनता को बचाने में कामयाब रहा है ।सारी दुनिया हक्का-बक्का होकर भारत की ओर देख रही है। महामारी को निपटने के लिए  विश्व के प्रगत देश भारत से सहायता की अपेक्षा रख रहे है।
अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लॉक डाउन का निर्णय सही समय पर लिया गया है। इसी के कारण भारत देश कोरोना वायरस की महामारी को अपने हाथ पैर  फैलाने की इजाजत ना देने में  95% कामयाब हुआ है। प्रधान मंत्री  कार्यालय के अधिकारियों से लेकर सभी राज्य सरकारों, पुलिसकर्मी, डॉक्टर, पारिचारिका, सफाई कर्मचारी और भारत की जनता इस कोरोना वायरस से डटकर लड़ी है। ऐसे में जिन्हें कोरोनावायरस की भीषण परिस्थिति का आकलन हुआ है और जो आकलन नहीं करना चाहते ऐसे दो विचारों का संघर्ष देेेश मे कही कही देखने को मिला। लेकिन इन पूरी परिस्थितियों में भी भारत ने कोरोना पर अत्यंत आश्चर्यजनक विजय प्राप्त की है। अत्यंत कम शब्दों में कहा जाए तो , भारत की जनता ने नियमों का सही पालन  किया,  किसी भी अफवाहों को पनपने नहीं  दिया। सकारात्मक दृष्टिकोण से भारत को बचाने के लिए  90 फीसदी लोगों ने प्रयास किया। इसी कारण कोबिन- 19 की विनाशकारी संचार को रोकने मे विश्व में सबसे आगे रहने वाला देश भारत है।
कोरोना का चीन और इटली में हो रहा विनाशकारी प्रभाव हमें महसूस हो रहा था। मीडिया के महामंडल पर कोरोनावायरस मंत्र नियमित रटा जा रहा था । चीन और इटली में हो रहे मृत्यू के वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे पास पहुंच रहे थे । हमारे मन में कहीं से प्रश्न निर्माण हो रहा था कि , कोरोनावायरस कि यह भीषण महामारी हमारे चौखट तक तो  नही आएगी ? कुछ ही दिनों में लोक सतर्क होने लगे। अपने मुँह में मास्क  लगाकर  अपने व्यवहार  करते हुए दिखाई देने लगे। यह सब परिवर्तन जलद गति से हो रहे थे। 22 तारीख को रात को 8:00 बजे अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने  संपूर्ण भारत को लाॅक डाऊन करने की घोषणा की। और कोरोनावायरस से प्रभावित रुग्ण और मरने वालों का आंकड़ा धीरे धीरे देश के सामने आने लगा था। कहा जाने लगा की ,जनसंख्या को देखते हुए भारत में बड़ी महामारी फैलने के बडे आसार है। लेकिन आज कोरोनावायरस की महामारी पर काबू पाने में  भारत सरकार कामयाब हो रहा है ।

आने वाले कुछ ही दिनों में लॉक डाउन की पाबंदी खत्म हो जाएगी। इस बात से ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। कोरोनावायरस यह सर्द मौसम के साथ उभारता है ।इस प्रकार की आशंका जताई  गई है। सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े हुए उपायों पर 2022 तक अमल करना जरूरी है।इस  प्रकार का विश्लेषण हावर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने संशोधन  के आधार पर भविष्य का अनुमान लगाया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मौजूदा वायरस  के भविष्य में काबू में आ जाने के बावजूद भी  समस्या पूरी तरह से हल नहीं होगी। सर्दी के तापमान में कोरोनावायरस अपना सर लगातार उठाते रहेगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोरोना के कारगर इलाज को खोजने में समय लगेगा। इसलिए संक्रमण को रोकने के लिए 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग का नियाम हमें अपने आप पर लागू करनी पड़ेगी।सोशल डिस्टेंसिंग के साथ उपायों की सफलता इस बात पर निर्भर रहेगी कि कोरोना  प्रभावित देशों ने अपने चिकित्सा प्रणाली में कितना इफाजा  किया । वह कोरोना वायरस के खिलाफ कितने दिनों तक सुरक्षा कवच मुहैया कराने मे सक्षम रहेगा।

कोरोना पर अगले कुछ दिनों में हम नियंत्रण पा लेते हैं फिर भी हमे सावधानी बरतते रहना होगा । कोरोना वायरस संक्रमण टुकड़ों टुकड़ों में 2022 तक वापसी कर सकता है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है।
विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और चीन अपने बीच चल रहे  व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिए किसी भी समझौते के आसपास पहुचते नहीं दिखाई दे रहे हैं। कोरोना  के बाद वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध छेड़ने का भय छा गया है ।चीन की जीडीपी में 1970 की विनाशकारी सांस्कृतिक क्रांति के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट आई है।  दुनिया की सबसे बड़ी ताकत  थी अमेरिका,  उसकी अर्थ व्यवस्था भी थम सी गई है । इसी दौरान वायरस की महामारी का मुकाबला करने के लिए उठाए गए अब तक के उपायों के चलते भारत और दुनिया के कई बड़े राष्ट्रों की अर्थ व्यवस्था भी चरमरा गई है।  अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रहा व्यापार युद्ध भारत की चिंता बढ़ा रहा है। इन सबका असर भारत के घरेलू बाजार और उद्योगों पर नजर आ रहा है । कोरोना वायरस दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है। तमाम  ग्लोबल एजेंशिया मान रही है कि दुनिया एक बड़ी मंदी की ओर जा रही है। इसका असर लंबी अवधि तक हो सकता है ।
इस बीच में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद जगाने वाली खबर आई है। रिजर्व बैंक के अनुसार जी-20 देशों में सिर्फ भारत ही है  जिसकी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक वृद्धि रहेगी । मानसून से पहले खरीफ फसल की बुवाई अच्छी हुई  है।  पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल अंत तक 35 प्रतिशत से ज्यादा  है। मौसम विभाग ने इस साल सामान्य मानसून रहने का अनुमान जताया है। इसका भी अर्थव्यवस्था पर बेहतर असर होगा।  रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल है जिसकी जीडीपी पॉजिटिव है । लघु उद्योग कमजोर हो गये है यह चित्र है । मंदी नजर आ रही है ।कोरोना  के  बाद  ऑटोमोबाइल निर्माण  और बिक्री  में बड़ी गिरावट आई है।  एक्सपोर्ट में 35 फ़ीसदी की कमी आई है। उन्होंने  तथ्य को सामने रखते हुए कहां की भारत कोरोना  महामारी के  चलते आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सफल रहेगा। 2020 मंदी के लिए सबसे बड़ा साल होने जा रहा है। लेकिन भारत इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। इस साल भारत की वृद्धि  1.9 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है। इसके अलावा जी – 20  मे किसी भी देश की वृध्दि इतनी सकारात्मक रहने की उम्मीद नहीं है। 2022 के दौरान  भारत की आर्थिक वृद्धि  7.4 फ़ीसदी रहने का अनुमान है।
 अंधकार में प्रकाश की किरण देखने की तुलना हम इस  उम्मीद भरी बात से कर सकते हैं।कोरोना ने  आर्थिक, शारीरिक और मानसिक तौर पर दुनिया को बहुत बड़ा सबक सिखाया है। अभी हमे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। ऐसा कहते है की विश्व के सभी व्यवहार बंद पड़े हैं। विश्व का नवनिर्माण शुरू हुआ है । करुणा के बाद विश्व नया रुप धारण करके प्रस्तुत होगा। हमें अपने नेतृत्व के दिशा दर्शन , सुझाए गए उपाय – योजनाओं पर अमल करना है। साथ मे अनुशासन का पालन और एकता की भावना के साथ  दुनिया के सामने प्रस्तुत होने की आवश्यकता है। फिर से खिलने के लिए हमे संयम रखना है। कोमल अंतः प्रेरणा और शरीर की मजबूती को जाग्रत रखते हुए हमे ये कोरोना वायरस विरोधी लडाई  जितनी है।

This Post Has One Comment

  1. Sandeep mane

    Sunder aalekh hai

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