आत्मनिर्भरता से विकास की ओर

कोरोना के वैश्विक महामारी से लड़ते लड़ते सरकार की भूमिका केवल इस महामारी से बचाने तक सीमित नहीं है, वह इससे भी निकाल कर देश को आगे चलाना है और बढ़ाना भी है। इसलिए नरेंद्र मोदी जी ने शब्द प्रयोग किया था जान भी और जहान भी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दृढ़ संकल्प करते हुए पूरे देश का आत्मविश्वास जगाने का काम किया और मानसिक बल बढ़ाया इसका ही परिणाम हिंदुस्तान जैसे देश में इतनी बड़ी जनसंख्या, विविधतापूर्ण प्रदेश, अलग-अलग भाषा, विविध प्रकार के जनसमुदाय, रीति नीति इसके बावजूद देश की संयमितता के आधार पर चिंता करने का साहसपूर्ण काम प्रशासन व सहयोगी मंत्रियों के बलबूते पर मोदी जी ने किया है। देश केवल घोषणाबाजी व नारों से नहीं चलता। उसके लिए दूरगामी सोच रखकर अपनी प्राप्त परिस्थिति का अवलोकन कर कर जमीनी सच्चाई को ध्यान में रखकर नियोजन सरकार ने किया है। नियोजन के साथ-साथ आर्थिक प्रावधान करके उसका सही ढंग से क्रियान्वयन की भी चिंता करनी पड़ती है।

केंद्र सरकार ने तात्कालिक सहायता के रूप में सरकारी प्रशासन के साथ-साथ जनता का भी सहयोग लिया और तुरंत राहत देने हेतु पीडीएस योजना के माध्यम से राशन की परिपूर्ति की। मुफ्त राशन की घोषणा की। शेल्टर होम में रहने वाले सभी लोगों के लिए तीन टाइम खाने की व्यवस्था बना कर तुरंत राहत देने का काम किया। अभी तो ´´एक नेशन एक राशन´´ की योजना लाकर सभी प्रवासी मजदूरों को जो जहां जा रहे हैं उसी गांव में उनको राशन मिलने की भी व्यवस्था की है और जिनके राशन कार्ड नहीं है उनके तुरंत बनवाकर उसकी भी पूर्ति का काम हो रहा है।

इसके साथ-साथ मोदी सरकार ने केवल तात्कालिक ना सोच कर 20 लाख करोड़ इतनी बड़ी रकम जो देश के जीडीपी के 10 प्रतिशत है, उसका प्रावधान इस आपदा के लिए किया है। फ्रांस, इटली, इंग्लैंड और चाइना इन देशों की जीडीपी प्रतिशत से बढ़कर यह रकम  जनता को देने की घोषणा की है। यह कहते समय मोदी जी ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए मदद तो की उसके साथ साथ आत्मनिर्भरता का संकल्प भी लोगों को देने का काम किया है।

आत्मनिर्भरता से आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और समृ़द्धि का रास्ता प्रशस्त होता है। स्थानीय वस्तुओं के उत्पाद के बारे में वोकल (Vocal) होकर आक्रमता से काम करने को कहा है। स्वदेशी से समृद्धि और समृद्धि से सशक्त भारत की ओर कदम बढ़ाने का मूलमंत्र देने को भी मोदी जी भूले नहीं है। आपदा राहत के इस कार्य में जो भी फंड व पैसा लग रहा है वह इन्वेस्टमेंट के रूप में लगकर दूरगामी लॉन्ग टर्म उसका बेनिफिट देश की इकोनॉमी मज़बूत होने के लिए हो इस प्रकार का प्रावधान उन्होने किया है। करोड़ों रुपए उज्जवला गैस के लाभार्थी महिलाओं के खाते में डायरेक्ट जमा हुए। किसानों के खातों में सम्मान राशि पहुंची। विधवाओं व वरिष्ठ नागरिकों के अकाउंट में रकम गई। कहीं भी भ्रष्टाचार की बू नहीं आई ना कोई प्रश्न उठा। जनधन के माध्यम से जो खाते खुलवाए थे उन सब खाता धारकों के अकाउंट में डायरेक्ट लाभ पहुंचने से बीच की सब रूकावटें खत्म हो गई। डिजिटल ट्रांसफर से कार्य क्षमता व पारदर्शिता से काम हुआ।\

मेरा लेखन कार्य होने तक 20 लाख करोड़ की स्कीम पब्लिक डोमेन में आ गई है इससे स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है की समाज की सर्व घटकों का ध्यान रखते हुए गरीब, मजदूर, किसान इनको केंद्र बिंदु रखते हुए उद्योग व स्माल इंडस्ट्री वाले पर भी सरकार ने उतना ही ध्यान दिया है। 45 लाख एम.एस.एम.ई उद्योगों को तीन लाख करोड़ का प्रावधान, बिजली कंपनियों के लिए 90000 करोड़ की नियोजन अलग-अलग नियोजन करते हुए देश के छोटे उद्योग, स्वदेशी कंपनियों को संरक्षण देने के लिए 200 करोड़ तक के कामों के लिए विदेशी कंपनियों के दरवाजे बंद करने का साहसी निर्णय मोदी जी ने किया है। किसान को अपना उत्पादन किसी भी मंडी में बेचने की सहुलियत देकर उसके हित का भी ध्यान रखा गया है। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए 10,000 करोड़, पशुधन को स्वस्थ रखने के लिए 13000 करोड़, डेयरी व उससे संबंधित उद्योगों को बढ़ाने के लिए 15000 करोड, मत्स्य उद्योग के लिए बीस हजार करोड़, सागरी इंफ्रास्ट्रक्चर व एक्वा कल्चरल गतिविधि के लिए 20000 करोड, इसके कारण लगभग 5500000 लोगों को रोजगार के साथ-साथ मत्स्य उद्योग के निर्माण भी एक लाख करोड़ तक निर्यात बढ़ाने की योजना बनाई गई है। एक समय खाद्यान्न के विषय में दूसरे देशों पर हम अधिक आश्रित रहते थे। चाइना का लाल गेहूं भी हमने बचपन में इंदिरा जी के राज में खाया है ऐसा मुझे याद आता है पर आज हम अपनी आवश्यकता पूरी कर कर दूसरे देशों में भी अन्न धान्य निर्यात करते हैं। कोरोना संकट आने तक उसकी टेस्टिंग होने की केवल एक लैब देश में थी, आज 500 से ज्यादा लैब मौजूद है। जिस देश में एक भी एन 95 मास्क तैयार नहीं होता था, एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी, वेंटिलेटर बाहर से आते थे आज इन सब विषयों पर हमने महारत हासिल कर ली है और अपनी आवश्यकता छोड़कर दूसरे कई देशों को यह साहित्य हम प्रोवाहीड़ कर रहे हैं।

लगभग 125 देशों में दवा पहुंचाने का काम एक रूपया भी मुआवजा न लेते हुए हमने मुफ्त मे किया है। इससे हमारी देश का विश्वास व क्रेडिबिलिटी की नई साख मोदी जी ने विश्व में स्थापित की है। भारत को अपनी शक्ति के सही स्त्रोतों का दर्शन मोदी जी ने देश को कराया है। इतना बड़ा 130 करोड़ का उपभोक्ता मार्केट यह हमारी ऐसैट है। हमारे पास जमीन है, काम करने वाले हाथ हैं, भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, हमने पहले ही स्किल इंडिया व मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया है। इन सब बातों का ध्यान रखते हुए मोदी जी ने इस संकट की घड़ी से निकल कर आत्मनिर्भर भारत का जो संकल्प लिया है इससे देश की जनता गौरवान्वित महसूस कर रही है।

हमारी आत्मनिर्भरता का मतलब यह नहीं कि आईफोन की जगह लावा का फोन इस्तेमाल करना है पर आज देश में 250 से ज्यादा मोबाइल तैयार करने की इंडस्ट्री काम कर रही है और इसके प्रोडक्शन में हमारा विश्व में दूसरा नंबर है। केवल विदेशी गाड़ी की जगह स्वदेशी का उपयोग इतना ही इसका अर्थ नहीं है तो विदेशी गुणवत्ता की गाड़ी का निर्माण इस देश में करने की बात उसमें निहित है। केवल राडो का इस्तेमाल कम करके हमारी आत्मनिर्भरता सीमित नहीं है तो उसके ही दर्जे का प्रोडक्शन यहां बनाने की व्यवस्था हमें बनानी है।

चीन के सामान का उपयोग बंद करते समय उसी स्तर का टिकाऊ और सस्ता सामान देश में निर्माण होने की दिशा में हमें जाना है। सेल्फ सफिशियंट बनते हुए बड़े पैमाने पर निर्यात करने का भी बिड़ा हमे उठाना है। गांव देहात उसकी रचना व व्यवस्था कायम रखते हुए विकेन्द्रीत अर्थव्यवस्था का नया रूप देने का काम इस संकट की घड़ी में हमें करना है।

डायरेक्ट आर्थिक मदद एक रूपये की भी कांग्रेस सरकार ने आज तक 70 सालों मे कभी नहीं की। कोई भी योजना पारदर्शी तरीके से क्रियान्वित नहीं की और केवल प्रचार और प्रसार से देश की प्रगति नहीं होती है। प्रवासी मजदूर, खेतिहर कामगार, देश का किसान, छोटा उद्योजक सभी प्रकार के लोगों को मदद के साथ साथ हिम्मत विश्वास और आगे जाने के लिए सहूलियत का इजाफा सरकार ने दिया है। यह सही है कि हर बदलाव के पहले ठहराव जरूर आता है पर हम यहां रुकने वाले नहीं हैं ´´नहीं रुकेंगे बढ़े कदम, मंजिल पर ही लेंगे दम´´ इसी नारे के साथ हम सब एक विकसित देश आत्मनिर्भर देश स्वाभिमानी देश बनाने की प्रक्रिया में अपना योगदान दें।

                                                                                                      श्याम जाजू – राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी

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