- लॉक डाउन के बाद शुरु हुआ राम मंदिर का निर्माण
- नींव के पत्थरों की सफाई का काम चालू
- रामलला को अस्थाई मंदिर में किया गया शिफ्ट
- 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
9 नवंबर 2019 दिन शनिवार सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने तमाम दलीलों और सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया कि अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला का हक है और इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राम मंदिर बनाने को लेकर एक ट्रस्ट बनाया जाए और जल्द से जल्द मंदिर निर्माण का काम शुरू किया जाए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया, सभी तरह की जरूरी कागजी कार्यवाही पूरी की गई और एक ट्रस्ट का निर्माण किया गया जिसका नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रखा गया जिसमें कुल 15 लोगों को शामिल किया गया है।

केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राम मंदिर को लेकर तेजी से काम कर रही थी दोनों सरकारों के आपसी तालमेल की वजह से काम में किसी भी तरह की बाधा भी उत्पन्न नहीं हो रही थी लेकिन इसी बीच कोरोनावायरस की महामारी ने पूरे काम को रोक दिया। कई सालों से राम मंदिर बनने का सपना फिर से अधर में लटक गया और इस महामारी की वजह से मंदिर निर्माण में करीब 2 महीने से अधिक की देरी हो गई लेकिन लॉक डाउन 3 खत्म होने के बाद अब फिर से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में थोड़ी रियायत दी है और लोगों को कड़े नियमों के साथ बाहर निकलने का निर्देश जारी किया है। सरकार ने इस काम के दौरान सभी से मास्क पहनने और एक दूसरे से दूरी बनाकर काम करने का निर्देश दिया है ताकि संक्रमण का खतरा काम रहे। लॉक डाउन के बाद निर्माण कार्य में और तेजी लाई जाएगी और इसके लिए मजदूरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

कई सालों से विवादों में अटका राम मंदिर का निर्माण बड़े ही भव्य तौर पर होने वाला है इसके लिए बजट भी तैयार किया गया है। अयोध्या में रामलला को टेंट से निकालकर अस्थाई मंदिर पहुंचा दिया गया है ताकि राम जन्मभूमि पर नए मंदिर का निर्माण हो सके। स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी के समय से ही बीजेपी राम मंदिर को लेकर चुनाव लड़ती आ रही है और उसने राम मंदिर पर फैसला भी करवा लिया। अब जब केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर बीजेपी का शासन है तो ऐसे में यही उम्मीद की जा रही है कि राम मंदिर का भव्य निर्णाम निश्चित है।