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 नेतृत्व करने की मनीषा हो- श्यामसुंदर जाजू

 नेतृत्व करने की मनीषा हो- श्यामसुंदर जाजू

by डॉ दिलीप कुलकर्णी
in साक्षात्कार, सितंबर- २०१५
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माहेश्वरी समाज के सफल व्यक्तियों में से एक श्यामसुंदर जाजू से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश

आप माहेश्वरी समाज के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
सब से पहले मैं ‘हिंदी विवेक’ का अभिनंदन करता हूं। आपने अल्पसंख्य माहेश्वरी समाज का देश के विकास में योगदान, यह विषय चुनकर, इस समाज को सम्मानित किया है। इस समाज का काम लोगों तक पहुंचा रहे हैं, इसका मैं माहेश्वरी समाज का एक घटक होने के नाते, स्वागत करता हूं।
माहेश्वरी समाज लंबी अवधि से आत्मनिर्भर रहा है तथा राष्ट्र के विकास में योगदान देता आया है। देश के प्रगत समाज में इसे प्रतिष्ठा प्राप्त है। आजादी की लड़ाई और आर्थिक उन्नति में, माहेश्वरी समाज ने बड़ा काम किया है। उद्योग, व्यापार, अनेकों व्यवसाय, तथा देश की एकता और प्रगति का जिम्मा लेते हुए, कई ऊंचे पद संभाले हैं। इस समाज का युवक, विज्ञान और तंत्रज्ञान इस क्षेत्र में अग्रसर है। अब वक्त है, कि उन्हें प्रशासनिक सेवा में रूचि लेकर, उसमें काम करना चाहिए। सेवा के क्षेत्र में भी, इस समाज ने बड़ा योगदान दिया है। शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सराहनीय काम किया है।

‘जहां जाएंगे वहीं के होके रहेंगे’ यह भाव मन में उस समय था और आज भी है। अपनी रोटी कमाएंगे और लागों को भी रोटी कमाने का साधन देंगे, यह इस समाज की धारणा है। स्थानीय समाज में समाविष्ट होने की इस प्रवृत्ति से, गांव में इक्का-दुक्का घर होने के बावजूद, ये लोग समाज का बोझ नहीं, बल्कि आधार बनते हैं। इनके मत का सभी आदर करते हैं।

एक महत्व की बात यह है कि, यह समाज दानवीर माना और जाना जाता है। सिर्फ अपने समाज के हेतु नहीं, पर सारे भारतीय समाज के लिए, माहेश्वरी समाज ने धर्मशाला-निवास स्थान बनाए हैं। हरिद्वार, नासिक और कुम्भ मेले की जगह, भक्तों को खाना लगभग मुफ्त दिया जाता है। यात्रा के समय और यात्रा से वापस जाते समय भी, भोजन का प्रबंध किया जाता है।

आप राजनीति में कैसे आए?
मेरे पिताजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थक थे। इससे देशभक्ति, समाजसेवा और धर्म से आचरण, मुझे संस्कारों में मिला। कई सारे प्रचारक उनसे मिलने घर आते थे। उनके आचरण का भी प्रभाव रहा। पारदर्शी और नेक व्यवहार, यह शिक्षा मुझे पिताजी से मिली। उनकी एक डायरी मेरे हाथ लगी। जनसंघ के किसी शिविर का हिसाब उसमें लिखा था। कुल जमा रु.१९३/-, खर्चा रु.२१५/- इसका पूरा विवरण था। अंत में लिखा था, ‘रु.२२/- जनसंघ के काम के लिए, श्री शंकरलाल जाजू से उधार लिए’। अर्थात अपने पैसे से समाज कार्य करने की प्रवृत्ति, विरासत में मिली।

आगे चलकर, कई जगह, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कार्य करने का अवसर मिला। सौभाग्यवश पत्नी भी विद्यार्थी परिषद की कार्यकर्ता थी। इसलिए विवाह के बाद, घर में माहौल वही रहा, बल्कि और भी अच्छा हुआ। इमरजंसी के काल में, मैं और पिताजी दोनों अलग अलग जगह कारावास में थे। कारागृह से, पिताजी ने मुझे कई पत्र लिखे। इनसे मेरी देशप्रेम की भावना और प्रखर हुई। इस वजह से घर के लोगों को कई सारी कठिनाइयां झेलनी पड़ीं। संघ के जो कार्यकर्ता जेल में नहीं थे, उन्होंने मदद की और सहारा दिया। इसी दरमियान, मैंने आजीवन देश सेवा करने का निश्चय किया। इसके बाद, संघ ने राजनीति की जिम्मेदारी सौंप दी। पहले स्थानीय, फिर जिला तथा प्रांत के स्तर पर, विविध जिम्मेदारियां निभाते यहां तक पहुंचा हूं। इस प्रवास में, मेरे पिताजी की एक सीख हमेशा याद आती है। वे कहते थे, ‘शिर्डी के साईबाबा और हमारा एक रिश्ता है, हमें हमेशा औरों को देना है, लेना नहीं।’ किसी से कुछ लिए बगैर, मांगे बगैर अभी तक का सफर किया है।

आज सत्तारूढ़ पार्टी के आप प्रतिनिधि हैं। इस रिश्ते से, इस सरकार के बारे में, सरकार की जनता के मन में जो प्रतिमा है, इस विषय में आप क्या कहेंगे?
‘सबका साथ सबका विकास’ इस नारे के साथ, सत्ता में आए श्री नरेन्द्र मोदीजी की सरकार, अपनी विचारधारा का पालन करके, विचारों से, नीतियों से सुलह किए बिना, आगे बढ़ रही है। भारतीय जनता पार्टी और सरकार में अच्छा समन्वय है। अभी तक करीब करीब १२ करोड़ लोग पार्टी के सदस्य बन चुके हैं, और यह संख्या बढ़ती जा रही है।

इस सरकार ने डेढ़ वर्ष के काल में, जनहित के कई निर्णय किए हैं। इनमें से कुछ यहां बताना आवश्यक है।

१.महंगाई कम हुई है।
२.घाटे का बजट समाप्त हुआ।
३.माननीय अटलजी के कार्यकाल में विकास दर ८.४ थी, यह कांग्रेस के कार्यकाल में ४.५ तक नीचे आई। मोदीजी के काल में यह ६.७ तक बढ़ गई है।
४.केन्द्र सरकार के बारे में एक भी भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया।
५.पहले की यू.पी.ए. सरकार को नीतियों के मामले में लकवा (झेश्रळलश झरीरश्रूीळी) मार गया था।
६.महंगाई की दर जो यू.पी.ए. सरकार के समय ६.२ थी घट कर -०.३३ हो गई है। यह मोदीजी के कार्यकाल में हुआ।
७.औद्योगिक उत्पादन में वृध्दि – २% से ५% हुई। ये जल्द ही ७% हो जाएगी।
८.घरेलू गैस की कीमत की नीति में बदलाव से ६०,००० करोड़ रुपये की बचत हुई।
९. न्यूनतम ईपीएस पेंशन रु.१०००/- की गई। इससे २४ लाख परिवारों को लाभ हुआ। एक अत्यंत आवश्यक, सही और समाजहितकारी निर्णय हुआ, जिसका सारे भारत में स्वागत हुआ। पहले की सरकार में, किसी को रु.५० तो किसी को रु.१००/- जैसी अल्प पेंशन राशि मिलती थी। मोदीजी की सरकार ने इसे दूर करके, सभी को समान न्यूनतम रु.१०००/- पेंशन हर माह देने का निर्णय किया।
१०.‘राज नहीं समाज बदलना है’ श्री जयप्रकाशजी के इस वचन से प्रेरित होकर, उनकी कल्पनाओं को ध्येय मानकर, आगे बढ़ना है।
११.सूखे की समस्या सुलझाने के लिए, हर २००० एकड़ जमीन के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी।
१२.अधूरी जानकारी और राजनीतिक कारणों से भू संपादन कानून को जनता का विरोध है, ऐसा बताया जा रहा है। लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, एक इंच जमीन भी किसी ‘कार्पोरेट‘ को नहीं दी जाएगी। किसानों को या जमीन मालिक को, मार्केट से चौगुना दाम दिया जाएगा। किसानों का पुनर्वसन किया जाएगा। इस हेतु जिले के स्तर पर न्यायालयों का निर्माण करेंगे। इससे निर्णय प्रक्रिया तेज होगी।
१३.मुस्लिम समाज भारतीय जनता पार्टी की ओर तेजी से आ रहा है। इतने दिनों तक सिर्फ फिटर, वेटर, ड्रायवर जैसी नौकरी करने वाला मुस्लिम युवक, अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिलने पर अपने को और मुस्लिम समाज को आगे ले जा रहा है। देश की प्रगति से युवक अवगत हो रहा है और जाग रहा है।
१४.भ्रष्टाचार के विषय में, कोई भी राजनैतिक समझौता नहीं करेंगे।
माहेश्वरी समाज के युवकों के लिए आप क्या सन्देश देंगे?
कई वर्षों से चले आ रहे व्यवसाय से हटकर, आज के अनुरूप, विविध परिवर्तन करने चाहिए। तंत्रज्ञान आज की परिभाषा है। इसे अपना कर उपयोग करे। अपने में और समाज में परिवर्तन कर के, समाज का और देश का नेतृत्व करें।

माहेश्वरी समाज को किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
१.लोकतंत्र में संख्या मायने रखती है। इसलिए और समाज के अस्तित्व के लिए स्वस्थ बालकों की संख्या नियंत्रित करें
२.आपस के रिश्ते और सम्बन्ध टूटने ना दे। इन्हें दृढ़ बनाने का प्रयास करें।
३.शादी-ब्याह की फिजूलखर्ची, झूठी शान के लिए दिखावा, दहेज, भोजन का अपव्यय, आदि पर पैसा बर्बाद न करें। विवाह निमंत्रण पत्रिका सादी हो, सैकड़ों व्यंजनों का भोजन और दिखावा कम करें। शुध्द और सात्विक भोजन का प्रबंध करें।
४.अध्यात्म का चिंतन करें, समर्पण की भावना से जीवन व्यतीत करें।
५.शिक्षा और संस्कारों का पालन करें और इन्हें बढ़ावा दें।
६.कोई व्यक्ति उधार लिए हुए पैसे न चुकाए तो उसकी विवशता और कठिनाइयों को समझें। उसे, बेकार की कोर्ट कचहरी के चक्कर में न फसाएं।
७.सब से महत्वपूर्ण बात – समाज के कमजोर घटकों को, आत्मनिर्भर बनने में मदद करें। ‘सबका साथ, सबका विकास’ प्रधान मंत्री के इस वचन के अनुसार, अपना जीवन व्यतीत करें।

मो.ः ९०११६९६९६५

डॉ दिलीप कुलकर्णी

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