गुजरातः भारत के आर्थिक विकास का ग्रोथ इंजन

गुजरात में देश के हर राज्य, भाषा, धर्म-संप्रदाय, मजहब के लोग बड़ी आसानी से आकर सुसंवादी माहौल में बस पाए हैं। गुजरात के विकास में यह शांति-संवादिता और बेहतर कानून-व्यवस्था का भी बड़ा योगदान रहा है। निजी निवेशकों ने भी गुजरात को बड़े प्यार से अपनाया है। इसके चलते गुजरात का राष्ट्र के आर्थिक विकास में अनूठा योगदान आगे भी जारी रहेगा।

वैसे तो गुजरात राज्य भारतीय संघ के राज्यों में प्रारंभ से ही प्रगतिशील राज्य की ख्याति प्राप्त राज्य है। लेकिन सन 2001 में श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और तब से गुजरात के सर्वांगीण विकास की यात्रा ने नए क्षितिज पार करके, भारतवर्ष की आर्थिक प्रगति में, राष्ट्र के ग्रोथ – इंजन की भूमिका प्रशस्त की है।

गुजरात की भूगोल ऐसी है कि यहां पर प्रकृत्तिगत विविधता भरी पडी है। गुजरात के पास विशाल समुद्र तट है। कंडला-पोर्ट से लेकर बहुत सारे बंदरगाहों का विकास कर के गुजरातअने अंतरराष्ट्रीय आयात-निर्यात में काफी मात्रा में योगदान प्रदान किया है। निजी उद्योग के अंतर्गत भी बंदरगाहों के विकास में भारी मात्रा में वृद्धि हुई है। उसी प्रकार एशियाई सिंह के कारण विश्वप्रसिद्ध गीर-जंगल की अनूठी विशेषता गुजरात के पास है। गुजरात के पास तीन बड़ी नदियां भी हैं। नर्मदा, तापी एवं महि नदी में सालभर पानी का बहाव उपलब्ध है। दूसरी और कच्छ, उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र क्षेत्र में पानी की- बारिश की कमी के कारण सूखे जैसी परिस्थिति रहती है। नर्मदा नदी पर विश्वप्रसिद्ध सरदार सरोवर बांध का निर्माण किया गया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के चलते गुजरात में पेय-जल और बिजली की उपलब्धता का संकट दूर हो सका है।

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की बागड़ौर संभालते ही केवल 15 महीनों में ही जनवरी-2003 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में सर्वप्रथम अंतर्र्ाष्ट्रीय वायब्रन्ट – गुजरात समिट का अति महत्वाकांक्षी आयोजन किया। फिर तो लगातार प्रति दो वर्ष के बाद यह वायब्रन्ट समिट संपन्न होता ही रहा है। यह वह आर्थिक विकास का महत्वाकांक्षी संमेलन होता रहा, जिससे गुजरात के विकास की गौरवगाथा की गूंज सारे भारतवर्ष और वैश्विक-मंच पर सभी देशों तक पहुंच पाई।

गुजरात में 2003 से प्रारंभ हुआ द्विवार्षिक वायब्रन्ट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट लगातार 2005, 2007, 2009, 2011, 2013 और 2015 में भी एक से बढ़ कर एक जैसा आगे ही बढ़ता रहा है। गत वायब्रन्ट गुजरात समिट 11 से 13 जनवरी 2015 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में धूमधाम से संपन्न हुआ। इस समिट में प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी विशेष रूप से उपस्थित रहे। गुजरात की प्रथम महिला मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल के नेतृत्व में संपन्न हुआ यह वायब्रन्ट समिट सभी पहलुओं से सफल रहा।

इस समिट में विश्वभर से 110 से भी अधिक विभिन्न देशों ने अपने अपने प्रतिनिधि भेज कर बढ़चढकर हिस्सा लिया। भारत के सभी राज्यों ने भी इसमें हिस्सा लिया। गुजरात एक यजमान राज्य होते हुए उनके साथ अन्य आठ देशों ने भी इस समिट के यजमान बनते हुए बड़ा उत्साह दिखाया। इस समिट में संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी मुख्य अतिथि के रूप में आए।

2015 के इस वायब्रन्ट समिट के उद्घाटन समारोह में भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी जैसे महानुभावों की विशेष उपस्थिति ने संमेलन की शान बढ़ाई।

इस महत्वाकांक्षी आयोजन से राष्ट्र के सभी राज्यों से और विदेश के सभी उद्योग निवेशकों के लिए नए उद्योग, सर्विस सेक्टर और इन्फ्रास्ट्रक्चर का महाकुंभ जैसा अवसर संभव हो सका है।

इस का परिणाम यह हुआ है कि गुजरात में तीनों सेक्टरों में निवेश करने वालों की संख्या बहुत तादाद में बढ़ी है। 100 प्रतिशत निर्यातोन्मुखी प्रयासों में 1276816 करोड़ रुपयों की लागत वाले 14513 प्रोजेक्ट्स के लेटर ऑफ इन्डेड हुए हैं। उनमें से 2,62,566 करोड़ रुपये की लागत वाले 6156 प्रोजेक्ट्स कार्यरत भी हो गए हैं। अन्य 3576 प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू होने वाले हैं।
गुजरात में उद्योगों के विस्तारण के लिए स्पेशल इकोनोमिक जोन- (सेज-एन) बनाए गए हैं। राज्य के ऐसे सेज की संख्या 60 को पार कर गई है। इसके अंतर्गत पेट्रोकेमिकल्स, केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, सोडाऐश, क्रूड आयल, हीरा उद्योग, केस्टर, डेनिम, मूंगफली, कपास जैसे सेक्टर में नए उद्योगों के प्रसार के लिण् अपार संभावनाएं हैं।

खंभात की खाड़ी के पास धोलेरा ‘सर’-स्पेशल इकोनोमिक रिजन का अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ है। वहां पर नया इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, गांधीनगर के पास गुजरात इन्टरनेशनल फाइनान्स टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) का प्रारंभ हो चुका है। इस से नए फाइनान्सियल स्मार्ट-सिटी के माध्यम से गुजरात- भारत विश्व के सभी आर्थिक केन्द्रों से कनेक्ट हो पाएगा।
गुजरात के विशाल समुद्र तट पर 42 बंदरगाह कार्यरत हैं। इनमें कंडला, दहेज, मुंद्रा का विशेष महत्व है। गुजरात के इन बंदरगाहों का कार्गो हेन्डलिंग में बड़ा योगदान रहा है। गुजरात ऐसा राज्य है, जहां सब से ज्यादा 17 एयरपोर्ट भी हैं।
गुजरात में शीप-बिल्डिंग, इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी, आटो एवं आटो इंजीनियरिंग, मिनरल बेइझ उद्योग, नेचुरल गैस, पावर-सेक्टर, अर्बन डेवलपमेन्ट, प्रवासन, इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्र में विकास की गति तेज हुई है। इसीके चलते सारे राष्ट्र में रोजगार की बढोतरी में गुजरात का योगदान 78 प्रतिशत है। इसीके कारण गुजरात का सकल घरेलू उत्पादन प्रति वर्ष 10.10 प्रतिशत से भी अधिक है। इस प्रकार द्विवार्षिक वायब्रन्ट-समिट कोई तीन दिन का मेला मात्र नहीं है। यह एक निरंतर चलती रहती विकास प्रक्रिया है। इसके चलते गुजरात आज तीनों सेक्टर- कृषि, उद्योग एवं सर्विस सेक्टर के निवेशकों के लिए सबसे लोकप्रिय डेस्टीनेशन बन गया है।

पुनःप्राप्य ऊर्जा और क्लीन-एनर्जी के विविध प्रकल्प जैसे कि सौर-ऊर्जा और पवन-ऊर्जा के क्षेत्र में गुजरात ने अपना नाम रोशन किया हुआ है। टपक-सिंचाई की इजरायली पद्धति से, पानी की कम लागत से भी कृषि विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं। एग्रो-इन्डस्ट्रीज का जाल बिछा कर किसानों की खेती की पैदावार में वैल्यूएडिशन किया गया है। शिक्षा-प्रसार, कन्या केळवणी, स्वास्थ्य सुरक्षा, वैज्ञानिक पशुपालन, दूध उत्पादन में ‘अमूल’ का अनूठा प्रदान, किसानों की जमीन के लिए हेल्थ-कार्ड, युवकों मेें कौशल्य-वृद्धि के विभिन्न प्रकल्प और जनभागीदारी से गुजरात के आर्थिक विकास ने एक जनआंदोलन का स्वरूप धारण किया हुआ है।

गुजरात में देश के हर राज्य, भाषा, धर्म-संप्रदाय, मजहब के लोग बड़ी आसानी से आकर सुसंवादी माहौल में बस पाए हैं। गुजरात के विकास में यह शांति-संवादिता और बेहतर कानून-व्यवस्था का भी बड़ा योगदान रहा है। निजी निवेशकों ने भी गुजरात को बड़े प्यार से अपनाया है। इसके चलते गुजरात का राष्ट्र के आर्थिक विकास में अनूठा योगदान आगे भी जारी रहेगा।
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