आर्थिक सुधार एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भरमार

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही न केवल अपने पड़ौसी देशों से सम्बंधों में सुधार की दिशा में पहल की; बल्कि स्वदेश में रोजगार और उद्यगों को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए। कई नई परियोजनाएं आरंभ की गईं और निर्णय क्षमता में बेहद तेजी आ गई। इससे अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

एक विदेशी पत्रिका ने गत 25 वर्षों के अक्षम वैदेशिक नीति पर कटाक्ष करते हुए लिखा था कि भारत किस तरह अपनी प्रगति में बाधक है और किस तरह राजनीतिक मजबूरियों तथा दूरियों के कारण शत्रु के रूप में बदल चुका है। जब बर्लिन की दीवार गिरी एवं सोवियत संघ का पतन हुआ, इस बीच सम्पूर्ण विश्व में परिवर्तन हुए। वर्षों से नेपाल और भूटान में भारत विरोधी गतिविधियां जारी रही हैं। यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय रहा है। चीन, नेपाल एवं भूटान में तेल एवं गैस द्वारा विकास की कई परियोजनाओं पर कार्य करता है। ऐसे समय में भूटान के तरफ रूख करना प्रधान मंत्री के लिए जरूरी ही था। भारत ने भूटान की सुरक्षा नीतियों को अपने हाथ में रखा है। हमारी सरकार पूरी तरह से संकल्पित होकर भूटानी सीमाओं की रक्षा करती है।

भूटान, हिमालय, तिब्बत तथा भारत के उत्तरी-पूर्वी छोर पर बसा एक ऐसा बौद्ध धर्मावलंबी राज्य है, जहां की जनता विश्व सूचकांक में खुशी एवं आनंद के लिहाज से पहली पंक्ति पर है। उनकी सोच है कि भूटान हमसे दूर न जाए। चीनी सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार चीन बराबर चाहता है कि भूटान अपनी राजधानी थिम्पू में दूतावास खोलने की अनुमति दे, लेकिन इसमें वह सफल नहीं हुआ है। नेपाल भारत का सबसे पुराना पड़ोसी देश है। लेकिन जब से इस देश में माओवाद ने पांव पसारा तब से माओवादियों ने चीन एवं पाकिस्तान की शह पर भारत विरोधी गतिविधियों पर जोर देना शुरू कर दिया। आज से सतरह वर्षों पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री श्री इंद्रकुमार गुजराल ने नेपाल यात्रा की थी। लेकिन लंबे समय बाद जब भारत का नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री नेपाल पहुंचा तो यहां की सरकार, प्रशासन तथा जनता ने हार्दिक शुभकामनाएं दीं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 हजार करोड़ रूपये देने, हाइवे बनाने, बिजली उत्पादन की क्षमता को दो गुना करने तथा सूचना तकनीक में सहयोग और 5600 मेगावाट की पंचेश्वर बिजली परियोजना का अनुबंध किया। इस परियोजना पर 30 हजार करोड़ का खर्च आएगा। इस परियोजना से प्राप्त बिजली में भारत को 88 प्रतिशत तथा नेपाल को 12 प्रतिशत मिलेगी। 1950 की भारत-नेपाल संधि पर नेपाली वामपंथी दलों का रूख बराबर विरोधी रहा है। प्रधान मंत्री ने यह आश्वासन दिया कि भारत इस संधि की समीक्षा करेगा। पुलिस ट्रेनिंग हेतु भारत नेपाल को सहयोग, काला पानी एवं लुस्ता सीमा मामलों को निपटाना, रेलवे लाइन, वायु मार्ग की उपलब्धता, सड़क मार्ग में सहयोग सहित कई समझौता पर हस्ताक्षर हुए। नेपाल में भारत का 47 प्रतिशत विदेशी निवेश है। भारत की 450 परियोजनाएं नेपाल में चल रही हैं। भारत में लगभग 6 लाख नेपाली रोजी-रोजगार में लगे हैं। भारत सरकार लगभग 3000 नेपाली विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देती है। दोनों देशों के बीच 60 के लगभग साप्ताहिक उड़ानें हैं। दोनों देश सीमा कार्य समूह या बाउंडरी वर्किंग ग्रुप बनाने पर भी सहमत हुए। यह सीमा पर पिलर और अन्य चिन्हन आदि से जुड़े मामलों को देखेगा और उनका हल निकालेगा। दोनों देशों ने विदेश सचिव स्तर पर काला पानी और सुस्ता सहित अन्य सीमा मामलों को सुलझाने के लिए ज्वाइंट कमीशन के निर्देश को भी दोनों देशों ने सराहा और उसके अनुरूप कार्य करने पर सहमति दिखाई। भारत ने सीमा मानचित्र को जल्द पूरा करने पर जोर दिया। इस पर नेपाल ने सकारात्म्क संदेश दिया।

दोनों देशों ने द्विपक्षीय रिश्तों को आगे ले जाने के लिए एक ऐसे गैर सरकारी प्रबुद्ध और नामचीन लोगों के तंत्र की भी वकालत की जो द्विपक्षीय रिश्तों को आगे ले जाने में सहायक हो। यात्रा के दौरान एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु पर सहमति बनी। दोनों देश प्रत्यर्पण संधि को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए। भारत ने नेपाल के साथ पुलिस अकादमी को लेकर भी आपसी समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत भारत अपने इस पड़ोसी देश को पुलिस आधुनिकीकरण और उच्च क्षमता ट्रेनिंग में मदद देगा।
भारत ने इस अवसर पर तराई क्षेत्र में सड़कों के निर्माण के दूसरे चरण की शुरूआत के साथ ही भारत-नेपाल के बीच पहले से घोषित पांच रेलवे लाइनों पर भी जल्द कार्य शुरू करने पर सहमति दिखाई। भारत ने पर्यटन के क्षेत्र में भी नेपाल को हर संभव सहयोग का वादा किया। भारत ने नेपाल की ओर से 6 अन्य सड़कों के निर्माण में भी सहयोग पर भी सकारात्म्क रवैया अपनाने का भरोसा दिया। दोनों देश के बीच पोस्टल रोड बनाने के अलावा तराई रोड प्रोजेक्ट दो शुरू करने पर भी सहमति बनी। भारत ने नेपाल तक पेट्रोलियम पदार्थों की तेज और बाधा रहित पहुंच के लिए रक्सौल-अमलेखगंज पाइपलाइन प्रोजेक्ट को शुरू करने पर सहमति जताते हुए इसे अगले चरण में काठमांडू तक ले जाने को लेकर भी प्रतिबद्धता दिखाई।

इस अवसर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित अधिकारियों को रेलवे, सड़क के साथ ही कारोबार, आवागमन समझौतों पर तेजी से आपसी समझौता पत्र पर हस्ताक्ष्रर करने के निर्देश दिए। भारत ने नेपाल की ओर से जनकपुर, भैरहवा और नेपालगंज के बीच तीन अतिरिक्त वायु प्रवेश मार्ग उपलब्ध कराने, पोखरा- भैरहवा- लखनऊ के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू करने के अनुरोध पर भी तेजी से कार्य करने का भरोसा दिया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित अधिकारियों को इस पर अगले छह महीने में समुचित कदम उठाने के निर्देश दिए। दोनों देश ने सीमा पार बिजली लाइनों के विस्तार के लिए भी कार्य करने पर सहमति दर्शाई।

भारत ने नेपाल के अनुरोध पर उसे सिंचाई और जल संसाधन के अन्य क्षेत्रों में मदद का वादा किया। कुल मिलाकर इतने अनुबंध, करार और आपसी समझौता से भारत ने यह साफ कर दिया कि वह नेपाल के साथ रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है। यह यात्रा किस कदर सफल रही इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीनी मीडिया ने भी इसे सफलता से आगे की यात्रा करार दिया है।

भारत का करीब 4.7 बिलियन का नेपाल में निवेश है। नेपाल में भारत का करीब 47 प्रतिशत एफडीआई है। भारत में करीब 6 मिलियन नेपाली वर्कर हैं। भारत करीब 450 विकासपरक प्रोजेक्ट में नेपाल में शामिल है। नेपाल के पर्यटन में करीब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है। वहीं, वहां के पर्यटन में शामिल होने वाले करीब 40 प्रतिशत लोग वाया भारत वहां जाते हैं। भारत अपने इस पड़ोसी मुल्क के साथ करीब 1751 किमी लंबी सीमा साझा करता है। ऐसे में उसके लिए यह जरूरी है कि वह वाम दलों को विश्वास में ले। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें पूरी सफलता भी पाई।

मेडिसिन स्क्वायर

न्यूयार्क के मेडिसिन स्क्वायर गार्डन में मोदी ने ऐसा जलवा दिखाया जिसने संपूर्ण विश्व को चमत्कृत कर दिया। उनके आयोजन में भारतीय मूल के लोगों ने जो उत्सुकता तथा समर्पित भाव दिखाया वह काबिले तारीफ था। इस समारोह में 3 दर्जन से ज्यादा अमेरिकी सांसदों ने सहभागिता की, यह भी भारत द्वारा अमेरिका को एक संदेश था। अमेरिका में 28 लाख से ज्यादा अनिवासी या प्रवासी भारतीय हैं, जो शासन से लेकर हरेक क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। वहां उन्हें सबसे धनी समुदायों में गिना जाता है। वे एक तरफ तो भारत में निवेश कर सकते हैं, तो दूसरी तरफ ओबामा प्रशासन को भी प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। अब भारतीय मूल के लोगों को आजीवन वीजा मिलेगा। यदि वे लंबी अवधि के लिए भारत आते हैं तो पुलिस सत्यापन की कोई जरूरत नहीं होगी। इसके साथ ही पीआईओ और ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) का विलय भी हो जाएगा। अमेरिका के साथ हुए रक्षा सौदे को 10 वर्षों के लिए बढ़ाया है। आतंकवाद से निपटने के लिए आपसी सहयोग की बात कही गई है। अमेरिका, इलाहाबाद, अहमदाबाद और अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने में सहयोग करेगा। दोनों देश इस बात के लिए सहमत हैं कि वैश्विक समस्याओं का समाधान मिल-बैठकर निकाला जा सकता है। इसमें भारत अमेरिका को तथा अमेरिका भारत का सहयोग करेगा।

भारतीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा जारी द़ृष्टि पत्र एवं ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में लिखे गए संयुक्त आलेख में दोनों देशों ने वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु उचित मार्ग अपनाने की प्रतिबद्धता दोहरायी है। इस लेख में ओबामा ने क्लीन इंडिया अभियान, पर्यावरण, खुफिया सूचनाओं को साझा करने, आतंक रोधी मजबूत करने, स्वास्थ्य कैंसर में शोध, टी बी, मलेरिया एवं डेंगू से लडने, स्त्री सशक्तिकरण, खाद्य सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण सहित तमाम मुद्दों पर कार्य करने की सहमति दर्शायी है। यह वादा केवल अमेरिकियों और भारतीयों तक सीमित नहीं होगा। यह बेहतर विश्व के निर्माण के लिए दोनों देशों के साथ मिल कर आगे बढ़ने की ओर भी इशारा था।

मोदी का यह मानना है कि भारत की मिट्टी अलग प्रकार की है। यह सवा सौ करोड़ लोगों का देश है। चीनी राष्ट्रपति चीनी मीडिया में या भारतीय मीडिया में कैसा भी आलेख लिखें, वह यह अच्छी तरह जानता का है कि भारत एक बड़ा बाजार तथा विकासशील देश बन चुका है। यह एशिया का तीसरा बड़ा विकासशील देश, विश्व का दूसरा बड़ा साफ्टवेयर पावर और कृषि उत्पादक देश भी है। लेकिन चीन एक निरंकुश देश, बहुसंख्यक आबादी तथा सामाज्यवादी देश है। भारत-चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है तथा यह दोनों देशों के बीच 7 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंच चुका है। दोनों देशों के 8 लाख 20 हजार नागरिकों ने एक-दूसरे के यहां आवागमन किया।

जापान की सांस्कृतिक नगरी

क्योटो जापान की सांस्कृतिक नगरी है, जहां 10, 000 से ऊपर मंदिर हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी और एने ने द्विपक्षीय आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधों पर लंबी बातचीत एवं समझौता किया। जापान सरकार वाराणसी को क्योटो की तरह विश्व विरासत स्थल के रूप में विकास करेगी। जापानी सरकार वाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूप में बदलेगी। जापानी सरकार ने 33. 5 बिलियन डॉलर निवेश करने का वादा किया है।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पीएमओ में एक विशेष प्रबंधन दल का गठन किया जाएगा जो भारत-जापान व्यापार में सहयोग करेगा। चुनावों में मोदी ने जनता को वाराणसी को स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन और स्वच्छ गंगा अभियान की सफलता के लिए आश्वासन दिया था। जापान सरकार ने भारत सरकार को ऐसा प्रस्ताव दिया। जापान सरकार अहमदाबाद से मुंबई हेतु बुलेट ट्रेन चलाने में सहयोग देगी। इस परियोजना में वह 2 लाख 10 हजार करोड़ का निवेश करेगी तथा 42- 42 करोड़ के किस्तों में होगा। जापान सरकार के साथ मोदी ने निम्नांकित क्षेत्रों में समझौते किए हैं- रक्षा सौदा, पनडुब्बी, मिसाइल, खनिज, आपूर्ति, स्किल सेल एनीमिया आदि।

ब्रिक्स में भारत

जहां तक ब्रिक्स के सामूहिक उपलब्धि का सवाल है, विस्तारवादी नीति का समर्थक चीन अमेरिका की तरह ब्रिक्स में भी अपना वर्चस्व चाह रहा था। भारतीय प्रधान मंत्री ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि जब हम संयुक्त राष्ट्र संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक में अमेरिकी वर्चस्व का विरोध करते हैं तो फिर ब्रिक्स में चीनी वर्चस्व कैसे? यह ठीक है कि ब्रिक्स में चीन की हिस्सेदारी सर्वाधिक होगी, लेकिन प्रत्येक देश को बराबरी का मताधिकार होगा। ब्रिक्स का गठन होने से विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार की नई संभावनाओं का विकास होगा। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का यह स्वप्न साकार हो ही गया। विश्व बैंक तथा अंररराष्टीय मुद्रा कोष द्वारा अन्य देशों पर आर्थिक साम्राज्यवाद थोपने की शिकायतें थीं। यह उपरोक्त देशों की समझदारी ही माना जाएगा कि इन देशों ने नेतृत्व तथा दूरदर्शिता का परिचय देते हुए ब्रिक्स देशों में विकास परियोजनाओं की मदद के लिए न्यू विकास बैंक की व्यवस्था आ गई है। बैंकों में सदस्य देशों की समान हिस्सेदारी होगी। आईएमएफ के तर्ज पर बने इस कोष बैंक में चीन 41 अरब डॉलर, ब्राजील, भारत और रूस का 18-18 अरब डॉलर का सहयोग करेगा। ब्रिक्स के सशक्त घरेलू उत्पाद में चीन का हिस्सा 70 प्रतिशत है। अत: भारत सहित समस्त सदस्य देशों को सतर्क रहना पड़ेगा।

म्यांमार का दिल जीत लिया

नरेन्द्र मोदी ने म्यांमार को शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग का वादा कर भारतवासियों का दिल तो जीत ही लिया, बर्मा की जनता को गदगद कर दिया। पोलियो पर भारत विजय प्राप्त कर चुका है। पोलियो मुक्त बर्मा का संदेश भी बर्मा की जनता को भा ही गया। एक उपग्रह बर्मा के लिए समर्पित रहेगा। भारतीय ंसंस्कृति में मानवता को ही सर्वोपरि माना गया है। मोदीजी ने कहा कि मैं चाहता हूंं कि हमारे पड़ोसी देश भी एक निश्चित कार्ययोजना बना कर पोलियो से लडें। भारत ने सदा से ही मानवता का संदेश दिया है। जिस परिवार में किसी परिवार के बालक को पोलियो हो जाता है, तो उसका पूरा परिवार अपंग हो जाता है।

स्मार्ट सिटी अभियान

स्मार्ट सिटी अभियान के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में जीवन की शानदार गुणवत्ता को समर्थ बनाने के लिए मूल बुनियादी सुविधाओं, स्वच्छ और दीर्घकालिक पर्यावरण और कुशल समाधानों को अपनाने को सुनिश्चित करना है। अधिकारियों का दावा है कि स्मार्ट शहरी मिशन का उद्देश्य अभियान के अंतर्गत उन्नत शहरी पर्यावरण आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा जिससे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और इसे सार्वजनिक स्थलों तक पहुंचाने के माध्यम से गरीबों को शहरी विकास के लाभ प्रदान करना है।

केंद्र की ओर से 48,000 करोड़ रूपए के निवेश के साथ अगले 5 वर्षों में 100 स्मार्ट शहरों को विकसित किया जाएगा। देश के शहरी क्षेत्र को तीव्र गति से विकसित करने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल ने अगले 5 वर्षों में दो नए शहरी अभियानों के अंतर्गत शहरी विकास पर करीब एक लाख करोड़ रूपए के खर्च को स्वीकृती दे दी है। क्रमशः रू48,000 करोड़ रूपए और 50,000 करोड़ रूपए के परिव्यय से इस वर्ष 25 जून तक प्रारंभ की जा रही ये दो परियोजनाएं स्मार्ट सिटी अभियान और 500 शहरों के कायाकल्प और शहरी बदलाव के लिए अटल अभियान (एएमआरयूटी) हैं।

उद्यमों से जुड़े तीन अभियान

इन दिनों भारत दुनिया के सभी प्रमुख राष्ट्रों के बीच सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। विश्व बैंक ने ‘कारोबार करने में सुगमता’ से जुड़े अध्ययन, 2016 में भारत की रैकिंग में 12 पायदानों का इजाफा किया है। एफडीआई में 40 फीसदी की शानदान बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अनेक वैश्विक संगठनों ने भारत को पूरी दुनिया में एफडीआई के लिहाज से सबसे आकर्षक देश बताया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को ‘सबसे चमकीला राष्ट्र’ बताया है। वहीं, विश्व बैंक ने भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी या उससे भी ज्यादा रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
देश के लाखों युवाओं को लाभकारी रोजगार या उद्यमशीलता के अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री श्री मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ ‘स्किल इंडिया’ जैसे अभियान शुरू किए है।

विदेशी निवेश

जिन 15 सेक्टरों में एफडीआई के नियम आसान हुए हैं, वे हैं, बैंकिंग प्राइवेट सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग एंड ड्यूटी फ्री शॉप्स, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट सेक्टर कैश एंड कैरी, होलसेल ट्रेडिंग, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट एंड अप्रूवल से जुड़ी शर्तें, एनआरआई के स्वामित्व व नियंत्रण वाली कंपनियों द्वारा किए जाने वाला निवेश, भारतीय कंपनियों के स्वामित्व और नियंत्रण का ट्रांसफर और स्थापना, कृषि और पशुपालन, पौधारोपण, माइनिंग एंड मिनिरल, डिफेंस और ब्रॉडकास्टिंग। एक साथ कई क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाए जाने से देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आने का रास्ता खुल गया है। इस निर्णय से आर्थिक विकास में तेजी आने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढेंगे।

प्रस्तावित सुधारों में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की सीमा भी 3000 करोड़ से बढ़ाकर 5000 करोड़ रूपए की गई है। अब एफआईबीपी 5000 करोड़ रूपए के एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दे सकता है, इससे पहले यह सीमा 3000 करोड़ रूपए थी। इससे ज्यादा के एफडीआई प्रस्तावों पर केन्द्रीय कैबिनेट विचार करती थी और मंजूरी देती थी। अब 5000 करोड़ रूपए से अधिक के एफडीआई प्रस्तावों पर ही कैबिनेट विचार करेगी।

रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को 49 फीसदी तक विदेशी निवेश के लिए सरकार से अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी, जबकि 49 फीसदी से ज्यादा के विदेश निवेश के लिए नियम आसान कर दिए गए हैं। अब 49 फीसदी से ज्यादा की विदेशी निवेश के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए वित्त मंत्रालय के अधीन एफआईपीबी की अनुमति काफी है। अगर विदेशी निवेश की रकम 5 हजार करोड़ रूपए से कम है, तो एफआईपीबी की भी मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश के कई प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की अनुमति के इंतजार में सालों अटके रह जाते हैं।

रक्षा क्षेत्र के अलावा भारत के कॉफी, रबर और पाम ऑयल सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत दी गई है। ब्राडक्रॉस्टिंग, केबल, डीटीएच, मोबाइल टीवी में भी विदेशी कंपनियाँ 100 फीसदी तक निवेश कर सकती है। सिंगल ब्रांड रिटेल कंपनियों को ई कॉमर्स करोबार करने के लिए अलग कंपनी खोलने की जरूरत नहीं है। निर्माण और खनन क्षेत्र में कई नियमों को हटाया गया है। विदेशी कंपनियां भारत में खबरों से जुड़े चैनलों में इजाजत के साथ 49 फीसदी तक निवेश कर सकती है जबकि खबरों के अलावा बाकी चैनलों में 100 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी दी गई है।

भारत में अप्रैल-जून 2015 तिमाही में 19.39 अरब डॉलर का एफडीआई आया है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 29.5 फीसदी ज्यादा है। सरकार ने देश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए रेलवे, मेडिकल डिवाइस, इंश्योरेंस, पेंशन, निर्माण और रक्षा जैसे क्षेत्रों में एफडीआई पहले ही खोल दिया था।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी 13 अक्टूबर की एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त, 2015 के लिए औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों और सितम्बर, 2015 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) नई सीरीज के अंक से भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार की दिशा में बढ़ रही है। 34 महीनों के बाद अगस्त, 2015 की आईआईपी में छह प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

भारत ने 2015 की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई को आकर्षित करने के मामले में चीन और अमेरिका को पछाड़ दिया । 2014 में भारत पूंजी निवेश के मामले में पांचवे नंबर पर था। इससे ऊपर चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको हुआ करते थे। फाइनेंशियल टाइम्स (लंदन) में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिहाज से 2015 की पहली छमाही में भारत, चीन और अमरीका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे आकर्षक देश बन गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार 2015 की पहली छमाही में भारत को 31 अरब डॉलर एफडीआई मिला। वहीं चीन को 28 अरब डॉलर और अमेरिका को 27 अरब डॉलर एफडीआई मिला। इस रिपोर्ट के मुताबिक, एक ही साल में जब एफडीआई आकर्षित करने वाले देशों में इस बाबत कमी देखी गई, भारत में यह अधिक रही।

एफटी के मुताबिक 2014 में विदेशी निवेश के लिहाज से प्रमुख देशों में जब इसकी मात्रा घट रही थी तब भारत में यह 47 फीसदी बढ़ी और 24 अरब डॉलर हो गई। एफटी का कहना है कि भारत पिछले साल की तुलना में काफी आगे बढ़ा और यहां साल के मध्य में निवेश का स्तर दोगुना हुआ है। पिछले साल की पहली तिमाही के 12 अरब डॉलर के निवेश की तुलना में जून, 2015 में एफडीआई 30 अरब डॉलर रहा।

पिछले कई सालों से एफडीआई के मामले में अमेरिका और चीन के बीच बराबर की टक्कर रही है। पिछले साल जहां अमेरिका कुल प्रोजेक्ट्स को लेकर पहले स्थान पर रहा वहीं चीन कुल खर्च को लेकर प्रथम स्थान पर रहा। साथ भारत ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में 16 पयदान की छलांग लगाई है और अब वो 55वें नंबर पर पहुंच गया है। कुल सूची 140 देशों की है। यह सूचकांक संस्थानों, व्यापक आर्थिक माहौल, शिक्षा, बाजार का आकार और बुनियादी सुविधाओं जैसे मानकों के आधार पर तैयार किया जाता है।

ब्रिटेन के साथ समझौते

ब्रिटेन की ओपीजी पावर वेंचर्स कंपनी द्वारा अगले कुछ वर्षों में तमिलनाडु में 4,200 मेगावाट क्षमता की नई विद्युत सृजन इकाई में 4.4 अरब डॉलर की निवेश योजना भी शामिल है। प्रधान मंत्री श्री मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरन के बीच लगभग दो दर्जन निवेश समझौते हुए, जिसमें मर्लिन एंटरटेनमेंट 2017 तक नई दिल्ली में मैडम तुसाद मोम संग्रहालय खोलेगा। इसके साथ ही वोडाफोन भारत सरकार की डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया अभियानों में मदद देने के लिए 1.4 अरब डॉलर का निवेश करेगा।

भारत में अगले पांच साल में भारतीय कंपनियों की साझेदारी में तीन गीगावाट और सौर ऊर्जा के बुनियादी ढांचागत इकाई के डिजाइन, स्थापना और प्रबंधन के लिए लगभग तीन अरब डॉलर का निवेश करेगी। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच 9़.2 अरब पाउंड (14 अरब डॉलर) के व्यवसायिक समझौते हुए । वर्ष 2014/15 में द्विपक्षीय व्यापर 14.34 अरब डॉलर रहा। भारत में निवेश करने वाले देशों में ब्रिटेन तीसरा बड़ा निवेशक है।

अप्रैल, 2000 और सितंबर 2015 के बीच भारत ने 265,143.23 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया, इसमें सर्वाधिक 34 प्रतिशत मारीशस से, 15 प्रतिशत सिंगापुर से, 9 प्रतिशत ब्रिटेन से 7 प्रतिशत जापान से, 6 प्रतिशत नीदरलैण्ड्स से और 5 प्रतिशत अमेरिका से प्राप्त हुआ। देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाहों को आकर्षित करने के लिए द्विपक्षीय निवेश प्रोत्साहन और सरंक्षण समझौते (बीआईपीए) में निवेशकों की सरंक्षा, दोहरे कराधान से बचने के लिए समझौते के जरिए कर लाभों और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में व्यापारिक बाधाएं कम होने जैसे महत्वपूर्ण नीतिगत उपायों ने बहुत योगदान किया है, भारत का मारीशस के साथ दोहरा कराधान निषेध समझौता (डीटीएए) है, इस दिशा में भारत-सिंगापुर समग्र आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) 2005 और भारत-जापान समग्र आर्थिक समझौता (सीईपीए) 2011 अन्य महत्वपूर्ण समझौते हैं।

मेक इन इंडिया सप्ताह

18 फरवरी 2016 को मुंबई में संपन्न मेक इन इण्डिया सप्ताह के दौरान बड़ी मात्रा में निवेश प्रतिबद्धताएं हासिल की गई हैं जिसके लिए विदेशी निवेशक इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पंक्तिबद्ध दिखाई दिए। मेक इन इण्डिया सप्ताह के परिणामस्वरूप रू. 15.20 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए हैं जिनमें से आधे महाराष्ट्र के लिए हैं।

मेक इन इण्डिया एक्सपो और अन्य कार्यक्रमों में 8 लाख से अधिक लोग शामिल हुए जिनमें से 49743 पंजीकृत प्रतिनिधि में से इस मेगा एक्सपो में 102 देशों के प्रतिनिधि आए। 49 राष्ट्रों से सरकारी प्रतिनिधि मंडल और 68 देशों से व्यापारिक प्रतिनिधि मंडलों ने इसमें भाग लिया। मेक इन इण्डिया सप्ताह के बैनर तले कुल 150 कार्यक्रम आयोजित किए गए, जबकि 25,000 लोगों ने इसमें भाग लिया।

ये आंकड़े कार्यक्रम के संबंध में व्यापक प्रत्युत्तर की ओर इशारा करते हैं। केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों शिक्षाविदों ने व्यवसाय और समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे। 215 प्रदर्शकों ने 11 क्षेत्रों में अपनी ताकत और अवसरों को दर्शाया जिनमें एरोस्पेस और रक्षा, ऑटोमोबाइल, रसायन एवं पेट्रो रसायन, निर्माण मशीनरी, खाद्य प्रसंस्करण, बुनियादी ढांचा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स, औद्योगिकी उपकरण और मशीनरी, एमएसएमई, फार्मास्यूटिकल्स एवं वस्त्र शामिल हैं। मेक इन इंडिया सेंटर में सत्रह भारतीय राज्यों और 3 देशों- जर्मनी, स्वीडन और पोलैंड- ने अपने पैवेलियन लगाए। मेक इन इण्डिया सप्ताह के करीब 8200 बिजनेस-टू-बिजनेस, बिजनेस-टू गवर्नमेंट और गवर्नमेंट -टू- गवर्नमेंट मुलाकातों के अवसर भी उपलब्ध करवाए।

कंपनियों की सूची, जिन्होंने भारत में निवेश में रूचि और प्रतिबद्धता व्यक्त क्ी है, काफी प्रभावशाली और लंबी है। इनमें स्टरलाईट गु्रप कंपनी, बीएई सिस्टम, ओरेकल, ट्रिविट्रोन, हेल्थकेयर, वेस्तास (डेनमार्क), रेमंड इंडस्ट्रीज, महिन्द्र एंड महिन्द्र, तार कोवाक्स सिस्टम्स (फ्रांस), तार कोवासक्स, एंसेंडास, मर्सिड्रीज, राष्ट्रीय केमिकल्स एण्ड फर्टिलाइजर्स, गोदरेज इंडस्ट्रीज शामिल हैं।

अकेले इलेक्ट्रानिक्स में सरकार को भारत में इलेक्ट्रानिक्स के निर्माण की इच्छुक कंपनियों से 1.20 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। भारत में आने वाले निवेशकों के लिए एक प्रमुख बाधा बेशुमार कर कानून, बुनियादी ढांचे की कमी, विद्युत और पानी की उपलब्धता और जटिल श्रम कानून होना है।
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