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‘जंगल बुक’ और ‘मोगली’ की धूम

‘जंगल बुक’ और ‘मोगली’ की धूम

by जयंत भाटिया
in मई २०१६, सामाजिक
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डिज्नी की जॉन फेवारु द्वारा निर्देशित एक्शन फिल्म ‘जंगल बुक’ काफी धूम मचा रही है। उसका नायक मोगली अपनी जंगली सेना के साथ जंगल की एक परम यात्रा पर ले जाता है। यह रुडयार्ड किपलिंग की कालातीत कहानियों पर आधारित है, जिससे भारत के लोग बड़ी गहराई से जुड़े हुए हैं।

नई रिलीज हुई फिल्म ‘द जंगल बुक’ भारतीय सिनेमा घरों में काफी धूम मचा रही है। विशेषकर छोटे बच्चों में, जिनकी परीक्षाएं समाप्त हुई हैं। साथ ही उनके अभिभावकों में भी एक अजीब सी उत्सुकता देखी जा रही है। क्योंकि ज्यादातर अभिभावकों के लिए यह एक तरह से पुरानी यादों की सौगात सी है ये फिल्म।

बच्चों के साथ बड़ों को भी यह फिल्म पसंद आने के भी कई कारण हैं। वैसे तो नब्बे का दशक कई कारणों के लिए जाना जाता है लेकिन यह दशक ’मोगली’ के लिए भी जाना जाता है खासकर हम भारतीयों के लिए। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘मोगली’ की जो पीले फर का कपड़ा पहने अपने भयानक दोस्तों बघीरा, बालू, पप्पू और खतरनाक दुश्मन शेर खान के साथ जंगल में रहता था। सप्ताह भर छोटे बच्चों को उस आधे घंटे के प्रसारण का इंतज़ार रहता था।

फिल्म के डायरेक्टर जॉन फेवरू ने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की होगी कि इस प्रकार की फिल्म का निर्माण कर छोटे बच्चों के साथ-साथ वे बड़ी उम्र के लोगों को इस फिल्म का दीवाना बना देंगे।

‘द जंगल बुक’ के किरदारों की डबिंग बड़े-बड़े हॉलीवुड स्टार्स की आवाज़ों में करवाना तथा मशहूर और लोकप्रिय डायरेक्टर के नाम के जुड़ने की वजह से यह माना जा रहा था कि हॉलीवुड में यह फिल्म धूम मचा सकती है, पर डिज्नी इंडिया द्वारा भारत में भी इस फिल्म की हिंदी डबिंग बॉलवुड स्टार्स से कराए जाने के कारण यह फिल्म भारतीय सिनेमा घरों में भी काफी धूम मचा रही है। हालांकि अंग्रेजी संस्करण में फिल्म ज्यादा प्रामाणिक लगती है, लेकिन हिंदी में डब फिल्म भी कई कारणों के लिए भी हमारे दिल के करीब रहेगी।

भाषा का जुड़ाव

यह सच है कि हम में से ज्यादातर लोगों ने मूल डिज्नी फिल्म से पहले हिंदी डब संस्करण देखा है। इसीलिए शायद, मोगली हमेशा ‘हम में से एक’ लग रहा होगा। अपने दोस्तों के साथ रहने वाला एक देसी लड़का है, जो शुद्ध हिंदी और उर्दू शब्दों का प्रयोग करता है। यहां तक कि जानवरों के नाम हमारे लोकप्रिय उपनामों जैसे ही हैं। यही एक विदेशी फिल्म श्रृंखला है जो एक भारतीय सेट अप पर आधारित है। इसलिए शायद यह फिल्म हमें अपने अधिक करीब लगती है।

पुरानी यादों की यात्रा

आज भी जब ‘चड्डी पहन के’ गीत रेडियो या टीवी पर चलता है तब एक अजीब तरह की उमंग का उत्साह हमारे अंदर जाग उठता है। एकाएक पुरानी यादें हमारे ज़ेहन में उभर आती हैं। वह ट्राली पर रख हुआ छोटा सा टीवी सेट नज़रों के सामने दिखने लगता है। इन्हीं सभी सुहानी यादों को नया 3 डी जंगल बुक हमारे पास फिर से लाता है।

भारतीयता का आभास कराती फिल्म

यहां यह आपको बताना अनिवार्य होगा कि रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी पुस्तक एक भारतीय जंगल से प्रेरित होने के बाद लिखी थी। हर चरित्र का नाम भारतीय है। संपूर्ण जंगल बुक में भारतीयता की झलक देखने को मिलती है। निर्देशक जॉन फेवारु ने मोगली के किरदार के लिए भारतीय कलाकार का चयन कर फिल्म की मौलिकता बरक़रार रखी है।

हमारे बचपन की विरासत

हम लोगों के लिए ‘मोगली’ ऐसा एक प्रोग्राम है जो ’शक्तिमान’ के साथ-साथ हमेशा हमारी स्मृति में रहेगा। अब आज की नई पीढ़ी के बच्चों को हमारी विरासत दिखाने का समय है। आज के स्मार्ट फोनधारक बच्चों को फिल्म के आसपास छाये उन्माद को दिखाने का भी यह उचित समय है। हो सकता है उन्हें शायद ये सब अजीब सा लगे, या फिर वे इस ‘कठिन’ हिंदी संस्करण को देखने से ही मना कर दें, पर मोगली हमारा दोस्त था, है और रहेगा जिसका हमें गर्व है।

‘जंगल बुक’ का हिंदी संस्करण सब कुछ एक बड़े पैमाने पर वापस लाता है। जो खुशी हमने हमारे दोस्त ‘मोगली’ के साथ महसूस की थी, हताशा के वे पल जब हम कभी ‘मोगली’ के एक एपिसोड को भी हम मिस कर जाते थे। पहला टीवी का गीत जो हमने सुना और गाया, और वह कहानी जो हमारे शिक्षक हमें पढ़ कर सुनाते थे।

हमारा बचपन वापस लाने के लिए जॉन फेवारु और डिज्नी इंडिया आपका धन्यवाद। आपको शायद पता नहीं है किस तरह की ख़ुशी आप हमारे जीवन में ले आए हैं।

डिज्नी की जॉन फेवारु द्वारा निर्देशित एक्शन से भरपूर फिल्म है और मोगली अपनी जंगली सेना के साथ जंगल की एक परम यात्रा पर ले जाता है। वन्य जीवन वृत्तांत जो हमें अधिकतर अपने बचपन की याद दिलाता है, जो कि रुडयार्ड किपलिंग की कालातीत कहानियों पर आधारित है, जिससे भारत के लोग बड़ी गहराई से जुड़े हुए हैं। बालू नामक भालू से लेकर शेर खान नामक बाघ जैसे प्यारे जानवरों को परदे पर फिर से जीवंत करती यह फिल्म आपको अपने बच्चों के साथ देखने के लिए इन्हीं कारणों से विवश करेगी।
————

जयंत भाटिया

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