महाराष्ट्र धर्म का आत्माभिमान करें जागृत
संन्यासी अंतःकरण से राजधर्म का पालन करें, यह महत्वपूर्ण विचार समर्थ रामदास जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को दिया था। महाराष्ट्र की संस्कृति के ताने-बाने से साकार होने वाला महाराष्ट्र धर्म हमेशा सभी से दो कदम आगे रहा है। आज महाराष्ट्र धर्म की नैतिकता की दुहाई देते समय हमें अपनी पगडंडी भी स्वच्छ रखने की अनिवार्यता आन पड़ी है।