महाराष्ट्र धर्म का आत्माभिमान करें जागृत

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संन्यासी अंतःकरण से राजधर्म का पालन करें, यह महत्वपूर्ण विचार समर्थ रामदास जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को दिया था। महाराष्ट्र की संस्कृति के ताने-बाने से साकार होने वाला महाराष्ट्र धर्म हमेशा सभी से दो कदम आगे रहा है। आज महाराष्ट्र धर्म की नैतिकता की दुहाई देते समय हमें अपनी पगडंडी भी स्वच्छ रखने की अनिवार्यता आन पड़ी है।

‘जंगल बुक’ और ‘मोगली’ की धूम

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डिज्नी की जॉन फेवारु द्वारा निर्देशित एक्शन फिल्म ‘जंगल बुक’ काफी धूम मचा रही है। उसका नायक मोगली अपनी जंगली सेना के साथ जंगल की एक परम यात्रा पर ले जाता है। यह रुडयार्ड किपलिंग की कालातीत कहानियों पर आधारित है, जिससे भारत के लोग बड़ी गहराई से जुड़े हुए हैं।

सत्यसांई का कार्ययज्ञ

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व्यक्तिगत साधना एवं सेवा कार्य ये दोनों बातें साथ-साथ चलनी चाहिए और उसके लिए सत्य, धर्म, शांति, प्रेम तथा अहिंसा इन मूलभूत मानवीय मूल्यों को हरेक को अपने व्यवहार में लाना चाहिए यह सत्यसांई सेवा संगठन का उद्देश्य है। सत्यसांई बाबा ने न केवल देश में अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अद्भुत जनकल्याण कार्य किया है।

आदिवासियों की प्रेरणा बना श्री हरिहर ट्रस्ट

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श्री हरिहर सोशियो स्पिरिचुअल एण्ड कल्चरल इवोल्यूशन ट्रस्ट की स्थापना महाराष्ट्र के ठाणे जिले के वाडा तालुका में 2002 में हुई। ट्रस्ट की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य है आदिवासी लोगों को भौतिक, मानसिक और अध्यात्मिक प्रोत्साहन देना। आदिवासी क्षेत्रों का प्रमुख पेशा खेती होने के कारण खेती से संबंधित भिन्न-भिन्न तकनीकों और मशीनों का लोगों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना शुरू किया।

संत निरंकारी मिशन : एक विश्वस्तरीय अध्यात्म-समाजसेवी संगठन

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संत निरंकारी मिशन का आरंभ 25 मई, 1929 को सरल जीवन और निराकार ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाले बाबा बूटा सिंह जी ने पेशावर (पाकिस्तान) में किया।...वर्ष 1980 से संत निरंकारी मिशन का बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में चौमुखी विकास हो रहा है। ...आज मिशन की 2500 से भी अधिक शाखाएं हैं जिनमें से लगभग 200 विदेशों में हैं। ...अध्यात्म एवं सेवा का यहां अनूठा संगम है।

महालक्ष्मी मंदिर के सेवा कार्य

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महालक्ष्मी मंदित के माध्यम से दो प्रकार के कार्य किए जाते हैं। धार्मिक कार्य तथा सेवा कार्य। धार्मिक कार्यों में देवी की पूजा, अर्चना, नवरात्र उत्सव, अश्विन और माघ मास में उत्सव आदि होते हैं। उत्सवों में विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। मंदिर के द्वारा किए जानेवाले सेवा कार्य भी बहुत हैं। मंदिर के माध्यम से प्रतिवर्ष 8 से 9 हजार विद्यार्थियों को स्कॉलरोशप दी जाती है।

समाज के लिए एक सुहानी वास्तविकता – हिंदू अध्यात्मिक एवम् सेवा प्रदर्शनी

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मगर इस प्रदर्शनी ने मानो मेरी आंखें खोल दीं। सेवा के नाम पर अपना उल्ल्ाू सीधा करने वाली न जाने कितनी धार्मिक संस्थाएं हम देखते हैं। उनके काम करने का तरीका भले ही अलग-अलग हो परंतु उद्देश्य एक ही होता है; सेवा के बदले गरीब एवं दुर्बल लोगों का धर्मांतरण करना। सीधा धर्मांतरण न भी हो तो सेवा करवाने वाले अपने धर्म से हट जाएं। इस माहौल में हमेशा एक आवाज आती है कि अन्य धार्मिक संस्थाएं काम तो करती हैं,

सेवा एवं संस्कार का प्रेरणा स्रोत

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एक भ्रामक धारणा यह है कि हिन्दू अध्यात्म में सामाजिक सरोकार बिल्कुल नहीं हैं। हिन्दू समाज में दयाभाव और पिछड़े वर्ग के प्रति सहानुभूति कतई नहीं है। यह मिथ्या धारणा कि हिन्दू अध्यात्म समाज के लिए कुछ नहीं करता, दूर करने के लिए हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा मेले की शुरुआत की गई।

अध्यात्म एवं सेवा

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अध्यात्म का अर्थ है अपने स्वयं के अतंर देवत्व की खोज और दूसरे को देवता मान कर उसकी सेवा और अर्चना! ...भारत की उन्नति, प्रगति तथा उत्कर्ष के मूल में सेवा की सबसे प्रमुख भूमिका होगी।

कमला आडवाणी – एक पहचान

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घर-गृहस्थी तो कमला जी ने ही संभाली थी। आडवाणी जी उनका सहयोग करने में प्रसन्न होते। ....दाम्पत्य के इस मर्म को समझना होगा कि एक दूजे के लिए समर्पित जीवन जीते हुए भी अपनी-अपनी पहचान बनाए रखी जा सकती है। कमला आडवाणी जी की अपनी भी एक पहचान थी।

भौं भौं बनाम ट्वीट ट्वीट

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दिन भर की भागदौड़ और अपनी व्यस्त जीवनशैली के बाद जब आदमी घर पहुंचता है तो चाहता है कि वह सुकून भरी सांस ले सके। देश और दुनिया में घटने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर सके। लेकिन इसी उद्देश्य से जब वह कोई समाचार चैनल शुरू करता है तो उसे आधे से अधिक चैनलों पर शोरशराबा और चीख-चिल्लाहट ही सुनाई देती है। इसके विपरीत अगर वह व्यक्ति सोशल मीडिया पर एक्टिव है तो उसे पल-पल की खबर शांति से मिल जाती है।

असम, बंगाल में स्थानीय मुद्दे हावी

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पश्चिम बंगाल एवं असम में 19 मई को नई सरकार का गठन होना है। दोनों राज्यों में शांति व विकास के साथ स्थानीय मुद्दे हावी रहे। प्रचार के लिए आए राष्ट्रीय नेताओं ने भी स्थानीय मुद्दों को ही प्राथमिकता दी। दोनों राज्यों में जिसकी भी सरकार आए, जनता उससे हर बात का हिसाब अवश्य मांगेगी।

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