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हिलेरी व ट्रंप में कांटे की टक्कर

हिलेरी व ट्रंप में कांटे की टक्कर

by सरोज त्रिपाठी
in अगस्त -२०१६, सामाजिक
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अगले नवम्बर में हो रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की ओर सारी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को आम नागरिक इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि वे अमेरिका को फिर से विश्व विजेता बनाने का स्वप्न दिखा रहे हैं, पर उनकी पार्टी की राय विभाजित है। दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन आम लोगों की पसंद नहीं हैं, पर अमेरिकी व्यवस्था की प्रिय हैं। फिलहाल अमेरिका का लोकतंत्र ऊहापोह कि स्थिति में है।

इस साल 8 नवम्बर को अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन में कांटे की टक्कर होने की संभावना है। दोनों अपनी पार्टी का नामांकन पाने में सफल रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप की छवि एक मुंहफट, बडबोले और घोर दक्षिणपंथी नेता की है; जबकि हिलेरी क्लिंटन की छवि असली मुद्दों से कतरा कर लोक लुभावन राजनीति करने वाली, बड़े पूंजीपतियों से नजदीकी रिश्तें बनाकर अपना चुनावी अभियान संचालित करने वाली राजनेता की बन चुकी है। करीब साल भर पहले राजनीति में कदम रखने वाले 69 वर्षीय ट्रंप ने अपने विवादास्पद भाषणों के जरिए मीडिया में जम कर सुर्खियां बटोरीं, जिनमें उन्होंने मेक्सिको वासियों को ‘बलात्कारी’ कहा, मेक्सिको व अमेरिका के बीच दीवार बनाने की बात कही और मुस्लिम प्रवासियों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने तक का बयान दे डाला। वे हथियारों की खुली खरीद पर भी बराबर जोर दे रहे हैं। दूसरी तरफ हिलेरी क्लिंटन की छवि देश के एक प्रतिशत अमीरों की समर्थक और इराक युद्ध के पक्ष में मतदान करने वाले व्यक्ति के रूप में है।

दरअसल आज की तारीख में अमेरिका बुरी तरह बंटा हुआ है और बहुत गुस्से में है। यद्यापि डोनाल्ड ट्रंप नामांकित हो चुके हैं, पर रिपब्लिकन पार्टी के दिग्गज उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। उदाहरण के लिए बुश परिवार रिपब्लिकन पार्टी से लम्बे अरसे से जुड़ा हुआ है। जार्ज बुश और उनके बेटे जार्ज डब्लू बुश अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं। बुश परिवार अपनी पार्टी में बहुत शक्तिशाली है, पर उनके विरोध के बावजूद ट्रंप पार्टी का नामांकन जीतने में सफल रहे। नामांकन का फैसला लेते ही जार्ज बुश ने ऐलान कर दिया कि वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देंगे। जार्ज बुश अकेले नहीं हैं। उनकी पार्टी का एक बड़ा धड़ा ट्रंप के खिलाफ है और यह विरोध रिपब्लिकन पार्टी को टूटने के कगार पर ले आया है। पर आम रिपब्लिकन कार्यकर्ता ट्रंप के पक्ष में है। इसीसे ट्रंप को पार्टी का नामांकन जीतने में कामयाबी मिली। ट्रंप अपने भाषणों में वही बातें कह रहे हैं, जो वहां के लोग सुनना चाहते हैं। चाहे ट्रंप का वादा हो कि वे अमेरिका को फिर से महान देश बनाएंगे या फिर मुसलमानों और मेक्सिकन का विरोध हो- हर मुद्दे पर ट्रंप कहते हैं कि मुझे राष्ट्रपति बनने दीजिए मैं सब ठीक कर दूंगा। दूसरी तरफ हिलेरी क्लिंटन को डेमोक्रेटिक पार्टी के ज्यादातर समर्थक नापंसद करते हैं। हिलेरी को लोग राष्ट्रपति पद के लिए स्वाभाविक उम्मीदवार (नेचरल कैंडिडेट) नहीं मानते। उन्हें लगता है कि पार्टी के कुछ प्रभावशाली नेताओं और पूंजीपतियों ने उन्हें लोगों के मत्थे मढ़ दिया है। हिलेरी का सम्पर्क आम लोगों से बहुत कम है और अमेरिका की स्थायी व्यवस्था से नजदीकी बहुत ज्यादा है। लोगों का मानना है कि व्यवस्था हिलेरी को जितवाना चाहती है। उनकी पार्टी के मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तक पूरी तरह हिलेरी के साथ नही हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार के रूप में उनके खिलाफ रोष है।

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बेशुमार दौलत के मालिक ट्रंप का सिक्का अमेरिका ही नहीं दुनिया के प्रापर्टी बाजार में चलता है। आसमान छूती इमारतों पर ट्रंप नाम की मुहर लगते ही ट्रंप-टावर का भाव बढ़ जाता है। लेकिन राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए ये तो कोई काबिलियत नहीं है, फिर ऐसा क्या है जो उन्हें यहां तक ले आया?

व्हाइट हाउस की रेस में ट्रंप ‘वाइल्ड काडर्’ की तरह आए। उनके बयानों और अंदाजों ने किसी को चौंकाया तो किसी को डराया। ट्रंप का दावा है कि वे अमेरिका को फिर से महान बना देंगे। ट्रंप को यकीन है कि उनका यह सूत्र उन्हें अमेरिका का सरताज बना देगा। चुनावी सफलता के लिए उन्होंने एक मजबूत अमेरिका का एजेंडा गढ़ा है; लेकिन दुनिया में तो अमेरिका का कद पहले से ही विशाल है। ऐसे में जब दुनिया के इस सब से ताकतवर देश को डोनाल्ड ट्रंप महान देश बनाने की बात करते हैं तो उनका मतलब जरा हट कर होता है।

9/11 की घटना (टि्वन टॉवर पर हमले) के बाद पूरी दुनिया में मुस्लिमों को लेकर शक का दायरा बढ़ा तथा अमेरिका में ये खाई ज्यादा गहरी हुई। इस्लामिक स्टेट के खतरे ने अमेरिका में नफरत की नई हवा तैयार की। ट्रंप को इस हवा में ही अपना झंडा लहराता दिख रहा है। चाहे मेक्सिकन हों या दूसरे विदेशी मूल के अमेरिकी- ट्रंप सब के खिलाफ धुआंधार आग उगल रहे हैं। देश में अवैध रूप से रह रहे दूसरे देश के लोगों को कानून का डर पहले भी था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की बातें उन्हें ज्यादा डरा रही हैं।
ट्रंप से जिनको सबसे ज्यादा खतरा दिख रहा है उनमें मेक्सिकन और अश्वेत लोग ही नहीं बल्कि अमेरिकी महिलाएं भी हैं। ट्रंप के महिला विरोधी विचारों से तरक्की पसंद औरतें अपने वजूद को लेक र सशंकित हैं। महिलाओं के मन में डोनाल्ड ट्रंप को लेकर जो संदेह है, वह यूं ही नहीं है। गर्भपात पर वे सीधे तौर पर सजा की वकालत कर चुके हैं। ट्रंप किसी को नहीं छोड़ते, हिलेरी क्लिंटन पर हमला करते हुए वह कह चुके हैं कि हिलेरी के पास महिला कार्ड के सिवा कुछ नहीं है। ट्रंप के मुताबिक विदेशी आउट सोर्सिंग के जरिए अमेरिकियों की नौकरियां छीन रहे हैं। ट्रंप कई बार भारत के लिए भी विचलित करने वाले बयान दे चुके हैं।

अमेरिका की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए डोनाल्ड ट्रंप प्रशांत महासागर पार भागीदारी से अमेरिका को अलग हो जाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि वे राष्ट्रपति बन गए तो सबसे स्मार्ट और सबसे सख्त वार्ताकारों की नियुक्ति करेंगे तथा वाणिज्य मंत्री को निर्देश देंगे कि वे व्यापार समझौतों का उल्लंघन करने वालों की शिनाख्त करें। डोनाल्ड ट्रंप उत्तर अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (एनएएफटीए) पर पुनर्विचार किए जाने के हिमायती हैं। ट्रंप सिद्धांत में चीन के खिलाफ खुले आर्थिक युद्ध का ऐलान है। ट्रंप का आरोप है कि चीन व्यापार संधियों का सब से बड़ा उल्लंघन करने वाला देश है; क्योंकि वह अमेरिका में अपने सामान उंडेल रहा है। बौध्दिक संपदा चुरा रहा है और अपने यहां कारोबार कर रही अमेरिकन कंपनियों पर भारी भरकम कर लगा रहा है। ट्रंप के मुताबिक चीन ‘करेंसी मैनिपुलेटर’ है। उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि वे राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन को नतीजे भुगतने होंगे।

डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी का नामांकन प्राप्त करने का प्रयास किया था, लेकिन बराक ओबामा ने उन्हें पराजित कर दिया था। बाद में ओबामा की सरकार में उनकी अहम् भूमिका रही। हिलेरी क्लिंटन अपने विरोधी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप को बेलगाम व्यक्ति कहती हैं। ट्रंप पर वार करते हुए वे कहती हैं कि मुझे नहीं लगता कि हम डोनाल्ड ट्रंप जैसे बेलगाम व्यक्ति के हाथ में देश की कमान सौंपने का जोखिम ले सकते हैं। हिलेरी के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि दूसरे देशों द्वारा परमाणु हथियार अधिकार हासिल करना सही है, जबकि मुझे लगता है कि यह बेहद खतरनाक होगा। हिलेरी क्लिटन ट्रंप द्वारा ‘जलवायु परिवर्तन’ को चीनी हौव्वा बताने की भी तीखी आलोचना करती हैं। हिलेरी का मानना है कि ‘जलवायु परिवर्तन’ एक यथार्थ है तथा इससे निपटने के लिए अमेरिका को दुनिया को एकजुट करना होगा। हिलेरी क्लिंटन के मुताबिक ट्रंप एक बेकाबू तोप हैं और बेकाबू तोप गलत दिशा में लग सकती है।
हिलेरी क्लिंटन का कहना है कि राष्ट्रपति बनने पर वे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगी। उनके मुताबिक जब व्हाइट हाउस में कोई डेमोक्रेट होता है, तब अर्थव्यवस्था बेहतर काम करती है। उनका दावा है कि उनके पति बिल क्लिंटन के कार्यकाल और रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज डब्लू बुश के कार्यकाल में पूरे देश ने भारी अंतर को देखा। बुश ने अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा दिया था और डोनाल्ड ट्रंप भी उसी राह पर देश को ले जाएंगे। हिलेरी के मुताबिक देश की जनता ने देखा कि कैसे ओबामा ने रिपब्लिकनों कि विफल आर्थिक नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था को बचाया।

हिलेरी क्लिंटन ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर धावा बोलते हुए कहती हैं कि वैश्विक व्यापार से अमेरिकी मजदूरों की कीमत पर डोनाल्ड ट्रंप को फायदा हुआ है- ट्रंप की टाइयां चीन में बनती हैं, ट्रंप का सूट मैक्सिको में, ट्रंप के फर्नीचर तुर्की में तथा ट्रंप के फोटो फ्रेम भारत में बनते हैं। वह पूछती हैं कि ऐसे में ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ के नारे का क्या मतलब बाकी बचता है? परंतु हिलेरी के इसी तर्क का इस्तेमाल ट्रंप उनके ही खिलाफ करते हैं। ट्रंप के मुताबिक हिलेरी क्लिंटन व्यापार समझौता और वैश्विकरण की मुख्य प्रवक्ता रही हैं तथा 1990 के दशक में उनके पति वैश्विकरण के अगुआ रहे। ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी में अंदरूनी मतभेद का जिक्र करते हुए कहते हैं कि हिलेरी की पार्टी के सीनेटर बर्नी सैंडर्स प्राइमरी चुनावों के दौरान कहते फिर रहे थे कि हिलेरी क्लिंटन ने उन सभी समझौतों के पक्ष में मतदान किया था जिसकी कीमत के तौर पर अमेरिका के लाखों मजदूरों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा।

फिलहाल अमेरिका का लोकतंत्र ऊहापोह कि स्थिति में है। ट्रंप को आम नागरिक इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि वे अमेरिका को फिर से विश्व विजेता बनाने का स्वप्न दिखा रहे हैं, पर उनकी पार्टी की राय विभाजित है। दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन आम लोगों की पसंद नहीं हैं, पर अमेरिकी व्यवस्था की प्रिय हैं। अमेरिका अंतर्विरोध में फंसा हुआ है। देश इससे कैसे निकालेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल नवम्बर तक यह अप्रत्याशित राजनीतिक लठमारी जारी रहेगी।
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सरोज त्रिपाठी

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