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सोशल मीडिया का बढ़ता शिकंजा

सोशल मीडिया का बढ़ता शिकंजा

by निहारिका पोल
in अगस्त -२०१६, सामाजिक
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सम्पूर्ण सतर्कता, सावधानी और सोशल मीडिया का ज्ञान हो तो सोशल मीडिया के माध्यम से बड़-बड़े कार्य करना भी संभव है। केवल तय यह करना है, कि इस शिकंजे में फंसते चले जाना है या सोशल मीडिया का नया जाल खुद के हाथ से बुनना है।

सोचिए आप सुबह उठे हैं और आपके आसपास मोबाइल नहीं है। दिन भर में एक भी व्हॉट्सएप मैसेज नहीं आया, ना ही कोई फेसबुक पोस्ट आपने देखा है। क्या यह कल्पना भी आप कर सकते हैं? नहीं ना! खासकर युवाओं में दिन प्रति दिन सोशल मीडिया का क्रेझ बढ़ता ही जा रहा है। दिन भर में सोशल मीडिया के एक भी प्लैटफॉर्म पर आप नहीं गए ऐसा हो ही नहीं सकता। व्हॉट्सएप तो हमारी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा बन गया है। तकनीक ने हमें दुनिया के चार कदम आगे तो रखा ही है, दुनिया को एक धागे में समेटा है, साथ ही अपनों से थोड़ा दूर भी कर दिया है।

दो अलग-अलग किरदार

सोशल मीडिया और सामान्य जिंदगी इन दोनों में एक ही व्यक्ति द्वारा निभाए जाने वाले किरदार अलग-अलग होते हैं। अगर हम फेसबुक की बात करें तो वहां पर हम ऐसी ही चीजें पोस्ट करते हैं जो हम लोगों को दिखाना चाहते हैं। अर्थात हम आभासी दुनिया में जी रहे होते हैं। वहां हमारी एक अलग प्रतिमा बनती है, और उस प्रतिमा के अनुरूप ही हमारे पोस्ट होते हैं भले ही असल जिंदगी में हम वैसे न भी हों। व्यक्ति के व्यक्तित्व के अनेक पहलू होते हैं, और हम अपने व्यक्तित्व का एक ही पहलू फेसबुक पर पोस्ट करते हैं। इसी तरह व्हॉट्सएप के बारे में कहा जाए तो हम वहां एक साथ अनेक ग्रुप पर होते हैं। एक ग्रुप स्कूल के दोस्तों का, एक ग्रुप ऑफिस का, एक ग्रुप परिवार वालों का। हमारा जिस तरह का व्यवहार परिवार वाले ग्रुप पर होता है, उससे एकदम उलटा स्कूल के दोस्तों के ग्रुप पर होता है। अर्थात वहां भी हम अलग- अलग किरदार निभा रहे होते हैं। यदि इसे एडिक्शन के रूप में न देखा जाए और आवश्यकता के अनुरूप ही उपयोग किया जाय तो निश्चित ही स्प्लिट पर्सनॅलिटी की इस समस्या से हम बच सकते हैं।

दिखावे पर अधिक विश्वास

सोशल मीडिया की विश्वासर्हता हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। सोशल मीडिया पर डाली हुई हर बात सच नहीं होती। लेकिन फिर भी दिखावे की इस दुनिया में न चाहते हुए भी कई बार हम इन बातों पर विश्वास कर लेते हैं। फेसबुक पर झूठी बातें बता कर प्यार में फंसना, फेक अकाउंट्स के झांसे में आकर दोस्ती कर लेना, झूठी बातों में आकर पैसे की हेरफेर यह सब इसी का एक भाग है। साथ ही हम भी दिखावे की दुनिया में जीने लगते हैं। हमें क्या पसंद है यह सोचने से पहले लोगों को क्या पसंद आएगा, मेरी इस पोस्ट को लाइक्स मिलेंगे या नहीं इस बात का विचार हमारे दिमाग में पहले आता है। क्यों कि लोग दिखावे पर ही विश्वास करते हैं, तो हम भी दिखावे में ही जीने लगते हैं।

सेल्फी का बढता क्रेझ

मोबाइल और सोशल मीडिया के बढ़ते चलन ने सेल्फी का क्रेझ भी बढ़ाया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नॅपचॅट के कारण दिन-ब-दिन सेल्फी की बारिश सोशल मीडिया पर हो रही है। इसी सेल्फी के क्रेझ के कारण कुछ ही दिन पहले कई विद्यार्थियों को जान गंवानी पड़ी। पहाड़ों पर, बीच समुंदर में सेल्फी खींचते वक्त ये हादसे हुए। अत: किस स्थान पर सेल्फी लेना चाहिए और कहां नहीं यह पता होना भी जरूरी है। सेल्फी का क्रेझ होना कोई बुरी बात नहीं परंतु केवल खुद की जान और स्थान का महत्व समझ कर सेल्फी ले तो बेहतर होगा।

मैं ऑनलाइन हूं

ऑनलाइन रहना हम सभी के लिए एक आम बात हो गई है। इसी ऑनलाइन रहने के कारण कई बार आपसी रिश्तों में खटास भी पैदा हो सकती है। कई बार व्हॉट्सएप पर हम केवल आए हुए संदेश देखने के लिए ऑनलाइन आते हैं। लेकिन समय ना होने पर यदि हम उन मैसेजेस का जवाब ना दे सकें तो संदेश भेजने वाले को अपमानित महसूस हो सकता है। व्हॉट्सएप ने ब्लू टिक पद्धति जबसे चालू की है तबसे यह समस्या और भी बढ़ गई है। मैसेज को देख कर अनदेखा कर दिया गया ऐसा भी लग सकता है। ऐसे में गलतफहमी पैदा होने के कारण आपसी रिश्तों में दरार पड़ सकती है, और झगड़े भी बढ़ सकते हैं। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग रिश्तों में नीरसता भी पैदा करता है।

गलतफहमियों का बढना

सोशल मीडिया पर संवाद बढ़ाने से उत्पन्न होने वाली एक और समस्या है, गलतफहमियों का बढ़ना। चूंकि हमारे आपसी संवाद लिखित में होते हैं, तो लिखने वाले की बात की आवाज का लहजा हम समझ नहीं पाते इसलिए हमारे मन में जो टोन या लहजा होता है हम उसी में सामने वाले की बात पढ़ते हैं, और वैसे ही समझते हैं। इससे गलतफहमियां बढ़ सकती हैं, और आपसी रिश्तों में खटास पैदा हो सकती है।

लिखित संदेशों का दुरुपयोग स्क्रीनशॉट्स

आजकल स्क्रीनशॉट खींच कर संग्रहित और समय आने पर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना एक आम बात हो गई है। इसकी तकनीक भी बहुत सामान्य है। इसके लिए खास कुछ नहीं करना पड़ता, लेकिन छोटी सी लड़ाई को बड़ा बनाने में इस तकनीक का बहुत बड़ा हाथ होता है। कई बार हम गुस्से में आकर आवेश में आकर कुछ लिख जाते हैं। कई बार कुछ ऐसी तस्वीरें भावनाओं में बह कर भेजी जाती हैं जो सोशल मीडिया पर साझा नहीं करनी चाहिए, किंतु समय आने पर इन्हीं संदेशों और तस्वीरों का उपयोग भेजने वाले के खिलाफ होता है। इस कारण सोशल मीडिया पर लिखते और तस्वीर भेजते समय भी भविष्य का विचार कर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव

ऊपरी सारी बातें पढ़ कर यदि आप सोच रहे हैं कि सोशल मीडिया हमारे जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सोशल मीडिया का यदि सही तरीके से और सही कारण से उपयोग किया जाए तो आज के जमाने में इससे बड़ा वरदान भी कोई नहीं।

नए उद्योग स्टार्टअप्स के लिए सर्वाधिक उपयोगी

सोशल मीडिया का उपयोग नए उद्योगों के लिए बहुत ही रचनात्मक रूप में किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है, कि इसमें पैसे नहीं लगते। अर्थात यदि अखबार में एक विज्ञापन छपवाना हो तो उसमें कई हजार रुपये लग जाते हैं, इससे उलटा यदि सोशल मीडिया के माध्यम से नई कम्पनी/योजना या विचार का प्रचार प्रसार किया जाए तो बिना खर्चे के अधिकाधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। इसी तरह कम्पनी के कार्यों के फोटो एवं वीडियो भी सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाए जा सकते हैं। जिसका फायदा अधिक होता है। स्टार्टअप के लिए सोशल मीडिया एक वरदान है। कई व्यवसाय तो ऑनलाइन ही शुरु किए जा सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से फैशन ब्रैंड से लेकर हार्डवेयर कम्पनी तक सभी प्रकार के व्यवसाय करना सुविधाजनक रहा है। झोमेटो, फूड पांडा जैसे एप्स के कारण खाद्य व्यवसाय भी अब ऑनलाइन आ गया है। सोशल मीडिया ने नए उद्योजकों को बड़ी मात्रा में प्रेरणा और अवसर दिए हैं।

भौगोलिक स्तर पर बिखरे हुए परिवार को एक करना

आज हर दूसरे परिवार में बच्चे पढ़ने या नौकरी करने के लिए बाहर गए हुए हैं। कुछ परिवारों में दोनों बच्चे अलग-अलग स्थानों पर पढ़ रहे होते हैं। तो कुछ परिवारों में बच्चे विदेश पढ़ने गए होते हैं। ऐसे परिवारों को जोड़ने का काम यह सोशल मीडिया करता है। व्हॉट्सएप, फेसबुक के ग्रुप हों या स्काईप का ग्रुप चैट इसके माध्यम से जर्मनी में बैठा बेटा जबलपुर में बैठे अपने मां-पिताजी और पुणे में बैठी बहन से एक समय पर बात कर सकता है। सोशल मीडिया के कारण भौगोलिक अंतर कम हो गया है और दुनिया सिमट गयी है।

अपनी कला को प्रदर्शित करने का सबसे उत्तम उपाय

जिस तरह नए व्यवसाय हेतु सोशल मीडिया बहुत फायदेमंद है, उसी तरह कलाकारों के लिए भी यह एक वरदान है। कलाकार चाहे कवि हो या चित्रकार, फोटोग्राफर हो या नृत्यांगना, गायक हो या रेत कलाकार। अपनी कला अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने में सोशल मीडिया उसे बहुत मदत करता है। इसके लिए फेसबुक के पेज, यूट्यूब के वेब चैनल्स, ट्विटर अकाउंट, इंस्टाग्राम बहुत मदत करत हैं। अलग-अलग सोशल मीडिया प्लॅटफॉर्म्स के माध्यम से कलाकार अपनी कला फोटो, वीडियो और लिखित संदेशों के जरिए सम्पूर्ण दुनिया तर पहुंचा सकते हैं। भारत जैसे कला संपन्न देश के लिए सोशल मीडिया किसी वरदान से कम नहीं।

सोशल मीडिया का उपयोग यदि सही तरीके से और सही कारण के लिए किया जाए तो सचमुच यह बहुत फायदेमंद है, लेकिन यदि इसका उपयोग गलत तरीके से और गलत इरादों से किया जाए तो यह आपका जीवन बरबाद भी कर सकता है। एक ओर सोशल मीडिया और अनेक एप्स के कारण घर बैठे बिल भरना, रीचार्ज करना, सामान खरीदना, नया व्यवसाय शुरू करना, नई कल्पनाएं सम्पूर्ण जग तक पहुंचाना संभव है, वहीं दूसरी ओर भावनिक, मानसिक, शारीरिक समस्याओं का हमारी जिंदगी में आना भी सोशल मीडिया की ही देन हो सकता है। सम्पूर्ण सतर्कता, सावधानी और सोशल मीडिया का ज्ञान हो तो सोशल मीडिया के माध्यम से बड़-बड़े कार्य करना भी संभव है। केवल तय यह करना है, कि इस शिकंजे में फंसते चले जाना है या सोशल मीडिया का नया जाल खुद के हाथ से बुनना है।
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