नशे की अजगरी बांहों में महिलाएं

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फैशन के नाम पर सिगरेट, शराब, ड्रग्स का नशा करना और इसके साथ ही तस्करी एवं अन्य अपराधिक गतिविधियों में महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होना चिंता की बात है। संवेदनशील भारतीय महिलाएं संवेदनहीन व दिशाहीन होकर विकृति की ओर बढ़ती जा रही है।

परिधानों में दिखती परंपरा

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परिधानों में कुनबी सूती साड़ी,पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। वहीं मांडो का परिधान पानो भाजु विशिष्ट परिधान है। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है।

आनंद का प्रतीक नृत्य

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गाना गाना, नृत्य करना कोई वाद्य बजाना ये सभी अपने मनोभावों को व्यक्त करने का तरीका हैं। ये सारे क्रिया कलाप केवल किसी को ‘इम्प्रेस’ करने के लिए नही वरन् स्वयं को ‘एक्सप्रेस’ करने के लिए किए जाते हैं तो वे सभी मनोभाव देखने और सुनने वालों तक अपने आप पहुंच जाते हैं।

बिंदी सामाजिक बंधन या सशक्त अभिव्यक्ति?

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एक तरफ बुरके जैसे रूढ़िवादी परिधान को बचाए रखने के लिए देशभर में आंदोलन हो रहे हैं, वहीं वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कुंकू और बिंदी को लेकर अफवाहें फैलाई जाती हैं। बुरके में ढंकी महिला यदि महिला अधिकारों की बात करती भी है तो वह कितना हास्यास्पद लगेगा, जबकि माथे…

‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ के नाम से क्या है समस्या?

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उच्च तकनीक और विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव किया जाना विपक्षी दलों के राजनेताओं की कुटिल, दोहरी और पिछड़ी मानसिकता का परिचायक है। राष्ट्र के विकास में बाधा डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि राष्ट्र विरोधी मानसिकता वाले अराजक तत्वों का दुस्साहस न…

जन्नत, 72 हूरें और लव जिहाद

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श्रद्धा वालकर के केस ने लव जिहाद की भयानकता को अपने समूचे स्वरूप में समाज के सामने रख दिया है। अब समय आ गया है कि हम अपने घर की बेटियों को इन भेड़ियों की करतूतों के प्रति सचेत करें तथा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से इतना सक्षम बनाएं कि आवश्यकता पड़ने पर मुंहतोड़ जवाब दे सकें।

 हम ‘छात्र प्रतिज्ञा’ भूल तो नहीं रहे?

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समय के साथ पाठशाला, पाठ्यपुस्तकों में काफी परिवर्तन हुए | लेकिन छात्र प्रतिज्ञा हमेशा से ही हमारे शालेय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है | कहते हैं, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जो आकार दिया जाए वे उसमें ढल जाते हैं | छात्र प्रतिज्ञा के कारण ये कच्ची मिट्टी के घडे, मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं | और इसके एक एक शब्द का अर्थ समझने पर वे देश के और देशवासियों के और करीब आते हैं | लेकिन धीरे धीरे समाज में फैल रहे इस धर्म और जाती के आधार पर हो रहे भेदभाव और ‘लव्ह जिहाद’ और ‘धार्मिक कट्टरता’ जैसी बुराईयों से जन्मी नफरत ने कहीं ना कहीं हमारी इस प्रतिज्ञा को ठेस पँहुचाई है | और आज हम इसके मायने भूलते चले जा रहे हैं |

खरीदारी सबसेऽऽऽ सुखद अनुभूति

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किसी भी महिला के जीवन के सबसे सुखद क्षणों में से एक होता है, जब वह अपनी खरीदारी के शौक के पलों को जी रही होती है। उस समय उस महिला के चेहरे पर जो मुस्कान होती है, उसका मोल चुकाया नहीं जा सकता क्योंकि उसके कुछ क्षणों के पश्चात् ही उस परिवार के पुरुष की जेब ढीली हो चुकी होती है।

शरद पूर्णिमा: एक शाम दोस्तों के नाम

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एक समय था, जब शरद पूर्णिमा के दिन जगह-जगह पूरी रात सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे, इसे युवाओं का त्यौहार माना जाता था। संगीत की महफिल, नाटक का मंचन, कविताओं का पठन, सामूहिक या व्यक्तिगत नृत्य इत्यादि का प्रदर्शन करके देर रात जागरण होता था। लगभग पूरे साल इस त्यौहार की राह देखी जाती थी। आज युवाओं के कार्यक्रम के नाम पर होने वाली फूहड़ रेव पार्टी से यह कहीं ज्यादा सुंदर, मनभावन और अपनी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। क्या इसे पुन: वही स्वरूप दिया जा सकता है?

मैं हूं भारत का ‘परिधान’

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मेरे विविध प्रकारों के बारे में मैं जितना बताऊं उतना कम है, लेकिन एक बात का आनंद अवश्य है, कि जब भी कोई भारत के बाहर से भारत आता है, तो मेरे विविध प्रकारों को देखकर खुश हो जाता है। भारत के बाहर कपड़े और हैंडलूम के इतने प्रकार कहीं भी आपको देखने को नहीं मिलेंगे। ये यहां के कलाकारों की मेहनत, बुनकरों की लगन और कपास उगाने वाले किसानों की दृढ़ इच्छा ही है, जो आज भारत में हर एक गांव हर एक क्षेत्र में पहनावे की विविधता मिलती है।

सर्दियों के लिये तैयार है ना…

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सर्दियों के मौसम में पिकनिक पर जाने का या घूमने जाने का मजा ही कुछ और होता है। अब जबकि धीरे-धीरे देश अनलॉक हो रहा है, आप पूरी अहतियात बरत कर घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं, या आप एक दिन भर के लिये ही परिवार वालों के साथ कहीं पिकनिक पर जा सकते हैं या कहीं लाँग ड्राइव्ह पर जाकर आ सकते हैं। आप लंबी यात्रा भी कर सकते हैं, लेकिन कोरोना के समय में अधिक लंबी यात्रा ना करें तो ही अच्छा रहेगा।

रामो राजमणि सदा विजयते

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जिस प्रकार रावण जैसी दुष्ट प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त कर भगवान श्रीराम अयोध्या वापस लौटे थे, उसी प्रकार आज भी समाज की दुष्ट प्रवृत्तियों का अंत कर प्रभु श्रीराम फिर एक बार अयोध्या लौट रहे हैं। मंदिर के शिलान्यास का दिन करोड़ों हिंदुओं के लिए गर्व और खुशी का दिन होगा।

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