हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
केरल का दर्द

केरल का दर्द

by एड. जयप्रकाश
in अप्रैल २०१७, सामाजिक
0

१९४९ से लेकर अब तक केरल के कन्नूर जिले में मार्क्सवादियों की हिंसा जारी है| लेकिन, अब वहां लोगों का संघ पर विश्‍वास बढ़ा है, गांव बदल रहे हैं, शाखाओं का विस्तार हो रहा है, और नए राष्ट्रीय नेतृत्व की लहरें यहां गहराई से अनुभव की जा रही हैं| कन्नूर के स्वयंसेवक अपनी विचारधारा के बल पर मार्क्सवादियों के नासूर को उसके जन्मस्थान कन्नूर से ही खत्म कर देने के प्रति कटिबद्ध हैं|

१९ मई २०१६ को मार्क्सवादियों के    सत्ता पर काबिज होते ही केरल में, विशेष रूप से कन्नूर जिले में, बुरे दिन लौट आए| कन्नूर जिले के थालसेरी एवं धर्मदम जिलों के दो पुलिस थानों के अंतर्गत महज ३ घंटे में ही ५५ हिंसक वारदातें दर्ज की गईं| केरल एवं कन्नूर में १९ मई २०१६ से अब तक भाजपा एवं संघ के १९ कार्यकर्ता मारे गए| कन्नूर में ६ स्वयंसेवक बलि चढ़े| विमलादेवी नामक महिला को उनके बच्चों के सामने ही जला दिया गया| इससे कन्नूर में मार्क्सवादी गुंडों के आतंक का अंदाजा लगता है|

कन्नूर जिले को बहुत कीमत चुकानी पड़ी है| केरल की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कन्नूर जिले के पिनाराई के निकट स्थित परप्रम में हुई थी| इसलिए यह जिला अब भी संघर्ष की जड़ बना हुआ है| सीपीएम का अस्तित्व वहां बरकरार है|

संघ एवं उसके परिवार के संगठनों को इसकी बहुत कीमत चुकानी पड़ी और बलिदान देना पड़ा| पहिला बलिदान २८ अप्रैल १९६९ को थालसेरी में श्री वडक्क्ल रामकृष्णन का हुआ था| रामकृष्णन दलित था, यादव युवक था| तीन माह पूर्व ही उसका विवाह हुआ था| वह तो एक गरीब दर्जी था| उसकी मार्क्सवादियों ने हत्या कर दी| थालसेरी कस्बे में चार दिशाओं से मार्क्सवादियों ने जुलूस निकाले| एक का नेतृत्व वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने, दूसरे का नेतृत्व विधायक राजू मास्टर ने किया था, जो माकपा के वर्तमान राज्य सचिव कोडियेरी बालकृष्णन के ससुर हैं| उन्होंने खुलेआम घोषणा की थी कि वे रा.स्व.संघ एवं भारतीय जनसंघ के कार्यों को वहां वे बिल्कुल चलने नहीं देंगे| सभी मोर्चे वडिक्क्ल चौराहे पर इकट्ठे हुए और उन्होंने रामकृष्णन की चाकू घोंप कर हत्या कर दी| पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया| पहले नम्बर के आरोपी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हैं, दूसरे नम्बर के आरोपी राजू मास्टर एवं अन्य तीन हैं| आप इसकी कल्पना कर सकते हैं कि केरल की पहली राजनीतिक हत्या के पहले नम्बर का आरोपी राज्य का मुख्यमंत्री बन गया है| रामकृष्णन की जिस मनोवृत्ति से हत्या की गई वही मनोवृत्ति मुख्यमंत्री में अब भी कायम है|

कन्नूर के संघर्ष में अब तक अम्मू अम्मा नामक ७४ वर्षीय मां के साथ ८४ स्वयंसेवक मारे गए हैं| पूरे राज्य में मारे जाने वाले लोगों की संख्या २७० है| कन्नूर में सीपीएम के गुंड़ों की मार केवल संघ एवं राष्ट्रीय संगठनों पर ही नहीं पड़ी, अन्य को भी इसका झटका पड़ा है| कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत कुल ४६ कार्यकर्ताओं की मार्क्सवादियों ने हत्या कर दी| इसके अलावा आईयूएमएल के ७ एवं एसडीपीआई के २ कार्यकर्ताओं को भी मार डाला गया| यह भी आश्‍चर्यजनक है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य मुझक्कुनू दामोदरन की भी मार्क्सवादियों ने हत्या कर दी| पूरे कन्नूर जिले में एवं गैर-मार्क्सवादी संगठनों पर मार्क्सवादियों ने हमले किए हैं|

कन्नूर जिले में केवल शारीरिक हमले ही नहीं हो रहे हैं| अपना शासन कायम रखने के लिए मार्क्सवादी योजनाबद्ध तरीके से ये हमले कर रहे हैं| कन्नूर माकपा तो गुंड़ों का गिरोह ही है, वहां साजिशें चलती रहती हैं| वे अपने सदस्यों की किसी भूल को भी माफ नहीं करते, अपने राजनीतिक विरोधियों में डर पैदा करते हैं; ताकि उन्हें चुनौती देने की कोई जुर्रत न कर सके| मार्क्सवादियों का काम तो डी कम्पनी (दाऊद गिरोह) जैसा चलता है| वे राजनीतिक विरोधियों को कभी नहीं छोड़ते, अपने सदस्यों को भी कभी माफी नहीं देते, गांवों एवं कॉलेज परिसरों में राजनीतिक विरोधियों को शांत करने की व्यवस्था उन्हें बना रखी है| संवेदनशील पुलिस थानों में माकपा के पक्षधर पुलिस वाले तैनात हैं| माकपा नियंत्रित पुलिस संगठनों के जरिए इन पुलिस वालों नियंत्रित किया जाता है| पुलिस अधिकारियों को पार्टी के हुक्मों का पालन करना पड़ता है| यह तो यूडीएफ के शासन के दौरान भी होता था| ये अधिकारी रा.स्व.संघ एवं भाजपा कार्यकर्ताओं से सम्बंधित मामलों की तफ्तीश आसानी से कमजोर कर डालते हैं| यही क्यों, वे छोटे-मोटे मामलों में संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं को आरोपी बना देते हैं और यह कोशिश करते हैं कि ये मामले उनके खिलाफ लम्बे समय तक चलते रहे; ताकि उन्हें मानसिक परेशानी हो|

संघ कार्यकताओं के मकानों एवं मूल्यवान सम्पत्ति पर हमेशा माकपा के गुंड़ों के हमले होते रहते हैं| उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है| यहां तक कि घर के पालतू जानवरों को भी नहीं बख्शा जाता| अब तक ३०० से अधिक स्वयंसेवक एवं समर्थक इन राजनीतिक हमलों में गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनमें से ५० से अधिक लोगों के कोई न कोई अंग काटे जा चुके हैं और इस त्रासदी को अब वे जीवनभर के लिए भोग रहे हैं| कई को अपना घरबार छोड़ कर खाड़ी देशों में नौकरी के नाम पर आश्रय लेना पड़ रहा है|

सभी सरकारी कार्यालयों पर मार्क्सवादियों का कब्जा है और अदालतों को छोड़ दिया जाए तो पूरा प्रशासन ही माकपा के कब्जे में ही आ गया है| लेकिन अदालतें भी असहाय हो जाती हैं क्योंकि मामलों की जांच माकपा नेताओं के निर्देशों के अनुसार ही की जाती हैं| जिले के महाविद्यालय परिसर माकपा गुंड़ों के प्रयोग स्थल हैं, यही हिंसा की पहली शिक्षा दी जाती है और अन्य संगठनों के प्रति अनादर की बात सिखाई हजाती है| उल्लेखनीय है कि एसएफआई इन दिनों राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को पनाह देने वाला संगठन बन गया है| यह समझना होगा कि जेएनयू की घटना के बहुत समर्थक नहीं थे, केवल एफएसआई प्रभाव वाले परिसरों से ही समर्थन आया|

राष्ट्रीय विचारधारा को बढ़ते समर्थन और उसकी बढ़ती व्यापकता के कारण माकपा अब राष्ट्रीय प्रतिमानों का अपमान करने पर तुली हुई है| पिछले दो वर्षों में वे कृष्ण जयंती समारोह को रोकने की वे कोशिश कर रहे हैं| लेकिन पूरे केरल एवं कन्नूर जिले में इस समारोह को बहुत बड़ी सफलता मिली है|

इन अवरोधों के बावजूद हमारी यात्रा निरंतर जारी है| हमारा मानना है कि इस धरती पर इस तरह के अत्याचारों एवं हिंसा को कोई जगह नहीं है| संघ को पंजाब, पूर्वोत्तर राज्यों, तमिलनाडु, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में बहुत कष्ट झेलने पड़े हैं और बलिदान देना पड़ा है| लेकिन १९४९ से आरंभ ऐसी हिंसा कहीं नहीं हुई, जो आज भी जारी है| लोगों का संघ पर विश्‍वास बढ़ा है, गांव बदल रहे हैं, शाखाओं का विस्तार हो रहा है, और नए राष्ट्रीय नेतृत्व की लहरें यहां गहराई से अनुभव की जा रही हैं| कन्नूर के स्वयंसेवक अपनी विचारधारा के बल पर मार्क्सवादियों के नासूर को उसके जन्मस्थान कन्नूर से ही खत्म कर देने के प्रति कटिबद्ध हैं|

 

एड. जयप्रकाश

Next Post
संघ का सेवाकार्य और कम्युनिस्टों का हिंसाचार

संघ का सेवाकार्य और कम्युनिस्टों का हिंसाचार

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0