हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
होली में होला

होली में होला

by राजेश विक्रांत
in मार्च २०१८, सामाजिक
0

शिव बूटी ने इतनी मेहरबानियां कर दीं कि होली का होला हो गया| पत्नी ने भंगेड़ी का खिताब दिया सो अलग| अब क्या था, मौन की मच्छरदानी ताने अगली होली की प्रतीक्षा में जुट गए|

चारों तरफ होली का माहौल है| मस्ती छाई हुई है| कहीं होली है तो कहीं होला भी हो रहा है| होली के हीरो हैं नटखट नंदकिशोर और हीरोइन कमसिन, कमनीय, चुलबुली बाला राधा| यह पर्व बसंतोत्सव व मदनोत्सव के बाद रंगोत्सव हुआ है| पाठकों के सूचनार्थ अर्ज है कि होली बहुत प्राचीन पर्व है, इसका प्रारंभिक नाम होलाका था| मेरा निष्पक्ष आकलन यह भी है कि होली उन २० परम लोकप्रिय क्रीड़ाओं में एक थी जो पूरे हिन्दुस्थान में खुला खेल फरुखाबादी की तरह खेली जाती थी|

भविष्योत्तर पुराण, गर्ग संहिता, लिंग पुराण, वराह पुराण, कामसूत्र, स्मृति पुराण, ऋतु संहार, रघुवंश, अभिज्ञान शाकुंतलम्, वसंत विलास आदि पौराणिक व प्राचीन साहित्यिक ग्रंथों में अंगद के पांव की तरह यह पर्व विराजमान है| इसे कामदेव को खुश करने के लिए मनाया जाता है इसलिए हर होली में हम हिंदुस्तानियों के कामदेव इतना जाग जाते हैं कि वे रामदेव से भी शांत नहीं होते|

कामदेव से डायरेक्ट लिंक रखने वाली होली आदिम उत्सव है जो ऋतु मंगल की भावना से प्रकृति के प्रति साहचर्य का भाव व्यक्त करने के लिए मनाई जाती है| इसलिए जानकारों का कहना है कि कामदेव की पूजा करने वालों को चंदनलेप से मिश्रित आम्र बौर खाना चाहिए ताकि पूजा में सहभागिनी का मन कुछ दिनों के बाद कच्चा आम खाने को कहने लगे| एक अन्य परंपरा के अनुसार होली का आयोजन विष्णु भक्ति को हिट और विष्णु विरोधियों को फ्लॉप करने के लिए भी किया जाता है| पर हमारे देश का आम आदमी जैसी सुंदर होली खेलने की कोशिश में रहता है उसमें अंग भंग या देह के दो अध्याय होने की संभावना भी बराबर रहती है| पर दिल है कि मानता नहीं| मन है कि रुकता नहीं| आत्मा है कि थमती नहीं|  हम हवाला तो खेल नहीं पाते इसलिए होली खेलते हैं| और जमकर खेलते हैं| होली के दिन रंग या कीचड़ भरी पिचकारी लेकर मौका पाते ही एक दूसरे पर ऐसे टूट पड़ते हैं जैसे आज की पुलिस बेगुनाहों पर टूट पड़ती है|

एक बार अपुन की होली का भी होला हो चुका है| तब खूब तबियत से होला हुआ था| दरअसल, मेरे एक मित्र कई सालों से होली मिलन का आयोजन करते हैं| उसमें हर तरह के लोग आते हैं| लालू टाइप नेता, जेलोच्छुक महात्मा, हर समय, हर ओर से खुली रहने वाली देवियां, उजले कलफ लगे कपड़ों में सजे समाजसेवी, अपने शरीर को प्राकृतिक अवस्था में दिखाने को प्रतिबद्ध ललनाएं, सरकार की आय कर नीति को मुंह चिढ़ाते उद्योगपति समेत इन सभी महत्वपूर्ण हंसों की भीड़ में मेरे सरीखे कांव कांव करते कौवे भी उसमें नियमित रूप से जाते हैं| उस कार्यक्रम में खाने के साथ शिव बूटी मिश्रित ठंडाई रूपी पान का भी भरपूर इंतजाम रहता है|

शिव बूटी उर्फ भंग रानी के बगैर क्या होली? पर उस साल ठंडाई में शिव बूटी की मेहरबानियां कुछ ज्यादा हो गई थीं| हमें तो यह पता नहीं था| हम तो सदा सर्वदा माले मुफ्त दिले बेरहम पर चलने वाले| हम क्या जानें दिल पर नियंत्रण| बस, हम तो कार्यक्रम में पहुंचते ही विक्रमादित्य के बेताल की भांति प्रारंभ हुए और चार गिलास ठंडाई चढ़ा गए| फिर होली की मस्ती में डूबने का प्रयास करने लगे| उस समय मुझे यही ध्यान रहा कि होली एक ऐसा पर्व है जिसमें जन सामान्य को एक दिन के लिए राजनीति की कीचड, महलों के रंग, झोपड़ों की खुशबू, कारखानों की आग, दफ्तरों का माहौल, घोटालों के स्नेह, सज्जनता की सीख और कुलीनता की गाली खेलने का अवसर मिलता है|

शिव बूटी पान से हमने इस मौके का भरपूर फायदा उठाना चाहा पर हालत वह हो गई जिसे कहते हैं कि गए थे रोजे बख्शवाने  नमाज गले पड़ गई| रात १० बजे के करीब वहां से चलने की सोची तो अपना जूता गायब पाया| अपुन परेशानी के माउंट एवरेस्ट पर पहुंच गए| ५०० रुपए के जूते, जो अब तक तकरीबन नया नकोरा ही था क्योंकि उसे अब तक किसी को खिला नहीं पाया था, के शहीद होने का शोक प्रस्ताव पारित करते समय हमारे मन में दिव्य ख्याल आया कि अपुन भी किसी दूसरे की चरण पादुकाएं गुप्त कर हिसाब किताब बराबर कर दें| कार्य हालांकि बेहद खतरे भरा था क्योंकि हम कई बार जूता चोरों को बाजार भाव में पिटते हुए देख चुके थे|

बहरहाल, मरता क्या न करता| हिम्मत जुटा कर थोड़ा कथकली भरतनाट्यम् किया, चारों तरफ नजर दौड़ाई| कुछ दूर पर एक जोड़ी जूते हमें दिखे| उन्हें देख कर हम डी सी करेंट की भांति उछले| हमें अपनी मंजिल मिल गई थी| हम लालू की तरह चौकन्नी नजर रखते हुए जूता नामक वस्तु के पास पहुंच कर उसे पहनने लगे| काफी समय और मेहनतोपरांत उसे पहन पाए| चलते समय ऐसा लग रहा था कि दोनों चरण कमलों का तापमान शून्य से नीचे उतर रहा है| किसी दूसरे का जूता पहन कर चलने में बहुत तकलीफ हो रही थी| पर आश्चर्य, महान आश्चर्य!! हम दस पंद्रह कदम चले तो मेरे  दिमाग में सहसा विस्फोट हुआ कि यह जूता तो अपना ही है| जी हां, शिव बूटी ने अपना करिश्मा दिखा ही दिया था| उसके बाद कुछ दूर पैदल चले| एक बार नाली में गिरते गिरते बचे| घर जाने के लिए ऑटो में बैठे तो उसने हमें टुन्न जानकर चूना लगा दिया| तीन चार बसों में चढ़ नहीं पाए| कानी के व्याह को सौ जोखिम होते ही हैं| काफी समय और धन व्यय के बाद घर पहुंचे तो पत्नी ने भंगेड़ी का खिताब दे दिया| गलती हमारी थी| हम कुछ न बोले| इस होली का तो होला हो चुका था| मौन की मच्छरदानी ताने अगली होली की प्रतीक्षा में जुट गए|

राजेश विक्रांत

Next Post
अगर जंग लाजिमी है तो जंग ही सही

अगर जंग लाजिमी है तो जंग ही सही

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0