हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
क्या स्वर्ण युग फिर आएगा?

क्या स्वर्ण युग फिर आएगा?

by हिंदी विवेक
in आर्य समाज विचार दर्शन विशेषांक २०१९
0

जिन दिन देखे वे कुसुम गर सो बीति बहार,
अब अलिद ही गुलाब में अपत कटीली डार।

वह बहार बीत गई जब, गुलाब के फूलों की सुंदर शोभा दिखाई देती थी। अब तो गुलाब में बिना पत्तों के, कांटों की डालियां दिखाई दे रही हैं।

व्यंजना के प्रतिभाशाली कवि बिहारी की ये पंक्तियां कांग्रेस के सूखे मुर्झाये बगीचे से निकल कर आर्य समाज के हरे-हरे लहलहाते भीनी सुगंध से महकते हुए उपवन में प्रवेश कर गई क्या? आज से 143 वर्ष पूर्व वेद वाटिका के चतुर माली भगवान दयानंदजी महाराज ने अपने रक्त और पसीने से इसे सींचा था। जो लोग चिरकाल से वैदिक धर्म के सत्य सिद्धांतों से दूर चले गए थे, उनके मस्तक पर केसरिया पगड़ी, हाथ में ओम् का झंडा, मुंह से ‘जग विच घुम्मा पइयां दयानंद होरियां’ की गूंज सुनाई देने लगी।

आर्य समाज के अधिकारी, सदस्य, उपदेशक, भजनीक, कुमार सभा, महिला समाज, प्रत्येक की वाणी पर आर्य समाज, दयानंद की गूंज थी। आर्य समाज घरोंडा (हरियाणा) में मेरे भाषण हो रहे थे। स्व.श्यामलालजी भजनीक भजन गा रहे थे कि ईसाई पादरी ने प्रश्न आरंभ कर दिए। मैं उत्तर देने खड़ा हुआ तो मुझे रोक कर भजनीक महादेव उत्तर देने लगे। पैंतालीस मिनट में पादरी को परास्त कर दिया। युक्तियां सुन कर मैं आश्चर्य में पड़ गया। भजनीक महोदय का उत्तर था, ‘मैं आर्य समाज को पढ़ कर उसका प्रचार करने आया हूं, केवल भजन गाने नहीं आया। आर्य समाज सींख (करनाल) के उत्सव में मुसलमानों से शास्त्रार्थ नियत हो गया। देहलवीजी, धर्म भिक्षुजी दूसरे दिन पहुंच सके। प्रथम दिन शास्त्रार्थ का समय हो गया। पंडाल खचाखच भरा था। मैं शास्त्रार्थ करने को तैयार हुआ। पंडाल के बाहर पुस्तक विक्रेता श्रद्धा के योग्य मास्टर लक्ष्मणजी से सभापति बनने को कहा। अपने कुरान हदिसे आदि लेकर आना, वे बोलें मैं शास्त्रार्थ करूंगा, आप प्रधान बनिए। मास्टरजी ने मौलवियों के झुंड के दांत खट्टे कर दिए। भटिंडा (पंजाब) में सनातन धर्म के उत्सव में सर्व धर्म सम्मेलन रखा गया। आर्य समाज की ओर से मैं बोलने लगा। विषय था, “मेरा धर्म मुझे क्यों प्यारा है?” आर्य समाज के मंत्री मुझ से बोले, “मैंने वक्त जरूरत के लिए और अपनी हौसला अफजाई के लिए आपको बुलाया है, किंतु सम्मेलन में मैं ही बोलूंगा।” मैंने रोकते हुए कहा, “सनातन धर्म का तो उत्सव है, अच्छे विद्वान आए हैं। मौलवी, पादरी, सिख, जैनी तैयारी करके आएंगे, आप क्या बोलेंगे।” आर्य समाज की बारी आई, मंत्रीजी बोले, ‘आर्य जगत के उच्च कोटि के विद्वान पं. राम दयालुजी शास्त्री बोलने के लिए आए हुए हैं। सब मजहबों के पेशेवर लोग बोल रहे हैं, परंतु आर्य समाज का मंत्री, आर्य समाज का दीवाना बोल रहा है कि मेरा धर्म मुझे क्यों प्यारा है।’ एक एक अक्षर हृदय से निकल रहा था, लोगों ने तालियां बजाईं। सनातन धर्म संस्कृत विद्यालय मुलतान में महामहोपाध्याय पं. गिरिधर शर्मा ने व्याख्यान में महर्षि और आर्य समाज पर कटाक्ष किए। आर्य समाजी लोग इकट्ठे होकर मेरे पास आए, पहिले पत्र लिखकर भेजा, पीछे पुस्तकों का ट्रंक लेकर मेरे साथ पहुंच गए, कितना उत्साह था। अलीगढ़ में श्री विनोबा भावे का भाषण एक विद्यालय में हो रहा था। आर्य समाज के मंत्री आदि के साथ गीता प्रवचन पर चैलेंज मैंने दे दिया कि आपने मांस खाने का आरोप ऋषियों पर कैसे लगाया है, सिद्ध करिए।
श्रद्धा की पराकाष्ठा
पानीपत में पौराणिक पंडितों ने विष वमन किया। आचार्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के आदेश से जब मैं पहुंचा तो पौराणिक पंडित चले गए थे। आर्य सदस्यों ने कहा कि उनके आक्षेपों को हम नोट करके लाए हैं, चार-पांच दिन में भाषणों द्वारा उनका उत्तर जनता में दीजिए। अतिथि सत्कार के दिन नियत थे। लोहे के व्यापारी एक सदस्य की बारी थी। आर्य समाज में मुझे देख कर मेरे पास आए, मैं एक घनिष्ठ परिचित सदस्य के पास बैठा था। थोड़ी देर बाद लड़ाई होने लगी, शब्द थे, ‘जब भोजन की बारी मेरे घर हैं, तो आपने भोजन का प्रबंध कैसे किया है?’ मैं अंतरंग सभा में पेश करूंगा और शास्त्रीजी को आपके घर भोजन के लिए नहीं जाने दूंगा, यह अन्याय है। आर्य समाज सालबन (करनाल) के प्रधान चौ. शृंगार सिंह जी प्रत्येक विषय पर भाषण और प्रत्येक मतावलंबी से शास्त्रार्थ और शंका समाधान कर सकते थे। मैंने उनसे पूछा, ‘आप उत्सव की तिथियां लिख भेजते हैं। यह नहीं लिखते कि कौन कौन से उपदेशक भेजे जाए।’ कहने लगे, ‘सभी उपदेशक हम से अधिक विद्वान हैं, जो पुराने उपदेशक हैं उनके ज्ञान और चरित्र को हम जानते हैं, हम उनको अधिक पसंद करते हैं। नए उपदेशक का क्या पता लगता है।’ हमने कहा, ‘उत्सव में जब एक उपदेशक अपना भाषण समाप्त कर लेता तब दूसरे का भजन या उपदेश जैसा अवसर होता। आप प्रोग्राम नहीं बनाते, समय निर्धारित नहीं करते।’ चौधरी जी बोले, ‘जब एक उपदेशक अपना विषय समाप्त नहीं कर पाया तो बीच में रोकना या समय की पाबंदी लगाने से क्या हित होगा, आखिर दूसरा उपदेशक भी तो व्याख्यान ही देगा।’ एक व्यक्ति को अपना विषय पूर्ण रूप से जनता के सामने रखने देना चाहिए। भजन बहुत कम कराते थे। हंसाने वाले गपोडों को न समय देते और न बुलाते थे। चौधरी जी को पता चला एक सदस्य धूम्रपान करता है, तुरंत सदस्यता से पृथक कर दिया।
जीवन और लगन
एक आर्य समाज का निर्वाचन मेरी उपस्थिति में हो रहा था। एक अत्यंत दानी, स्वाध्यायशील व्यक्ति के लिए मैंने प्रधान बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने इंकार करते हुए कहा, ‘शराब का ठेका कुछ बुरे हाथों में रहा था, लोगों के आग्रह पर मैंने ले लिया। मैं शराब को हाथ तो नहीं लगाता किंतु ठेका तो मेरी पास है। मैं तो अंतरग सदस्य भी नहीं बनूंगा। साधारण सदस्य रहूंगा।’ साप्ताहिक अधिवेशनों में वकील, डॉक्टर, जज, प्रोफेसर, प्रिंसिपल, अध्यापक मिल कर भजन गाते, बारी बारी से संध्या, प्रार्थना कराते थे। वार्षिकोत्सवों में पुरुष केसरी पगड़ी, देवियां केसरिया दुपट्टे पहन कर, चिमटा ढोलकी बजाते, ‘दयानंद के वीर सैनिक बनेंगे’ की धुन में विभोर होते जाते थे। गुरुकुलों के अधिष्ठाता, अध्यापक, कॉलेजों के प्रोफेसर, प्रतिनिधि सभाओं के अधिकारी अवकाश के दिनों में उत्सवों पर जाते थे। गुरुकुल का नाम लेते ही मुंह मीठा हो जाता था। ब्रह्मचारियों को देखकर नेत्र, हृदय शीतल हो जाते थे, विद्यालयों की दीवारों से सुगंध आती थी। सब तरफ बसंत की बहारें थीं। कोई मतावलंबी प्रचार करता वहीं आर्य समाजी पहुंच जाते, बातें नोट करते, शंका समाधान करते, चैलेंज देते। उपदेशक बुला कर जवाब देने का आयोजन करते, एक हलचल मचा देते थे। अब राधास्वामी, निरंकारी, ब्रह्मकुमारी, हेमराजी, आनंदमार्गी, हंसामत, दादुपंथी, कबीरपंथी, नानकपंथी, अहं ब्रह्मास्मि, साईबाबा अनेकों ही आर्य समाज के कानों पर डंका बजा रहे हैं। जवान लड़कियां दुर्गाभवानी बन कर जयमाता जागरण वाम मार्ग फैला रही है। योगाभ्यास के ढोंगी शिविर लगा रहे हैं। वेदांत सम्मेलन के नाम पर जनता की श्रद्धा भूमि पर डाका पड़ रहा है। नमस्ते के स्थान पर नमस्कार निर्बाध फैल रहा है। परंतु आर्य समाज के अधिवेशनों में उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर हो रहे हैं।
डी.ए.वी. कॉलेज स्थापना दिवस के उत्सव में कराची के मुसलमान मेयर ने कहा था, ‘सारा इस्लाम महात्मा हंसराज जैसा त्यागी तपस्वी आदमी पैदा नहीं कर सका।’ महात्मा गांधी ने स्व. श्रद्धानंद जी के चरण छुए थे। श्री एण्ड्रुज ने कहा, “दुनिया में जहां भी प्रकाश है, आर्य समाज का दिया हुआ है।” महर्षि ने जिनका खंडन किया था, वे गौमांस भक्षक, शराबी, भ्रष्टाचारी लोग, दीक्षांत भाषण, उद्घाटन, आधारशिला अध्यक्षता, आर्य समाज के आयोजनों में करते हैं। उनके गले में माला, हाथों में अभिनंदन, प्रशस्ति पत्र दिए जाते हैं। वास्तव में उलटी गंगा बहने वाली कहावत समझ में नहीं आई थी। कुमारिल भट्ट “कुणवंतों विश्वमार्यम्” का नारा लगाते हुए अग्नि की भेंट हो गए थे। शंकराचार्य ने संसार त्याग दिया था। महर्षि दयानंद जी ने विष के प्याले पीये थे। एंड्रुज महोदय ने कहा था, “ मैं भारत में गुरु बन कर आया था किन्तु मैं अनुभव करता हूं कि मुझ में भारत का शिष्य बनने की भी योग्यता नहीं है।” आर्य समाज की वेदी से सुनाया जाता है कि तक्षशिला के लंगोट-बंद आचार्य के मस्तक पर छाता तान कर भारत का सम्राट चलता था तो हृदय उमड़ कर आंखों में जाता है। आर्य समाज तूफान बन कर उठा था, प्रत्येक के मन मस्तिक पर छा गया था, हमारे गौरव को किसने नहीं जाना था। किन्तु हम गुबार देखते रहे और कारवां गुजर गया।

हिंदी विवेक

Next Post
राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत  भारत रत्न नानाजी देशमुख

राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0