हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
गोवा में हिंदू स्मृति का जागरण

गोवा में हिंदू स्मृति का जागरण

by तरुण विजय
in मई २०१९
0

“यह केवल एक नए वर्ष का कार्यक्रम नहीं…  यह हिंदू वीरता, विजय तथा उन बलिदानी महापुरूषों के स्मरण का भी दिन बना जिनके शौर्य, तप और बलिदान से हिंदू आज इस स्थिति तक पहुंचे कि उन्हें अपने मंदिर छुपाकर जंगलों में बनाने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही अब हिंदुओं पर कोई अत्याचार करने का साहस तक कर सकता है।

गोवा में गुढ़ी पाड़वा उत्सव अर्थात नूतन विक्रमी संवत् 2076 का आरंभ एक विशाल समारोह से हुआ। हजारों लोग सुबह चार बजे उठे। हिंदू स्त्रियों नेे मंदिर जाने वाले विशेष परिधान पहने, थालियों में दीपक सजाए तो सौ से अधिक युवतियों ने केसरिया पगड़ियां और अश्वारोही की तरह कसी हुई साड़ियां पहन सौ मोटर साइकिलों पर भगवा ध्वज के साथ सवारी संभाली।  युवकों ने भगवा ध्वज के साथ नगर संकीर्तन और जय भवानी, जय शिवाजी तथा भारत माता की जय के नारे लगाए। मैं इस समारोह के मुख्य अतिथि के नाते आमंत्रित था। और जो आंखें देख रही थीं उस पर सहज विश्वास नहीं हो रहा था।

देर तक सोने वाले अलसाई सुबहों के लिए प्रसिद्ध गोवा में सूर्योदय से पूर्व नगर के प्रमुख देवालय श्री रूद्र मंदिर में पूजन-अर्चन और उसके बाद नगर से शोभा यात्रा निकालते हुए एक मैदान में एकत्रित हुए जहां भव्य मंच पर भारत माता के चित्र के साथ आर्यभट्ट और भारत की उपग्रह शक्ति के नवीनतम चित्र अंकित थे।

क्या यह गोवा वही गोवा था, जिसके बारे में आमतौर पर लोग बस यूं ही कह देते हैं – ओ हो! गोवा यानी पूर्व का रोम? जहां सेंट जेवियर का बेसिलिका है और पश्चिमी धुनों पर थिरकते गायकों का कार्निवाल होता है? गोवा के बारे में यही आम धारणा आज भी देखने को मिलती है कि इस छोटे से प्रदेश में पुर्तगाली असर वाली ईसाई संस्कृति की ही मुख्य धारा है। जबकि सत्य यह है कि 450 वर्ष लगातार पुर्तगालियों के बर्बर और अमानुषिक हिंदू विरोधी राज्य को झेलने के बाद भी हिंदुओं ने अपन्ने धर्म को बचाए रखा और आज वहां पैंसठ प्रतिशत हिंदू विद्यमान हैं। हिंदुओं ने अपनी धर्म रक्षा के लिए सर कटाए, इंक्वीजिशन की सता-सताकर शरीर की चमड़ी गलाकर धीमी आंच पर तपाकर दी जाने वाली मृत्यु स्वीकार की, सागर तट से अपने मंदिर भीतर के सुरक्षित जंगलों में ले गए पर धर्म की अग्नि को खत्म नहीं होने दिया। हिंदुओं के मंदिर तोड़े गए, उन पर चर्च बनाए गए।  हिंदुओं ने वह सब देखा और भोगा। उन्हें गणेश पूजन तक की अनुमति नहीं थी। हिंदुओं ने गणेश जी की मूर्ति की बजाए उनके चित्र घर में लगाकर गणेश चतुर्थी मनानी शुरू की। गोवा के अधिकांश ईसाई ब्राह्मण हिंदुओं से ही धर्मांतरित बताए जाते हैं।  पर गोवा की मानसिकता ऐसी बना दी गई मानो गोवा में पुर्तगालियों का 450 साल का शासन उदार और प्रजा वत्सल था। किसी भी पाठ्यक्रम में आज तक हिंदुओं पर अत्याचार का विषय पढ़ाया ही नहीं गया।

स्मृतिलोप हिंदुओं की पहली विशेषता होती है।

गोवा भी उससे अछूता नहीं रहा। इस स्थिति को तोड़ा और बदला पणजी से कुछ किलोमीटर दूर म्हापसा नगर के हिंदू कार्यकत्र्ताओं ने। उन्होंने गुढ़ी पाड़वा जो अभी तक सब घरों में व्यक्तिगत उत्सव की तरह मनाते थे, को उसी प्रकार सार्वजनिक उत्सव का रूप दे दिया जैसे कभी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी को दिया था। कुछ वर्षों में यह आयोजन न केवल म्हापसा नगर का सर्वप्रमुख एवं अत्यंत लोकप्रिय कार्यक्रम बन गया बल्कि इसी प्रकार के आयोजन अन्य नगरों में भी फैलने लग गए।

यह केवल एक नए वर्ष का कार्यक्रम नहीं जिसमें रंगारंग सांस्कृतिक छटा बिखरती हो, यह हिंदू वीरता, विजय तथा उन बलिदानी महापुरूषों के स्मरण का भी दिन बना जिनके शौर्य, तप और बलिदान से हिंदू आज इस स्थिति तक पहुंचे कि उन्हें अपने मंदिर छुपाकर जंगलों में बनाने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही अब हिंदुओं पर कोई अत्याचार करने का साहस तक कर सकता है। संघ के स्वयंसेवक गिरीश बरणे और संजीव वालावरकर जैसे सैंकड़ों कार्यकर्ता एक टीम के नाते जुटे। महत्वपूर्ण बात थी कि इस प्रकार के आयोजन का सार्वजनिक श्रीगणेश हुआ। पर उससे भी महत्वपूर्ण बात यह हुई कि पिछले सोलह सालों से इसकी निरंतरता लगातार बनी ही नहीं रही बल्कि उसमें लगातार वृद्धि भी होती गई।

और इसमें क्या स्मरण किया जाता है?

इस आयोजन में छत्रपति शिवाजी का हिंदवी स्वराज्य, अफज़ल खां जैसे असुरों का वध, औरंगजेब के हाथों गुरू तेग बहादुर जैसे महापुरूषों की भाई मतिदास और भाई सतीदास के साथ शहादत, गुरू गोविंद सिंह जी के वीर साहिबजादों का बलिदान, शिवाजी के बेटे संभाजी पर औरंगजेब के अत्याचार और मुसलमान बनने के लिए उन पर दबाव डालना पर संभाजी का अपने धर्म पर दृढ़ रहना और गोवा में 450 वर्ष तक पुर्तगालियों द्वारा किए गए अत्याचार तथा उनके समक्ष हिंदू दृढ़ता और वीरता के प्रेरक उदाहरण।

जो बातें नई पीढ़ी के मानस से धीरे-धीरे लुप्त हो रही थीं तथा हिंदुओं की नई पीढ़ी केवल विदेशियों के प्रति ही कृतज्ञ भाव से खड़ी दिखने लगी थी उन्हें अपने उन पुरखों से परिचित कराने का यह अनुष्ठान देश का एक प्रतिष्ठित और प्रेरक समारोह बना है जो स्मृति जागरण कराता है।

स्मृति के बिना मनुष्य, समाज और राष्ट्र तीनों मृत हो जाते हैं। विदेशी आक्रांता सबसे पहले अपनी शासित प्रजा की स्मृति मिटाने अथवा उसे भ्रमित करने का प्रयास करता है ताकि उसके राज्य का काला पक्ष शनै: शनै: भुला दिया जाए। म्हापसा की गुढ़ी पाड़वा आयोजन समिति ने विदेशी औपनिवेशिक शत्रुओं के षड़यंत्र को विफल करने का स्मृति जागरण अभियान प्रारम्भ किया। विश्व के महानतम देश अपने विद्यालयों में देश के सैनिक तथा स्मृति के प्रहरी निर्मित करते हैं।  स्वतंत्र भारत में स्मृति का विलोप करने वाले लोग तो आए जिन्होंने विभिन्न सत्ताधिष्ठान संभाले लेकिन बाल्यकाल से किसी भी विद्यालय में ऐसे पाठ्यक्रम नहीं प्रारम्भ किए गए जिनमें भारत राष्ट्र में जन्मे धर्मों के विरूद्ध विदेशी आततायी आक्रमणकारियों और उसका हिंदू वीरों द्वारा किए गए गौरवशाली प्रतिरोध का जिक्र तक हो।

गोवा में गुढ़ी पाड़वा के माध्यम से स्मृति जागरण का पर्व वास्तव में देश के हर गांव,गली-कूचे के धार्मिक-सांस्कृतिक संगठनों द्वारा अपनाया जाना चाहिए।

 

तरुण विजय

Next Post
जेट की बदहाल लैंडिंग

जेट की बदहाल लैंडिंग

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0