हिमालयी राज्यों में फिर खिलेगा कमल
हिमालची अंचल के तीन राज्यों- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर- में 2014 की तरह मोदी लहर दिखाई दे रही है और इक्कादुक्का सीटें छोड़ दी जाए तो बाकी जगह कमल का फिर से खिलना लगभग तय है।
हिमालची अंचल के तीन राज्यों- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर- में 2014 की तरह मोदी लहर दिखाई दे रही है और इक्कादुक्का सीटें छोड़ दी जाए तो बाकी जगह कमल का फिर से खिलना लगभग तय है।
शाम रामचंद्र देशपांडे अर्थात शामराव बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। उनकी सदाबहार आवाज में संघ-गीत सुनना अविस्मरणीय अनुभव हुआ करता था। विवेक से उनका आजीवन संबंध बना रहा।
बचपन जीवन की नींव है , अतः नींव को मजबूत बनाने के लिए माता- पिता की भूमिका बहुत ही अहम है। माता-पिता को अनुशासन और कठोर अनुशासन के बीच के रेखा को बनाए रखते हुए बच्चों को व्यस्त रखना अति आवश्यक है जिससे उनकी शक्तियों, योग्यताओं, क्षमताओं का सही विकास हो सके।
गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। जाहिर सी बात है, कि सब ने अपने-अपने हिसाब से वीसड़ी स्थानों पर जाने की योजना बनाई होगी। कुछ ने रिश्तेदारों के घर जाना तय किया होगा, तो कुछ ने किन्हीं क्लासेस में जाने की सोच रखी होगी। ये सब तो हो गई हर गर्मी की छुट्टी में की जाने वाली सामान्य तैयारियां।
जेट के सर्वेसर्वा नरेश गोयल ने बाजार पर गौर नहीं किया। गलत निवेश करते रहे और खर्च चलाने के लिए कर्ज लेते रहे। इस स्थिति में कम्पनी का पतन तो होना ही था। मुश्किल में फंसे जेट के बीस हजार कर्मचारी, जो रातोंरात बेरोजगार हो गए।
“यह केवल एक नए वर्ष का कार्यक्रम नहीं... यह हिंदू वीरता, विजय तथा उन बलिदानी महापुरूषों के स्मरण का भी दिन बना जिनके शौर्य, तप और बलिदान से हिंदू आज इस स्थिति तक पहुंचे कि उन्हें अपने मंदिर छुपाकर जंगलों में बनाने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही अब हिंदुओं पर कोई अत्याचार करने का साहस तक कर सकता है।
ग्राम विकास, सेंद्रिय कृषि, गौसंवर्धन, सामाजिक समरसता, मातृभाषा में शिक्षा और स्वदेशी अर्थ व्यवस्था एवं जीवनशैली जैसे महात्मा गांधी जी के प्रिय एवं आग्रह के क्षेत्रों में संघ स्वयंसेवक पूर्ण मनोयोग से सक्रिय हैं। महात्मा गांधी जी की इस वर्ष 150वीं जयंती पर उन्हें आदरांजलि।
“देश को सर्वोपरि मानने वाला, देश के हित में सोचने वाला राजनैतिक समूह केंद्र सरकार की बागड़ोर सम्भाले यही संघ की इच्छा है। संकुचित बातों से ऊपर उठकर देश हित में सोचने वाला राजनैतिक समूह सत्ता में आना चाहिए।”, रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह मा. भैयाजी जोशी ने ‘हिंदी विवेक’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में यह भी कहा, “चुनाव में भाषा और आचरण का संयम होना चाहिए। संवाद के जरिए चर्चा हो और चुनाव खत्म होते ही कटुता भी खत्म हो।” प्रस्तुत है इस बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-
हर मौसम का अपना एक मिजाज होता है और हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि हम भी मौसम के हिसाब से अपना लिबास तय करें। अतः गर्मी में आप क्या पहनना पसंद करेंगे?
दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करने पर उतारू थी, पर खेल नहीं जम पाया। इसलिए वहां अब तिकोना संघर्ष है। उधर हरियाणा में भी कई सीटों के लिए कांटे की टक्कर होगी।
सारे विरोधी, विपक्षी दल मोदी से लड़ रहे हैं। उनकी वापसी रोकने के मुद्दे पर सब एक हैं। भले ही महागठबंधन बनाने के उनके प्रयास निजी स्वार्थ और हितों की भेंट चढ़ गए। बहरहाल, उ.प्र. में बुआ-बबुआ का गठजोड़ नए समीकरण बना रहा है, जबकि बिहार एनडीए को इतनी सीटें देगा कि नया इतिहास रचेगा।
महाराष्ट्र में चार गठबंधन बने हैं- एक- भाजपा-शिवसेना, दो- कांग्रेस-राकांपा, तीन- प्रकाश आंबेडकर व ओवैसी की वंचित बहुजन आघाड़ी और चार- सपा-बसपा।