जी हां, गांधी को समझना हो तो संघ की शाखा में आइए

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गांधी को आज के समय में समझना हो तो संघ के स्वयंसेवक के साथ सेवा बस्तियों में जाइए, शाखा में देशभक्ति के गीत गाइए, संघ प्रेरित गौशालाओं में गौ सेवा करिए, विद्या भारती के विद्यालयों में राष्ट्रभक्ति के उपक्रम देखिए, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं के साथ रहिए, तब गांधी समझ में आ जाएंगे।

सिया राम मय अवनि अम्बर, और अयोध्या धुरी महत्तर

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जिन हिन्दुओं को, जिन भारतीयों को यह क्षण देखने, उसका साक्षी बनने, उसे अनुभव करने का सौभाग्य मिला है उस क्षण के सौभाग्य की तुलना सबके सहस्त्रों वर्षों के पुण्य से हो सकती है। यह भारत माता के प्रति अनन्य भक्ति का पुण्य है।

कोरोना संकट के दौरान मोदी का नेतृत्व अमृतमय अवदान

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नयन बोल नहीं पाते और कलम देख नहीं पाती। वरना जो दृश्य इस स्तंभ को लिखते समय मन में कोलाहल निर्मित कर बैठे, वे कागज पर उतर आते।

कोरोना जैसी विषाक्त है तब्लीगी मानसिकता

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यह वही मानसिकता है जिसके कारण कश्मीर से पांच लाख हिन्दुओं को तड़पा तड़पा कर मारने , स्त्रियों को अपमानित करने के  बाद उनको उनके अपने पुश्तैनी घरों से निकाल दिया गया। 

   मोदी युग सभ्यता मूलक परिवर्तन का संकेत

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   नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की असाधारण और अभूतपूर्व विजय ने भारत ही नहीं विश्व की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। अन्य देशों में ऐसा मौलिक परिवर्तन लाने में सैकड़ों वर्ष और हिंसक क्रांतियों की आवश्यकता हुई थी। भारत की हिंदू सांस्कृतिक धारा ने अंगुली पर तिलक लगाकर भारत को बदलने का आरंभ कर दिया।

गोवा में हिंदू स्मृति का जागरण

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“यह केवल एक नए वर्ष का कार्यक्रम नहीं...  यह हिंदू वीरता, विजय तथा उन बलिदानी महापुरूषों के स्मरण का भी दिन बना जिनके शौर्य, तप और बलिदान से हिंदू आज इस स्थिति तक पहुंचे कि उन्हें अपने मंदिर छुपाकर जंगलों में बनाने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही अब हिंदुओं पर कोई अत्याचार करने का साहस तक कर सकता है।

मनोहर पर्रीकर कुछ अलग ही बिंदास अंदाज

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जिस राजनीति में धन और पद का अहंकार नेता जी की पहली पहचान बन गई है, वहां पर्रीकर एक गजब के अपवाद थे जिनकी सादगी और अपनेपन ने राजनीति के साधक रूप का दर्शन कराया।

अटलजी ने कहा- मेरी आस्था भारत

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अटलजी बस अटल जी थे। अनुपमेय। आज वातावरण में व्याप्त राजनीतिक कलुष में उनकी बातें सबको बहुत याद आती हैं। वे सत्य ही वर्तमान युग के अजातशत्रु थे जिन्होंने भारत की आराधना की। इसीलिए वे कह सके “मेरी आस्था -भारत।”

“अगस्ता अपराधी“-पर्रीकर वादा निभाना

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जीवन में सिर्फ पेन और प्रजा का प्रेम ही चाहिए हो और जो मुख्यमंत्री रहते हुए हवाई चप्पल में अक्सर स्कूटर पर ही दफ्तर जाने का आदी हो, वह रक्षा मंत्री बनकर कहीं भी जाए पर बिना किसी से दबे भरीत का हित दंबगपन से सुरक्षित रखेगा, यह तो तय मानना चाहिए।

 आधी आबादी को पोषित करने वाली गंगा

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गंगा और भारतवर्ष एक-दूसरे के पर्याय हैं। यदि सिंधु नदी के कारण हमारा और हमारी सभ्यता का नाम हिंदू तथा देश इंडिया और हिंदुस्तान कहलाया तो गंगा के कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत और पहचान सारी दुनिया में मान्य हुई। कहा भी गया कि, ‘हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है।’

इस भारत को जीतना ही होगा

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जैसे मरुथल में अचानक मलय की बयार बहे, वैसे संसद में नरेंद्र मोदी का भाषण हुआ। कांग्रेस के कई नेता मुझसे मिले और बोले कि जो मोदी ने कहा वे शब्द सुनने के लिए उनके कान तरस गए थे।

युग बदला, सिर्फ सत्ता नहीं

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यह कहना भी कम लगता है कि इतिहास रचा गया। वास्तव में ऐसा लगता है कि 1857 की भारतीय फौज 157 साल बाद जीती और अंग्रेजों की काली छाया से मुक्ति मिली।

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